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सफरनामा 2022ः साख और संगठन बचाने के लिए कांग्रेस करती रही संघर्ष, झारखंड में लगे कई झटके

वर्ष 2022 झारखंड कांग्रेस के लिए संघर्ष भरा (Condition Of Congress Party In Jharkhand) रहा. कई नेता के विवादों में फंसने के चलते पार्टी अपनी साख बचाने के लिए जद्दोजहद करती नजर आई. वहीं आरपीएन सिंह के पार्टी से जाने के बावजूद केंद्रीय नेतृत्व ने पार्टी को संभाला और नई राह दिखायी.

Condition Of Congress Party In Jharkhand
Irfan Ansari
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Published : Dec 30, 2022, 3:20 PM IST

रांचीः वर्ष 2022 की विदाई और नूतन वर्ष 2023 के स्वागत की बेला पास आती जा रही है, ऐसे में अगर हम झारखंड में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की बात करें तो ऐसा लगता है कि पूरे वर्ष पार्टी सत्ता और विवादों से जूझती (Congress Kept Fighting For Credibility) रही. अच्छी बात यह रही कि कांग्रेस उस बड़े झटके को झेल गई जो प्रदेश प्रभारी और झारखंड कांग्रेस पर मजबूत पकड़ रखने वाले आरपीएन सिंह के भाजपा का दामन थाम लेने से पैदा हुआ था. उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव से पहले आरपीएन के भाजपा में शामिल होने के बाद कांग्रेस आलाकमान ने अनुभवी संगठनकर्ता अविनाश पांडे को प्रदेश का प्रभारी नियुक्त किया और एक के बाद एक कार्यक्रम आयोजित कर उन संभावनाओं पर विराम लगा दिया कि राज्य में कोई आरपीएन गुट भी अस्तित्व में है और वह कभी भी बगावत कर सकता है.

ये भी पढे़ं-झारखंड कांग्रेस में नहीं थम रहा अंतर्कलह, प्रदेश अध्यक्ष के खिलाफ खोल दिया है मोर्चा

कोलकाता में तीन विधायकों के पकड़े जाने के बाद, साख बचाना था सबसे जरूरीः सरकार गिरने-गिराने के आरोप प्रत्यारोप के बीच जब कांग्रेस के तीन विधायक डॉ इरफान अंसारी, राजेश कच्छप और विक्सल कोंगारी को जब बंगाल पुलिस ने बड़ी धनराशि के साथ गिरफ्तार किया तो यही चर्चा तेज हो गई कि झारखंड की हेमंत सोरेन की सरकार को अस्थिर करने की जो कोशिशें चल रही हैं और उसी का यह हिस्सा (Look Back 2022 Congress Party Jharkhand)है. अपने तीन विधायकों के पकड़े जाने के बाद जनता में यह मैसेज किया कि अगर हेमंत सोरेन की सरकार अस्थिर हुई तो इसके पीछे की वजह कांग्रेस के विधायक ही होंगे. क्योंकि कांग्रेस नेतृत्व अपने विधायकों को एकजुट नहीं रख पा रहा है. ऐसे में कांग्रेस आलाकमान ने कड़ा रुख अपनाते हुए न सिर्फ तीनों आरोपी विधायकों को निलंबित कर दिया, बल्कि तीनों विधायकों के खिलाफ अपने एक अन्य विधायक से रांची में जीरो एफआईआर कराया. इतना ही नहीं कांग्रेस विधायक दल के नेता आलमगीर आलम ने अपने ही तीनों विधायकों के खिलाफ विधानसभा न्यायाधिकरण में मामला भी दर्ज करा दिया और यह संदेश देने की कोशिश की कि कांग्रेस नेतृत्व अनुशासनहीनता को बर्दाश्त नहीं करेगा.

