रांची: झारखंड में हेमंत सरकार को सत्ता में आए हुए एक साल से ज्यादा हो चुका है. सरकार का दावा है प्रदेश में सरकारी स्कूलों बेहतर स्थिति में हैं. लेकिन अब खुद सरकार के मंत्री सरकारी स्कूलों की शिक्षा व्यवस्था की पोल खोल रहे हैं. वित्त मंत्री रामेश्वर उरांव का साफ करना है कि सरकारी स्कूलों में शिक्षा व्यवस्था चौपट है और वहां किसी भी तरह की पढ़ाई नहीं होती है. प्राइवेट स्कूल एंड चिल्ड्रन वेलफेयर एसोसिएशन के प्रांतीय सम्मेलन के बाद पत्रकारों से बात करते हुए रामेश्वर उरांव ने कहा कि राज्य के सरकारी स्कूलों की हालत सही नहीं है. वे कहते हैं सरकारी स्कूलों की हालत कैसी है यह जगजाहिर है. बच्चे अब सरकारी स्कूलों में नहीं पढ़ना चाहते. प्राइवेट स्कूल ही बेहतर है.
सभी क्लासेस शुरू करने की मांग
इससे पहले प्राइवेट स्कूल एंड चिल्ड्रन वेलफेयर एसोसिएशन के प्रांतीय सम्मेलन में स्कूली शिक्षा के विभिन्न परेशानियों को लेकर विशेष रूप से चर्चा हुई. इसमें मंत्री बादल पत्रलेख और स्वास्थ्य मंत्री बन्ना गुप्ता भी शामिल हुए. सम्मेलन में कोविड-19 की वजह से लंबे अंतराल तक बंद पड़े निजी स्कूलों की परेशानियों के साथ ही बच्चों और अभिभावकों को हो रही समस्याओं को लेकर चर्चा हुई. पासवा की तरफ से अप्रैल महीने से क्लास वन से सुचारू तरीके से अन्य कक्षाओं को संचालित करने की मांग की गई. रामेश्वर उरांव ने कहा कि इस महामारी की वजह से प्राइवेट स्कूल अभी बंद है. हालांकि, सरकार की ओर से जारी गाइडलाइन के बाद आठवीं से लेकर 12वीं तक कक्षाएं संचालित हो रही है. आने वाले समय में तमाम सुरक्षात्मक कदम उठाते हुए अन्य क्लासेस भी शुरू किये जाएंगे.
री-एडमिशन को लेकर सीएम से बात करेंगे बन्ना गुप्ता
स्वास्थ्य मंत्री बन्ना गुप्ता ने कहा की वे री-ऐडमिशन के प्रावधान के खिलाफ हैं. इस मामले को लेकर मुख्यमंत्री से बात की जाएगी ताकि निजी स्कूल री-एडमिशन के नाम पर अभिभावकों से अधिक पैसों की वसूली न कर सके. पसवा की ओर से राज्य और केंद्र सरकार से निजी स्कूलों के संरक्षण को लेकर भी कई प्रस्ताव इस सम्मेलन के दौरान पारित किए गए.