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मध्य पूर्व में 'कूटनीतिक समाधान अभी भी संभव', इजराइल-ईरान तनाव पर जी-7 देशों का बयान - West Asia Conflict

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By ANI

Published : 2 hours ago

Israel Iran Hezbollah War West Asia Conflict: इजराइल पर ईरान के मिसाइल हमले के बाद पश्चिम एशिया में तनाव और बढ़ गया है. इसके बाद मद्देजनर जी-7 देशों की बैठक में हुई, जिसमें सदस्य देशों ने मध्य पूर्व में तनाव कम करने के लिए मिलकर काम करने की प्रतिबधता जताई.

Israel Iran Hezbollah War West Asia Conflict G7 says diplomatic solution still possible
मध्य पूर्व में संघर्ष (AP)

रोम/ तेहरान/ तेल अवीव: इजराइल पर ईरान के मिसाइल हमले के बाद पश्चिम एशिया में संघर्ष बढ़ने की आशंका के बीच बुधवार को जी-7 देशों की बैठक हुई. यह बैठक इटली की प्रधानमंत्री जॉर्जिया मेलोनी की ओर से बुलाई गई थी. बाद में सदस्य देशों कनाडा, फ्रांस, जर्मनी, इटली, जापान, ब्रिटेन और अमेरिका ने एक बयान जारी कर मध्य पूर्व में तनाव कम करने के लिए मिलकर काम करने की प्रतिबधता जताई और जोर देकर कहा कि बढ़ते संघर्ष का कूटनीतिक समाधान अभी भी संभव है.

वर्तमान में जी-7 की अध्यक्षता इटली के पास है. इटली से जारी बयान में कहा गया है, "जी-7 ने दोहराया कि क्षेत्रीय स्तर पर संघर्ष किसी के हित में नहीं है और कूटनीतिक समाधान अभी भी संभव है."

अमेरिका ने ईरान पर प्रतिबंध लगाने का आग्रह किया
वहीं, संयुक्त राष्ट्र में अमेरिका की राजदूत लिंडा थॉमस-ग्रीनफील्ड ने मध्य-पूर्व में तनाव पर एक आपात बैठक के दौरान यूएन सुरक्षा परिषद के सदस्यों से ईरान की निंदा करने और उस पर प्रतिबंध लगाने का आग्रह किया. उन्होंने कहा, "यह इस परिषद के लिए एक स्वर में बोलने और दूसरे सदस्य देश के खिलाफ बिना उकसावे के किए गए हमले के लिए ईरान की निंदा करने का समय है."

थॉमस-ग्रीनफील्ड ने कहा कि ईरान पिछले साल 7 अक्टूबर को इजराइल पर हुए हमलों में शामिल था और हमास की मदद की थी. आज से लगभग एक साल पहले किए गए हमास के भयानक हमले के बाद अमेरिका ने ईरान को एक स्पष्ट संदेश भेजा था कि वह स्थिति का इस तरह फायदा न उठाए, जिससे क्षेत्र को बड़े युद्ध में धकेलने का जोखिम हो. उन्होंने कहा कि ईरान ने इस चेतावनी को बार-बार अनदेखा किया.

उन्होंने कहा, "मैं स्पष्ट करना चाहती हूं कि ईरानी शासन को उसके कार्यों के लिए जिम्मेदार ठहराया जाएगा. हम ईरान या उसके प्रॉक्सी समूहों को अमेरिका के खिलाफ कार्रवाई करने, या इइरायल के खिलाफ आगे की कार्रवाई करने के खिलाफ कड़ी चेतावनी देते हैं."

यूरोपीय देश पश्चिम एशिया में समस्याओं का मूल कारण

ईरान के साथ तनाव के बीच ईरान के सर्वोच्च नेता अयातुल्ला अली खामेनेई ने अमेरिका और अन्य यूरोपीय देशों को पश्चिम एशिया में समस्याओं का मूल कारण बताया है. ईरान की सरकारी न्यूज एजेंसी इरना की रिपोर्ट के मुताबिक, बुधवार को तेहरान में ईरानी बुद्धिजीवियों और शीर्ष छात्रों के एक समूह को संबोधित करते हुए खामेनेई ने जोर देकर कहा कि अमेरिका और कुछ यूरोपीय देशों की उपस्थिति के कारण क्षेत्र में संघर्ष, युद्ध, तनाव और शत्रुता पैदा होती है, जो इस क्षेत्र में शांति और स्थिरता की वकालत करने का दावा करते हैं.

उन्होंने कहा कि ये संघर्ष और टकराव पूरी तरह से खत्म हो जाएंगे और क्षेत्रीय देश इस क्षेत्र पर शासन कर सकते हैं और शांति और सुरक्षा के साथ एक साथ रह सकते हैं, अगर ये देश इस क्षेत्र में अपनी दुष्टतापूर्ण हरकतें बंद कर दें.

खामेनेई ने आरोप लगाया कि पश्चिमी देश दूसरे देश को भड़काते हैं. इसके परिणामस्वरूप क्षेत्र में कठिन और कड़वी स्थितियां पैदा होती हैं. उन्होंने इराक के पूर्व तानाशाह सद्दाम हुसैन का उदाहरण दिया. उन्होंने कहा कि सद्दाम की मौत के बाद उनके समर्थक भी खत्म हो गए और ईरान व इराक के बीच संबंध मजबूत हुए. उन्होंने कहा कि क्षेत्रीय शांति की वकालत करने वाले लोग ही इस क्षेत्र में समस्याओं का मुख्य कारण हैं.