तीन प्रदेश महासचिव सहित सात पदाधिकारियों को शोकॉजः प्रदेश अध्यक्ष राजेश ठाकुर के नेतृत्व को पहले दिन से ही चुनौती देने वाले और उन्हें आरपीएन सिंह की पसंद बताकर हटाने की मांग करने वाले दल के तिगड़ी आलोक दूबे, राजेश गुप्ता और किशोरनाथ शाहदेव सहित सात प्रदेश स्तर के पदाधिकारियों को शो कॉज और दल से बाहर करने की अनुशंसा के साथ ही कांग्रेस नेतृत्व ने इस वर्ष यह साफ संदेश देने की कोशिश की कि पार्टी के लोकतांत्रिक ढांचे में अनुशासनहीनता बर्दाश्त नहीं की जाएगी.

सुखदेव भगत और प्रदीप बालमुचू के पार्टी में लौटने से बढ़ी ताकतः झारखंड कांग्रेस के दो कद्दावर नेता, पूर्व अध्यक्ष सुखदेव भगत और प्रदीप बालमुचू वर्ष 2019 में विधानसभा चुनाव से ठीक पहले क्रमश भारतीय जनता पार्टी और आजसू का दामन थाम लिया था. ये दोनों नेता 2022 में घर वापसी की जिससे संगठन को मजबूती मिली तो दूसरी ओर भाषा विवाद पर कांग्रेस के स्टैंड से नाराज पूर्व शिक्षा मंत्री सह कांग्रेस की कद्दावर नेता गीताश्री उरांव ने पार्टी की प्राथमिक सदस्यता से इस्तीफा दे दिया.

इंटरव्यू से हुआ जिलाध्यक्षों का चयन, छह वर्ष बाद प्रदेश कार्यसमिति भी गठितः झारखंड कांग्रेस के इतिहास में वर्ष 2022 इसलिए भी याद किया जाएगा क्योंकि पहली बार झारखंड कांग्रेस ने अपने सभी 25 जिलाध्यक्ष का चयन के लिए साक्षात्कार का आयोजन किया. अलग-अलग जिलों से आए पार्टी के नेताओं का इंटरव्यू लिया गया, उनसे पूछा गया कि अगर वह जिला अध्यक्ष बनते हैं तो पार्टी संगठन को कैसे मजबूत बनाएंगे, उनका ब्लूप्रिंट क्या है, कैसे भारतीय जनता पार्टी के मजबूत संगठन से वह मुकाबला करेंगे. इसके साथ ही वर्ष 2022 में छह वर्ष बाद कांग्रेस की प्रदेश कार्यसमिति भी घोषित की गई. जिसमें लगभग 200 नेताओं को उपाध्यक्ष, महासचिव, सचिव सहित कई पद देकर सभी को खुश करने की कोशिश की गई. यह और बात है कि बावजूद इसके प्रदेश कार्यसमिति विवादों में है.

मांडर विधानसभा उपचुनाव जीत कर बढ़ायी साखः अपने कार्यकारी अध्यक्ष बंधु तिर्की की विधानसभा की सदस्यता, आय से अधिक संपत्ति के एक मामले में दोषी करार दिए जाने के बाद चली गई. इसके बाद हुए मांडर उपचुनाव में कांग्रेस ने बंधु तिर्की की बेटी शिल्पी नेहा तिर्की को अपना उम्मीदवार बनाया तो भारतीय जनता पार्टी ने गंगोत्री कुजूर को अपना उम्मीदवार बनाया. प्रतिष्ठा की इस लड़ाई में भाजपा और ओवैसी से एक साथ मुकाबला करते हुए कांग्रेस प्रत्याशी के रूप में शिल्पी नेहा तिर्की ने शानदार जीत दर्ज की और इस जीत से कांग्रेस की प्रतिष्ठा बढ़ी. वहीं कांग्रेस के दवाब और पहल पर झारखंड को-ऑर्डिनेशन कमेटी का गठन भी इस वर्ष हुआ. जिसमें कांग्रेस की भी भागीदारी मिली.

