रांची: वैश्विक महामारी कोरोना ने हर व्यवसाय पर बुरा प्रभाव डाल दिया है. आलम यह है कि छोटे-छोटे दुकानदारों को सबसे ज्यादा नुकसान उठाना पड़ रहा है. लॉकडाउन में जहां छोटे दुकानदारों की कमर तोड़ दी है तो वहीं कई ऐसे समानों के दुकान है जो लॉकडाउन के दौरान खुल जरूर रहे हैं, लेकिन उनकी बिक्री 80% कम हो गई है. इन्हीं में शामिल नारीयल पानी की भी है.
व्यवसाय पर बुरा प्रभाव
रांची में नारीयल पानी की बिक्री मई के महीने में बढ़ी तपिस में सबसे ज्यादा होती थी, लेकिन लॉकडाउन की वजह से इसके व्यवसाय पर बुरा प्रभाव पड़ा है. ओडिशा, बंगाल और दक्षिण भारत के राज्यों से आने वाले नारियल पानी कम आ रहे हैं और थोड़े बहुत आ भी रहे हैं तो इसे खरीदने वाले ग्राहक नहीं मिल रहे हैं. गर्मी में प्यास बुझाने के लिए पेय पदार्थों की डिमांड बढ़ जाती है. खासकर नारियल पानी की डिमांड सबसे ज्यादा होती है, लेकिन लॉकडाउन ने इस व्यवसाय को करने वालों के लिए मुसीबत खड़ी कर दी है. पिछले साल की तुलना में इस साल नारियल पानी की बिक्री में 80% की कमी आई है.
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नारियल पानी की बिक्री
राजधानी के कचहरी, बरियातू, हरमू, ध्रुवा समेत कई इलाकों में सड़क किनारे नारियल पानी की बिक्री बड़े पैमाने पर होती थी, लेकिन लॉकडाउन की वजह से अब कुछ ही इलाकों में नारियल पानी की दुकाने नजर आ रही है. नारियल पानी के दुकानदार विवेक बताते हैं कि वर्तमान में नारियल पानी की बिक्री पूरी तरह से घट गई है. ग्राहक भी न के बराबर आ रहे हैं. इसकी वजह से काफी नुकसान उठाना पड़ रहा है. सिर्फ जरूरत के सामान ही खरीदे जा रहे हैं क्योंकि सबकी आर्थिक स्थिति कमजोर हो गई है.
नारियल पानी की कीमत में भी इजाफा
कचहरी के पास सड़क किनारे नारियल पानी के दुकानदार प्रेम बताते है कि नारियल पानी की खपत लगभग खत्म हो गई है. पहले जहां तीन से चार गाड़ियां नारियल पानी की आती थी. अब मुश्किल से एक गाड़ी नारियल पानी ही आ रही है और कीमत में भी इजाफा हो गया है. इसके साथ ही ग्राहक भी नहीं मिल रहे हैं, जबकि हरमू इलाके के दुकानदार रामस्वरूप ने कहा कि पिछले साल रोजाना 90 से 100 पीस नारियल पानी की बिक्री होती थी. जो घटकर वर्तमान में 20 से 25 रह गई है.