यह भी पढ़ें- हिजबुल्लाह के खिलाफ जंग में इजराइल को बड़ा नुकसान, जमीनी लड़ाई में 8 सैनिकों की मौत

रोम/ तेहरान/ तेल अवीव: इजराइल पर ईरान के मिसाइल हमले के बाद पश्चिम एशिया में संघर्ष बढ़ने की आशंका के बीच बुधवार को जी-7 देशों की बैठक हुई. यह बैठक इटली की प्रधानमंत्री जॉर्जिया मेलोनी की ओर से बुलाई गई थी. बाद में सदस्य देशों कनाडा, फ्रांस, जर्मनी, इटली, जापान, ब्रिटेन और अमेरिका ने एक बयान जारी कर मध्य पूर्व में तनाव कम करने के लिए मिलकर काम करने की प्रतिबधता जताई और जोर देकर कहा कि बढ़ते संघर्ष का कूटनीतिक समाधान अभी भी संभव है.

वर्तमान में जी-7 की अध्यक्षता इटली के पास है. इटली से जारी बयान में कहा गया है, "जी-7 ने दोहराया कि क्षेत्रीय स्तर पर संघर्ष किसी के हित में नहीं है और कूटनीतिक समाधान अभी भी संभव है."

अमेरिका ने ईरान पर प्रतिबंध लगाने का आग्रह किया
वहीं, संयुक्त राष्ट्र में अमेरिका की राजदूत लिंडा थॉमस-ग्रीनफील्ड ने मध्य-पूर्व में तनाव पर एक आपात बैठक के दौरान यूएन सुरक्षा परिषद के सदस्यों से ईरान की निंदा करने और उस पर प्रतिबंध लगाने का आग्रह किया. उन्होंने कहा, "यह इस परिषद के लिए एक स्वर में बोलने और दूसरे सदस्य देश के खिलाफ बिना उकसावे के किए गए हमले के लिए ईरान की निंदा करने का समय है."

थॉमस-ग्रीनफील्ड ने कहा कि ईरान पिछले साल 7 अक्टूबर को इजराइल पर हुए हमलों में शामिल था और हमास की मदद की थी. आज से लगभग एक साल पहले किए गए हमास के भयानक हमले के बाद अमेरिका ने ईरान को एक स्पष्ट संदेश भेजा था कि वह स्थिति का इस तरह फायदा न उठाए, जिससे क्षेत्र को बड़े युद्ध में धकेलने का जोखिम हो. उन्होंने कहा कि ईरान ने इस चेतावनी को बार-बार अनदेखा किया.

उन्होंने कहा, "मैं स्पष्ट करना चाहती हूं कि ईरानी शासन को उसके कार्यों के लिए जिम्मेदार ठहराया जाएगा. हम ईरान या उसके प्रॉक्सी समूहों को अमेरिका के खिलाफ कार्रवाई करने, या इइरायल के खिलाफ आगे की कार्रवाई करने के खिलाफ कड़ी चेतावनी देते हैं."

यूरोपीय देश पश्चिम एशिया में समस्याओं का मूल कारण

ईरान के साथ तनाव के बीच ईरान के सर्वोच्च नेता अयातुल्ला अली खामेनेई ने अमेरिका और अन्य यूरोपीय देशों को पश्चिम एशिया में समस्याओं का मूल कारण बताया है. ईरान की सरकारी न्यूज एजेंसी इरना की रिपोर्ट के मुताबिक, बुधवार को तेहरान में ईरानी बुद्धिजीवियों और शीर्ष छात्रों के एक समूह को संबोधित करते हुए खामेनेई ने जोर देकर कहा कि अमेरिका और कुछ यूरोपीय देशों की उपस्थिति के कारण क्षेत्र में संघर्ष, युद्ध, तनाव और शत्रुता पैदा होती है, जो इस क्षेत्र में शांति और स्थिरता की वकालत करने का दावा करते हैं.

उन्होंने कहा कि ये संघर्ष और टकराव पूरी तरह से खत्म हो जाएंगे और क्षेत्रीय देश इस क्षेत्र पर शासन कर सकते हैं और शांति और सुरक्षा के साथ एक साथ रह सकते हैं, अगर ये देश इस क्षेत्र में अपनी दुष्टतापूर्ण हरकतें बंद कर दें.

खामेनेई ने आरोप लगाया कि पश्चिमी देश दूसरे देश को भड़काते हैं. इसके परिणामस्वरूप क्षेत्र में कठिन और कड़वी स्थितियां पैदा होती हैं. उन्होंने इराक के पूर्व तानाशाह सद्दाम हुसैन का उदाहरण दिया. उन्होंने कहा कि सद्दाम की मौत के बाद उनके समर्थक भी खत्म हो गए और ईरान व इराक के बीच संबंध मजबूत हुए. उन्होंने कहा कि क्षेत्रीय शांति की वकालत करने वाले लोग ही इस क्षेत्र में समस्याओं का मुख्य कारण हैं.

यह भी पढ़ें- हिजबुल्लाह के खिलाफ जंग में इजराइल को बड़ा नुकसान, जमीनी लड़ाई में 8 सैनिकों की मौत

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