भारत जोड़ो यात्रा और अन्य कार्यक्रमों के लिए मिली राष्ट्रीय अध्यक्ष से शाबासीः झारखंड कांग्रेस ने राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा के दौरान झारखंड में भी लगातार भारत जोड़ो यात्रा निकाली तो गौरव यात्रा और महंगाई-बेरोजगारी पर कांग्रेस लगातार मुखर रही. जिसकी प्रशंसा अखिल भारतीय कांग्रेस के अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने भी की है.

रांचीः वर्ष 2022 की विदाई और नूतन वर्ष 2023 के स्वागत की बेला पास आती जा रही है, ऐसे में अगर हम झारखंड में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की बात करें तो ऐसा लगता है कि पूरे वर्ष पार्टी सत्ता और विवादों से जूझती (Congress Kept Fighting For Credibility) रही. अच्छी बात यह रही कि कांग्रेस उस बड़े झटके को झेल गई जो प्रदेश प्रभारी और झारखंड कांग्रेस पर मजबूत पकड़ रखने वाले आरपीएन सिंह के भाजपा का दामन थाम लेने से पैदा हुआ था. उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव से पहले आरपीएन के भाजपा में शामिल होने के बाद कांग्रेस आलाकमान ने अनुभवी संगठनकर्ता अविनाश पांडे को प्रदेश का प्रभारी नियुक्त किया और एक के बाद एक कार्यक्रम आयोजित कर उन संभावनाओं पर विराम लगा दिया कि राज्य में कोई आरपीएन गुट भी अस्तित्व में है और वह कभी भी बगावत कर सकता है.

ये भी पढे़ं-झारखंड कांग्रेस में नहीं थम रहा अंतर्कलह, प्रदेश अध्यक्ष के खिलाफ खोल दिया है मोर्चा

कोलकाता में तीन विधायकों के पकड़े जाने के बाद, साख बचाना था सबसे जरूरीः सरकार गिरने-गिराने के आरोप प्रत्यारोप के बीच जब कांग्रेस के तीन विधायक डॉ इरफान अंसारी, राजेश कच्छप और विक्सल कोंगारी को जब बंगाल पुलिस ने बड़ी धनराशि के साथ गिरफ्तार किया तो यही चर्चा तेज हो गई कि झारखंड की हेमंत सोरेन की सरकार को अस्थिर करने की जो कोशिशें चल रही हैं और उसी का यह हिस्सा (Look Back 2022 Congress Party Jharkhand)है. अपने तीन विधायकों के पकड़े जाने के बाद जनता में यह मैसेज किया कि अगर हेमंत सोरेन की सरकार अस्थिर हुई तो इसके पीछे की वजह कांग्रेस के विधायक ही होंगे. क्योंकि कांग्रेस नेतृत्व अपने विधायकों को एकजुट नहीं रख पा रहा है. ऐसे में कांग्रेस आलाकमान ने कड़ा रुख अपनाते हुए न सिर्फ तीनों आरोपी विधायकों को निलंबित कर दिया, बल्कि तीनों विधायकों के खिलाफ अपने एक अन्य विधायक से रांची में जीरो एफआईआर कराया. इतना ही नहीं कांग्रेस विधायक दल के नेता आलमगीर आलम ने अपने ही तीनों विधायकों के खिलाफ विधानसभा न्यायाधिकरण में मामला भी दर्ज करा दिया और यह संदेश देने की कोशिश की कि कांग्रेस नेतृत्व अनुशासनहीनता को बर्दाश्त नहीं करेगा.

तीन प्रदेश महासचिव सहित सात पदाधिकारियों को शोकॉजः प्रदेश अध्यक्ष राजेश ठाकुर के नेतृत्व को पहले दिन से ही चुनौती देने वाले और उन्हें आरपीएन सिंह की पसंद बताकर हटाने की मांग करने वाले दल के तिगड़ी आलोक दूबे, राजेश गुप्ता और किशोरनाथ शाहदेव सहित सात प्रदेश स्तर के पदाधिकारियों को शो कॉज और दल से बाहर करने की अनुशंसा के साथ ही कांग्रेस नेतृत्व ने इस वर्ष यह साफ संदेश देने की कोशिश की कि पार्टी के लोकतांत्रिक ढांचे में अनुशासनहीनता बर्दाश्त नहीं की जाएगी.

