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इंदौर सेंट्रल जेल से रिहा हुए स्टैंडअप कॉमेडियन मुनव्वर फारुकी, धार्मिक भावनाएं आहत करने का था आरोप - Munawar Faruqi

सुप्रीम कोर्ट से राहत मिलने के बावजूद भी माना जा रहा था कि स्टैंडअप कॉमेडियन मुनव्वर फारुकी की रात जेल में ही बीतेगी, लेकिन ऐसा नहीं हुआ. उन्हें शनिवार देर रात इंदौर सेंट्रल जेल से रिहा कर दिया गया.

मुनव्वर फारुकी
मुनव्वर फारुकी
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Published : Feb 7, 2021, 2:56 AM IST

इंदौर। स्टैंडअप कॉमेडियन मुनव्वर फारुकी को शनिवार को देर रात में केंद्रीय जेल से रिहा कर दिया गया. फारुकी पर हिंदू देवी-देवताओं पर आपत्तिजनक टिप्पणियों का आरोप था. निचली अदालतों से बेल की अर्जी खारिज होने के बाद शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट से उन्हें अंतरिम जमानत मिली थी. मुनव्वर को जेल के दूसरे दरवाजे से सबकी नजरों से बचाते हुए रिहा किया गया. आशंका जताई जा रही थी कि मुनव्वर पर हिंदूवादी संगठन हमला कर सकते हैं.

50 हजार रुपये की जमानत राशि व मुचलके पर मिली जमानत

फारुकी के खिलाफ इंदौर में एक जनवरी की रात एफआईआर दर्ज की गई थी. जिसमें उन पर धार्मिक भावनाएं आहत करने का आरोप लगा था. फारुकी के वकीलों ने इंदौर की जिला अदालत में शनिवार को सुप्रीम कोर्ट का आदेश पेश कर औपचारिकताएं पूरी कीं. स्थानीय अदालत ने 50 हजार रुपये की जमानत और इतनी ही राशि के मुचलके पर फारुकी को केंद्रीय जेल से रिहा करने का आदेश दिया था.

क्यों नहीं हुई थी रिहाई ?

शनिवार को देर रात में फारुकी को केंद्रीय जेल से रिहा किया गया. इससे पहले केंद्रीय जेल के एक अधिकारी ने कहा कि प्रयागराज की एक कोर्ट ने वहां दर्ज मामले में फारुकी को 18 फरवरी को पेश किए जाने को आदेश दिया है. लिहाजा जेल मैन्युअल के हिसाब से फारुकी को रिहा करने के लिए प्रयागराज की अदालत या सरकार के किसी सक्षम प्राधिकारी के आदेश की जरूरत होगी.

1 जनवरी को दर्ज हुआ था मामला

बीजेपी के विधायक मालिनी गौड़ के बेटे एकलव्य गौड़ की शिकायत पर फारुकी और चार अन्य लोगों के खिलाफ मामला दर्ज किया गया. एकलव्य गौड़ का आरोप था कि मुनव्वर फारुकी ने शहर के एक कैफे में आयोजित कार्यक्रम में हिंदू देवी-देवताओं व केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह को लेकर आपत्तिजनक टिप्पणियां की थीं.

यह भी पढ़ेंः पलामू के रहने वाले नौसेना अधिकारी को पालघर में जिंदा जलाया, चेन्नई से किया गया था अगवा

बीजेपी विधायक के बेटे ने की थी शिकायत

बीजेपी के विधायक मालिनी गौड़ के बेटे एकलव्य गौड़ की शिकायत पर फारुकी और चार अन्य लोगों के खिलाफ मामला दर्ज किया गया. एकलव्य गौड़ का आरोप था कि मुनव्वर फारुकी ने शहर के एक कैफे में आयोजित कार्यक्रम में हिंदू देवी-देवताओं व केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह को लेकर आपत्तिजनक टिप्पणियां की थीं.

सुप्रीम कोर्ट में क्या हुआ ?

स्टैंडअप कॉमेडियन मुनव्वर फारूकी हाईकोर्ट से जमानत याचिका खारिज हो जाने के बाद सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था. सुप्रीम कोर्ट में याचिका पर सुनवाई की. फिर मुनव्वर को अंतरिम जमानत दे दी.इसके अलावा इलाहाबाद हाई कोर्ट से जारी प्रोडक्शन वारंट पर सुप्रीम कोर्ट ने रोक भी लगाई थी. मुनव्वर फारूकी के खिलाफ दाखिल दूसरे राज्यों में मुकदमों को खारिज किए जाने की मांग वाली याचिका पर सुप्रीम कोर्ट द्वारा नोटिस जारी किया गया.

सुप्रीम कोर्ट में मुनव्वर फारुकी ने कुल दो याचिकाएं दायर की थीं. एक में उन्होंने खुद को जमानत पर रिहा करने की गुहार लगाई. दूसरी अपने खिलाफ दर्ज अलग-अलग राज्यों में मुकदमों को एक जगह ट्रांसफर करने की मांग की.

