रांची: देश में कारोबारी सुगमता बढ़ाने के उद्देश्य से कॉरपोरेट कार्य मंत्रालय भारत सरकार की योजना सीएफएसएस और एलएलपी सेटलमेंट योजना की अंतिम तिथि 31 दिसंबर 2020 के समाप्त होने के बाद विभिन्न कंपनियों को कंप्लायंस के दौरान हो रही कठिनाईयां हो रही है. इसको लेकर मंगलवार को विभिन्न कंपनी सेक्रटरियों ने झारखण्ड चैंबर ऑफ काॅमर्स के साथ चैंबर भवन में बैठक की.
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अर्थदंड भरने को लेकर विवश है कंपनियां
बैठक में कंपनी सेक्रटरियों ने कहा कि इस योजना के तहत वैसी कंपनियां जो कोविड काल में किसी कारणवश विभिन्न तरह के कंप्लायंस को पूरा करने में असमर्थ रही थी. उन्हें एक अवसर प्रदान करते हुए बिना किसी पेनाल्टी के एक सामान्य भुगतान या शुल्क पर अपनी कंप्लायंस की कमियों को पूरा करने की सुविधा दी गई थी. अंतिम तिथि की समाप्ति के बाद ऐसी कंपनियों को इस कंप्लायंस को पूरा करने में अनावश्यक अर्थदंड भरने को विवश किया जा रहा है. यह अर्थदंड सामान्य शुल्क के अतिरिक्त लाखों रुपये में है.
योजना की समय सीमा बढ़ाने की अपील
झारखंड की विभिन्न कंपनियों की समस्या के समाधान के लिए चैंबर ने वित्त मंत्रालय को पत्र लिख कर यह आग्रह किया है कि इस योजना की अवधि विस्तारित करते हुए कंपनियों को अपने कंप्लायंस को एक निर्धारित शुल्क पर पेनाल्टी के बिना पूरा करने का अवसर दिया जाए. चैंबर अध्यक्ष प्रवीण जैन छाबड़ा ने कहा कि कोविड काल में सरकार की अनुमति से ही देश में सभी व्यापारिक और औद्योगिक गतिविधियां शिथिल रही थीं. जिस कारण अधिकांश कंपनियां इस योजना का लाभ लेने से वंचित रह गई. कंपनियों के कंप्लायंस का काम निजी प्रैक्टिशनर्स ही किया करते हैं लेकिन लाॅकडाउन के कारण हर किसी का सामान्य तौर पर काम करना संभव नहीं हो पा रहा है. ऐसे में इस योजना की समय सीमा को विस्तारित करना हितकर होगा.