सुखदेव भगत और प्रदीप बालमुचू के पार्टी में लौटने से बढ़ी ताकतः झारखंड कांग्रेस के दो कद्दावर नेता, पूर्व अध्यक्ष सुखदेव भगत और प्रदीप बालमुचू वर्ष 2019 में विधानसभा चुनाव से ठीक पहले क्रमश भारतीय जनता पार्टी और आजसू का दामन थाम लिया था. ये दोनों नेता 2022 में घर वापसी की जिससे संगठन को मजबूती मिली तो दूसरी ओर भाषा विवाद पर कांग्रेस के स्टैंड से नाराज पूर्व शिक्षा मंत्री सह कांग्रेस की कद्दावर नेता गीताश्री उरांव ने पार्टी की प्राथमिक सदस्यता से इस्तीफा दे दिया.

इंटरव्यू से हुआ जिलाध्यक्षों का चयन, छह वर्ष बाद प्रदेश कार्यसमिति भी गठितः झारखंड कांग्रेस के इतिहास में वर्ष 2022 इसलिए भी याद किया जाएगा क्योंकि पहली बार झारखंड कांग्रेस ने अपने सभी 25 जिलाध्यक्ष का चयन के लिए साक्षात्कार का आयोजन किया. अलग-अलग जिलों से आए पार्टी के नेताओं का इंटरव्यू लिया गया, उनसे पूछा गया कि अगर वह जिला अध्यक्ष बनते हैं तो पार्टी संगठन को कैसे मजबूत बनाएंगे, उनका ब्लूप्रिंट क्या है, कैसे भारतीय जनता पार्टी के मजबूत संगठन से वह मुकाबला करेंगे. इसके साथ ही वर्ष 2022 में छह वर्ष बाद कांग्रेस की प्रदेश कार्यसमिति भी घोषित की गई. जिसमें लगभग 200 नेताओं को उपाध्यक्ष, महासचिव, सचिव सहित कई पद देकर सभी को खुश करने की कोशिश की गई. यह और बात है कि बावजूद इसके प्रदेश कार्यसमिति विवादों में है.

मांडर विधानसभा उपचुनाव जीत कर बढ़ायी साखः अपने कार्यकारी अध्यक्ष बंधु तिर्की की विधानसभा की सदस्यता, आय से अधिक संपत्ति के एक मामले में दोषी करार दिए जाने के बाद चली गई. इसके बाद हुए मांडर उपचुनाव में कांग्रेस ने बंधु तिर्की की बेटी शिल्पी नेहा तिर्की को अपना उम्मीदवार बनाया तो भारतीय जनता पार्टी ने गंगोत्री कुजूर को अपना उम्मीदवार बनाया. प्रतिष्ठा की इस लड़ाई में भाजपा और ओवैसी से एक साथ मुकाबला करते हुए कांग्रेस प्रत्याशी के रूप में शिल्पी नेहा तिर्की ने शानदार जीत दर्ज की और इस जीत से कांग्रेस की प्रतिष्ठा बढ़ी. वहीं कांग्रेस के दवाब और पहल पर झारखंड को-ऑर्डिनेशन कमेटी का गठन भी इस वर्ष हुआ. जिसमें कांग्रेस की भी भागीदारी मिली.

भारत जोड़ो यात्रा और अन्य कार्यक्रमों के लिए मिली राष्ट्रीय अध्यक्ष से शाबासीः झारखंड कांग्रेस ने राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा के दौरान झारखंड में भी लगातार भारत जोड़ो यात्रा निकाली तो गौरव यात्रा और महंगाई-बेरोजगारी पर कांग्रेस लगातार मुखर रही. जिसकी प्रशंसा अखिल भारतीय कांग्रेस के अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने भी की है.

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