कांग्रेस नेता पी चिदंबरम ने उठाए थे सवाल

कांग्रेस नेता पी चिदंबरम ने फारुकी को रिहा न करने पर सवाल उठाए थे. उन्होंने ट्वीट कर कहा था कि सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार सुबह अंतरिम जमानत का आदेश पारित किया था, लेकिन अभी तक फारुकी को रिहाई नहीं मिल सकी. एमपी पुलिस और जेल प्रशासन सुप्रीम कोर्ट के आदेश को कमतर करने का प्रयास कर रहे हैं.

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पी चिदंबर का टवीट

इंदौर। स्टैंडअप कॉमेडियन मुनव्वर फारुकी को शनिवार को देर रात में केंद्रीय जेल से रिहा कर दिया गया. फारुकी पर हिंदू देवी-देवताओं पर आपत्तिजनक टिप्पणियों का आरोप था. निचली अदालतों से बेल की अर्जी खारिज होने के बाद शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट से उन्हें अंतरिम जमानत मिली थी. मुनव्वर को जेल के दूसरे दरवाजे से सबकी नजरों से बचाते हुए रिहा किया गया. आशंका जताई जा रही थी कि मुनव्वर पर हिंदूवादी संगठन हमला कर सकते हैं.

50 हजार रुपये की जमानत राशि व मुचलके पर मिली जमानत

फारुकी के खिलाफ इंदौर में एक जनवरी की रात एफआईआर दर्ज की गई थी. जिसमें उन पर धार्मिक भावनाएं आहत करने का आरोप लगा था. फारुकी के वकीलों ने इंदौर की जिला अदालत में शनिवार को सुप्रीम कोर्ट का आदेश पेश कर औपचारिकताएं पूरी कीं. स्थानीय अदालत ने 50 हजार रुपये की जमानत और इतनी ही राशि के मुचलके पर फारुकी को केंद्रीय जेल से रिहा करने का आदेश दिया था.

क्यों नहीं हुई थी रिहाई ?

शनिवार को देर रात में फारुकी को केंद्रीय जेल से रिहा किया गया. इससे पहले केंद्रीय जेल के एक अधिकारी ने कहा कि प्रयागराज की एक कोर्ट ने वहां दर्ज मामले में फारुकी को 18 फरवरी को पेश किए जाने को आदेश दिया है. लिहाजा जेल मैन्युअल के हिसाब से फारुकी को रिहा करने के लिए प्रयागराज की अदालत या सरकार के किसी सक्षम प्राधिकारी के आदेश की जरूरत होगी.

1 जनवरी को दर्ज हुआ था मामला

बीजेपी के विधायक मालिनी गौड़ के बेटे एकलव्य गौड़ की शिकायत पर फारुकी और चार अन्य लोगों के खिलाफ मामला दर्ज किया गया. एकलव्य गौड़ का आरोप था कि मुनव्वर फारुकी ने शहर के एक कैफे में आयोजित कार्यक्रम में हिंदू देवी-देवताओं व केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह को लेकर आपत्तिजनक टिप्पणियां की थीं.

यह भी पढ़ेंः पलामू के रहने वाले नौसेना अधिकारी को पालघर में जिंदा जलाया, चेन्नई से किया गया था अगवा

बीजेपी विधायक के बेटे ने की थी शिकायत

बीजेपी के विधायक मालिनी गौड़ के बेटे एकलव्य गौड़ की शिकायत पर फारुकी और चार अन्य लोगों के खिलाफ मामला दर्ज किया गया. एकलव्य गौड़ का आरोप था कि मुनव्वर फारुकी ने शहर के एक कैफे में आयोजित कार्यक्रम में हिंदू देवी-देवताओं व केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह को लेकर आपत्तिजनक टिप्पणियां की थीं.

सुप्रीम कोर्ट में क्या हुआ ?

स्टैंडअप कॉमेडियन मुनव्वर फारूकी हाईकोर्ट से जमानत याचिका खारिज हो जाने के बाद सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था. सुप्रीम कोर्ट में याचिका पर सुनवाई की. फिर मुनव्वर को अंतरिम जमानत दे दी.इसके अलावा इलाहाबाद हाई कोर्ट से जारी प्रोडक्शन वारंट पर सुप्रीम कोर्ट ने रोक भी लगाई थी. मुनव्वर फारूकी के खिलाफ दाखिल दूसरे राज्यों में मुकदमों को खारिज किए जाने की मांग वाली याचिका पर सुप्रीम कोर्ट द्वारा नोटिस जारी किया गया.

सुप्रीम कोर्ट में मुनव्वर फारुकी ने कुल दो याचिकाएं दायर की थीं. एक में उन्होंने खुद को जमानत पर रिहा करने की गुहार लगाई. दूसरी अपने खिलाफ दर्ज अलग-अलग राज्यों में मुकदमों को एक जगह ट्रांसफर करने की मांग की.

कांग्रेस नेता पी चिदंबरम ने उठाए थे सवाल

कांग्रेस नेता पी चिदंबरम ने फारुकी को रिहा न करने पर सवाल उठाए थे. उन्होंने ट्वीट कर कहा था कि सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार सुबह अंतरिम जमानत का आदेश पारित किया था, लेकिन अभी तक फारुकी को रिहाई नहीं मिल सकी. एमपी पुलिस और जेल प्रशासन सुप्रीम कोर्ट के आदेश को कमतर करने का प्रयास कर रहे हैं.

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