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रांचीः कोल इंडिया के निजीकरण का विरोध, सोशल डिस्टेंसिंग के साथ किया गया प्रदर्शन - union opposed privatization of Coal India at CMPDI campus in Ranchi

रांची के गांधीनगर स्थित सीएमपीडीआई परिसर में कोयला मजदूर यूनियन (AITUC) के बैनर तले कोयला उद्योग के निजीकरण और श्रम कानून में संशोधन करने के खिलाफ आवाज उठाई गई. साथ ही कोयला उद्योग के निजीकरण करने का मजदूर संगठन ने विरोध किया.

Coal Union opposes the decision to privatize Coal India in Ranchi
रांची में कोल इंडिया के निजीकरण के फैसले का कोयला मजदूर यूनियन ने किया विरोध
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Published : May 22, 2020, 7:00 PM IST

रांची: राजधानी के सीएमपीडीआई परिसर में महिला और पुरुष मजदूरकर्मियों ने एक आवाज में कहा कि केंद्र सरकार के के निजीकरण करने का फैसला बिल्कुल गलत है. सीएमपीडीआई क्रीड़ास्थल पर तमाम कोयला मजदूर यूनियन के लोग उपस्थित हुए. यहां उन्होंने सरकार के कोयला उद्योग के निजीकरण करने के फैसले का विरोध किया. इस दौरान वैश्विक महामारी से बचाव को लेकर सोशल डिस्टेंसिंग का पूरा पालन किया गया.

कोयला मजदूर यूनियन के सचिव अशोक यादव ने कहा कि कोयला क्षेत्र को निजी हाथ में सौंपे जाने का केंद्र सरकार का यह गलत फैसला है. कोल इंडिया को निजी कंपनियों के हाथों में सौंपे जाने का निर्णय कोयला क्षेत्र में काम करने वाले मजदूरों के हित में नहीं है. कोल इंडिया के 500 ब्लॉकों की नीलामी करने के फैसले का मतलब है कि कोल इंडिया विदेशी कंपनियों के हाथों में चली जाएगी. इससे गरीबों को और मजदूरों को कोई फायदा नहीं होने वाला है. वित्त मंत्री का यह निर्णय देश के कोयला मजदूरों के हित में नहीं है. इसका सभी यूनियन विरोध करेंगे.

रांची: राजधानी के सीएमपीडीआई परिसर में महिला और पुरुष मजदूरकर्मियों ने एक आवाज में कहा कि केंद्र सरकार के के निजीकरण करने का फैसला बिल्कुल गलत है. सीएमपीडीआई क्रीड़ास्थल पर तमाम कोयला मजदूर यूनियन के लोग उपस्थित हुए. यहां उन्होंने सरकार के कोयला उद्योग के निजीकरण करने के फैसले का विरोध किया. इस दौरान वैश्विक महामारी से बचाव को लेकर सोशल डिस्टेंसिंग का पूरा पालन किया गया.

कोयला मजदूर यूनियन के सचिव अशोक यादव ने कहा कि कोयला क्षेत्र को निजी हाथ में सौंपे जाने का केंद्र सरकार का यह गलत फैसला है. कोल इंडिया को निजी कंपनियों के हाथों में सौंपे जाने का निर्णय कोयला क्षेत्र में काम करने वाले मजदूरों के हित में नहीं है. कोल इंडिया के 500 ब्लॉकों की नीलामी करने के फैसले का मतलब है कि कोल इंडिया विदेशी कंपनियों के हाथों में चली जाएगी. इससे गरीबों को और मजदूरों को कोई फायदा नहीं होने वाला है. वित्त मंत्री का यह निर्णय देश के कोयला मजदूरों के हित में नहीं है. इसका सभी यूनियन विरोध करेंगे.

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