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रिम्स मेडिकल कॉलेज हॉस्टल की स्थिति जर्जर, कभी भी हो सकता है बड़ा हादसा, डर के साये में रहते हैं छात्र

झारखंड के सबसे बड़े मेडिकल कॉलेज में छात्र सुरक्षित नहीं हैं. उनके साथ कभी भी हादसा हो सकता है. रिम्स के हॉस्टल की हालत इतनी जर्जर है कि वहां छात्र हमेशा डर के साये में रहते हैं.

Condition of rims medical college hostel
Condition of rims medical college hostel
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Published : Jun 20, 2023, 3:49 PM IST

Updated : Jun 20, 2023, 4:11 PM IST

जानकारी देते संवाददाता हितेश

रांची: बीते 14 दिन जून को रांची विश्वविद्यालय की लाइब्रेरी में जर्जर भवन का छज्जा गिरने की वजह से मंतोष बेदिया नाम के एक छात्र की मौत हो गई. छात्र की मौत के बाद प्रबंधन के खिलाफ कई छात्र संगठनों ने विरोध प्रदर्शन भी किया. जिसके बाद विश्वविद्यालय प्रबंधन की तरफ से छात्र को मुआवजा मुहैया कराने का आश्वासन दिया गया, लेकिन सवाल यह उठता है कि क्या इस तरह की घटना को रोकने के लिए मुआवजा पर्याप्त है या फिर सरकार को शहर में जर्जर पड़े छात्रों के छात्रावासों को दुरुस्त कराया जाए. क्योंकि राज्य छात्रावासों की हालत खराब है. जब हमने राज्य के सबसे बड़े सरकारी अस्पताल और मेडिकल कॉलेज रिम्स के छात्रावास का जायजा लिया तो हमने देखा कि यहां पर भी रांची विश्वविद्यालय वाली घटना कभी भी घट सकती है.

ये भी पढ़ें: Ranchi News: रिम्स बॉयज हॉस्टल नंबर 4 का सीलिंग भरभरा कर गिरा, बाल-बाल बचे दो मेडिकल स्टूडेंट्स

रिम्स छात्रावास में आठ हॉस्टल हैं और आठों हॉस्टल की स्थिति बदतर है, छात्र बताते हैं कि कई बार बड़ी दुर्घटना होने से बची है. रिम्स के हॉस्टल नंबर 4 में रह रहे मेडिकल छात्र और जूनियर डॉक्टर अमन कुमार बताते हैं कि कुछ दिन पहले रांची विश्वविद्यालय वाली घटना रिम्स में भी होने की संभावना थी, लेकिन बड़ा हादसा टल गया. उन्होंने अपनी आपबीती बताते हुए कहा कि एक दिना स्नान करने के दौरान बाथरूम की छत का छज्जा गिर गया जिससे वे बाल बाल बच गए. ऐसी स्थिति सिर्फ बाथरूम की ही नहीं बल्कि हॉस्टल के कैंटीन और स्टडी रूम सहित अन्य जगहों पर भी है.

देखें वीडियो

रिम्स मेडिकल कॉलेज में पढ़ने वाले मेडिकल छात्रों के छात्रावासों की जर्जर हालत को लेकर जूनियर डॉक्टर एसोसिएशन के अध्यक्ष डॉ जयदीप चौधरी बताते हैं कि हॉस्टलों की यह स्थिति पिछले कई वर्षों से है. लेकिन प्रबंधन की इस पर नजर नहीं पड़ रही है. अगर इसी तरह प्रबंधन का रवैया रहा तो आने वाले दिनों में हॉस्टल पूरी तरह से जमींदोज हो जाएगा और इसमें रहने वाले कई छात्र घायल हो सकते हैं या फिर अपनी जान गंवा सकते हैं. उन्होंने हॉस्टल में रहने वाले छात्रों के जानमाल की सुरक्षा को लेकर ईटीवी भारत के माध्यम से रिम्स प्रबंधन से गुहार लगाते हुए कहा कि जल्द से जल्द अगर मेडिकल छात्रों के रहने वाले छात्रावासों को रिपेयर नहीं कराया जाता है तो आने वाले दिनों में उनके नेतृत्व में सभी मेडिकल छात्र विरोध प्रदर्शन करने को मजबूर हो जाएंगे.

वहीं, रिम्स प्रबंधन की ओर से जन संपर्क पदाधिकारी डॉ राजीव रंजन बताते हैं कि जितने भी हॉस्पिटल हैं सभी की स्थिति निश्चित रूप से खराब है. हॉस्टल में रहने वाले मेडिकल छात्रों की शिकायत के बाद भवन निर्माण विभाग एवं पीएचडी विभाग को सूचित किया गया है, लेकिन अभी तक उनकी तरफ से हॉस्टल के रिपेयरिंग को लेकर कोई ठोस कदम नहीं उठाए जा रहे हैं. उन्होंने सरकारी सिस्टम की व्यवस्था पर भी सवाल उठाते हुए कहा कि जर्जर पड़े हॉस्टलों को ठीक करने के लिए कई विभागों को सूचित करना पड़ता है, जिसको लेकर विलंब होता है. उन्होंने बताया कि प्रबंधन की तरफ से हॉस्टल के रिपेयर को लेकर जल्दी ठोस कदम उठाएंगे ताकि हॉस्टल में रहने वाले छात्र सुरक्षित रह सके.

