रांची: राज्यभर के 4367 पंचायतों में से 4167 पंचायतों में लाखों रुपये खर्च कर पंचायत सचिवालय बनाया गया है. इसके पीछे उद्देश्य यह है कि ग्रामीण क्षेत्रों में रहने वाले राज्य की 75 फीसदी आबादी को प्रखंड और जिला मुख्यालय में चक्कर लगाये बिना पंचायतों के माध्यम से सरकारी सुविधा मिल जाए. लेकिन गांव में लोगों की हालत अब भी वही है.
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दरअसल, इन पंचायत सचिवालय में ई-गवर्नेंस सहित अन्य सुविधाओं की बात तो दूर निर्वाचित जनप्रतिनिधि बैठक तक नहीं करते. ऐसे में ग्रामीणों की परेशानी आज भी बनी हुई है. राजधानी रांची से सटे कांके ब्लॉक के सुकुरहूटू सहित कई पंचायतों का जब ईटीवी भारत की टीम ने दौरा किया तो जमीनी हकीकत साफ दिख रही थी. बंद पड़े पंचायत सचिवालय में जनप्रतिनिधियों की बात तो दूर, लोगों की समस्या सुनने के लिए भी कोई नहीं दिखा. सुकुरहूटू के ग्रामीण बताते हैं कि जो भी काम कराना होता है मुखिया के घर जाकर ही कराते हैं. पंचायत भवन कोई कैंप या बड़ी बैठक के वक्त खुलता है. आज भी आवास योजना का लाभ लेने के लिए तरस रही ग्रामीण कामा देवी बताती हैं कि आवेदन करते-करते थक गई, लेकिन मजबूरी में कच्चे मकान में ही रहना पड़ता है.
पंचायत भवन को हाई टेक करेगी सरकार- मंत्री: एक तरफ लोगों को छोटे मोटे काम के लिए भी प्रखंड और जिला में दौड़ लगाना पड़ता है. वहीं, दूसरी ओर सरकार पंचायत सचिवालय को ई-गवर्नेंस की सुविधा से लैस कर हाई टेक करने की बात कह रही है. ग्रामीण विकास एवं पंचायती राज मंत्री आलमगीर आलम ने कहा है कि जो भी पंचायत भवन जर्जर हैं उन्हें नया बनाया जायेगा और उस भवन में कम्प्यूटर के अलावे ई-गवर्नेंस के माध्यम से लोगों को जाति, आवासीय और राशन कार्ड आदि की सुविधा प्रदान की जायेगी.
पंचायतों को सशक्त बनाने के लिए सरकार ने ग्रामीण विकास पर जोर दिया है, जिसके तहत पंचायत सचिवालय में ग्रामीणों के लिए सभी सरकारी सुविधा मुहैया कराने की तैयारी है. सरकार पंचायत को कितनी भी हाइटेक क्यों ना बना ले, लेकिन जब स्थानीय जनप्रतिनिधि ही उस पर काम नहीं करेंगे तो लोगों को लाभ कैसे मिलेगा. रांची में कांके ब्लॉक के कई गांव इसका उदाहरण है जहां जनप्रतिनिधि के उदासीन रवैये के कारण आज भी इन ग्रामीणों की समस्या बनी हुई है.