जानकारी देते संवाददाता हितेश

रांची: बीते 14 दिन जून को रांची विश्वविद्यालय की लाइब्रेरी में जर्जर भवन का छज्जा गिरने की वजह से मंतोष बेदिया नाम के एक छात्र की मौत हो गई. छात्र की मौत के बाद प्रबंधन के खिलाफ कई छात्र संगठनों ने विरोध प्रदर्शन भी किया. जिसके बाद विश्वविद्यालय प्रबंधन की तरफ से छात्र को मुआवजा मुहैया कराने का आश्वासन दिया गया, लेकिन सवाल यह उठता है कि क्या इस तरह की घटना को रोकने के लिए मुआवजा पर्याप्त है या फिर सरकार को शहर में जर्जर पड़े छात्रों के छात्रावासों को दुरुस्त कराया जाए. क्योंकि राज्य छात्रावासों की हालत खराब है. जब हमने राज्य के सबसे बड़े सरकारी अस्पताल और मेडिकल कॉलेज रिम्स के छात्रावास का जायजा लिया तो हमने देखा कि यहां पर भी रांची विश्वविद्यालय वाली घटना कभी भी घट सकती है.

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रिम्स छात्रावास में आठ हॉस्टल हैं और आठों हॉस्टल की स्थिति बदतर है, छात्र बताते हैं कि कई बार बड़ी दुर्घटना होने से बची है. रिम्स के हॉस्टल नंबर 4 में रह रहे मेडिकल छात्र और जूनियर डॉक्टर अमन कुमार बताते हैं कि कुछ दिन पहले रांची विश्वविद्यालय वाली घटना रिम्स में भी होने की संभावना थी, लेकिन बड़ा हादसा टल गया. उन्होंने अपनी आपबीती बताते हुए कहा कि एक दिना स्नान करने के दौरान बाथरूम की छत का छज्जा गिर गया जिससे वे बाल बाल बच गए. ऐसी स्थिति सिर्फ बाथरूम की ही नहीं बल्कि हॉस्टल के कैंटीन और स्टडी रूम सहित अन्य जगहों पर भी है.

देखें वीडियो

रिम्स मेडिकल कॉलेज में पढ़ने वाले मेडिकल छात्रों के छात्रावासों की जर्जर हालत को लेकर जूनियर डॉक्टर एसोसिएशन के अध्यक्ष डॉ जयदीप चौधरी बताते हैं कि हॉस्टलों की यह स्थिति पिछले कई वर्षों से है. लेकिन प्रबंधन की इस पर नजर नहीं पड़ रही है. अगर इसी तरह प्रबंधन का रवैया रहा तो आने वाले दिनों में हॉस्टल पूरी तरह से जमींदोज हो जाएगा और इसमें रहने वाले कई छात्र घायल हो सकते हैं या फिर अपनी जान गंवा सकते हैं. उन्होंने हॉस्टल में रहने वाले छात्रों के जानमाल की सुरक्षा को लेकर ईटीवी भारत के माध्यम से रिम्स प्रबंधन से गुहार लगाते हुए कहा कि जल्द से जल्द अगर मेडिकल छात्रों के रहने वाले छात्रावासों को रिपेयर नहीं कराया जाता है तो आने वाले दिनों में उनके नेतृत्व में सभी मेडिकल छात्र विरोध प्रदर्शन करने को मजबूर हो जाएंगे.

वहीं, रिम्स प्रबंधन की ओर से जन संपर्क पदाधिकारी डॉ राजीव रंजन बताते हैं कि जितने भी हॉस्पिटल हैं सभी की स्थिति निश्चित रूप से खराब है. हॉस्टल में रहने वाले मेडिकल छात्रों की शिकायत के बाद भवन निर्माण विभाग एवं पीएचडी विभाग को सूचित किया गया है, लेकिन अभी तक उनकी तरफ से हॉस्टल के रिपेयरिंग को लेकर कोई ठोस कदम नहीं उठाए जा रहे हैं. उन्होंने सरकारी सिस्टम की व्यवस्था पर भी सवाल उठाते हुए कहा कि जर्जर पड़े हॉस्टलों को ठीक करने के लिए कई विभागों को सूचित करना पड़ता है, जिसको लेकर विलंब होता है. उन्होंने बताया कि प्रबंधन की तरफ से हॉस्टल के रिपेयर को लेकर जल्दी ठोस कदम उठाएंगे ताकि हॉस्टल में रहने वाले छात्र सुरक्षित रह सके.

Last Updated : Jun 20, 2023, 4:11 PM IST
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