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व्यावसायिक खनन के लिए प्रस्तावित 9 खदानों से झारखंड को हर साल मिलेंगे 3,200 करोड़ रुपए: प्रल्हाद जोशी

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Published : Jul 30, 2020, 9:14 PM IST

Updated : Jul 30, 2020, 10:40 PM IST

कोयला मंत्री प्रहलाद जोशी ने बृहस्पतिवार को कहा कि सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनी कोल इंडिया के किसी भी कर्मचारी की कोविड-19 के कारण यदि मृत्यु हो जाती है तो उसे दुर्घटनावश मृत्यु माना जाएगा. उन्होंने कहा कि इसमें संबंधित कामगार के परिजनों को उतना ही वित्तीय लाभ मिलेगा जितना कि उन्हें काम करने के दौरान दुर्घटना में मौत होने पर मिलता.

Coal Minister Prahlad Joshi held a meeting with CM
कोयला मंत्री प्रहलाद जोशी ने की सीएम के साथ बैठक

रांची: एक दिवसीय रांची दौरे पर आए कोयला, खान मंत्री प्रल्हाद जोशी व्यवसायिक कोयला खनन के फायदे गिना गए. झारखंड के 9 प्रस्तावित कोयला खदानों के व्यवसायीकरण समेत अन्य मुद्दों को लेकर कोयला मंत्री की मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के साथ लंबी बैठक चली. वर्चुअल प्रेस कॉन्फ्रेंस के जरिए उन्होंने कहा कि 9 कोयला खदानों के आवंटन से राज्य को प्रति वर्ष 3,200 करोड़ रुपए से अधिक का राजस्व प्राप्त होगा. साथ ही राज्य के लोगों के लिए 50,000 से अधिक रोजगार के अवसर भी पैदा होंगे. इसके अलावा डिस्ट्रिक्ट मिनरल फाउंडेशन मद में भी हर साल 17 करोड़ रुपए मिलेंगे. झारखंड में आवंटन के लिए प्रस्तावित लगभग सभी खदानों में 5 से 10 आवेदक आवंटन के लिए आगे आए हैं. इससे राज्य को कई मायनों में लाभ पहुंचेगा और राज्य की प्रगति का नया अध्याय लिखा जाएगा.

ये भी पढ़ें: केंद्रीय कोयला मंत्री का ऐलान, कोविड संक्रमण से मरने वाले कोलकर्मियों को मिलेगा 15 लाख का मुआवजा

कोल इंडिया कर्मियों को क्या दिया

कोयला मंत्री ने कहा कि कोरोना काल में कोल इंडिया के 4 लाख स्थाई कर्मियों के अलावा संविदा कर्मियों ने एक कोरोना वॉरियर्स की तरह अपनी सेवाएं दी. इसकी वजह से देश में कहीं भी बिजली उत्पादन प्रभावित नहीं हुआ. उनके इस सेवा भाव को ध्यान में रखते हुए अगर किसी भी कर्मी की कोरोना की वजह से मृत्यु हो गई तो उसे दुर्घटना मृत्यु माना जाएगा. इसके तहत पीड़ित परिवार को 15 लाख का मुआवजा समय तमाम अन्य सुविधाएं दी जाएंगी. उन्होंने कहा कि भारत को अपनी सालाना कोयला जरूरतों का लगभग 20% कोयला आयात के जरिए पूरा करना पड़ता है. व्यावसायिक कोयला खनन के शुरू होने के बाद स्वतंत्र एवं कैपटिव तापीय बिजली घरों द्वारा किए जाने वाले कोयला आयात को घरेलू कोयले की आपूर्ति से समाप्त किया जा सकेगा. इससे सालाना लगभग 30,000 करोड़ रुपए के आयात बिल की बचत होगी. साथ ही इससे 03 लाख से अधिक कामगारों को प्रत्यक्ष एवं अप्रत्यक्ष रूप से रोजगार देने में भी मदद मिलेगी.

झारखंड के लिए खनन की महत्ता पर जोर देते हुए उन्होंने कहा कि खनन राज्य की लाइफ लाइन है और उसके विकास में बेहद अहम भूमिका अदा करता है. उन्होंने कहा कि झारखंड देश का एकमात्र ऐसा राज्य है, जहां उसकी खनिजों से समृद्ध धरती से तीन-तीन कोयला कंपनियां कोयला खनन करती हैं. कोयला कंपनियां- ईसीएल, बीसीसीएल और सीसीएल अगले 4 वर्षों में झारखंड में लगभग 742 मिलियन टन (एमटी) कोयले का खनन कर राज्य को लगभग 18,889 करोड़ रुपए का राजस्व देंगी. गत 4 वर्षों में प्रति वर्ष लगभग 4000 करोड़ रुपए, यानी 16,000 करोड़ रुपए का कुल राजस्व प्राप्त हुआ है. इन कोयला कंपनियों की होल्डिंग कंपनी, कोल इंडिया लिमिटेड (सीआईएल), अपनी कुल देय रॉयल्टी का लगभग 30% अकेले झारखंड को भुगतान करती है, जबकि राज्य की सीआईएल के कुल कोयला उत्पादन में लगभग 20% की हिस्सेदारी है. सीएमएसपी एक्ट के तहत आवंटित कोयला खदानों से झारखंड सरकार को सालाना 6,564 करोड़ रुपए का राजस्व मिलने की संभावना है. इसके अतिरिक्त, सीआईएल झारखंड में अपने इंफ्रास्ट्रक्चर के विकास के लिए वित्तीय वर्ष 2023-24 तक 37,000 करोड़ रुपए से अधिक का निवेश करेगी.

व्यावसायिक खनन के लिए प्रस्तावित 9 खदानों से झारखंड को हर साल मिलेंगे 3,200 करोड़ रुपए: प्रल्हाद जोशी

रांची: एक दिवसीय रांची दौरे पर आए कोयला, खान मंत्री प्रल्हाद जोशी व्यवसायिक कोयला खनन के फायदे गिना गए. झारखंड के 9 प्रस्तावित कोयला खदानों के व्यवसायीकरण समेत अन्य मुद्दों को लेकर कोयला मंत्री की मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के साथ लंबी बैठक चली. वर्चुअल प्रेस कॉन्फ्रेंस के जरिए उन्होंने कहा कि 9 कोयला खदानों के आवंटन से राज्य को प्रति वर्ष 3,200 करोड़ रुपए से अधिक का राजस्व प्राप्त होगा. साथ ही राज्य के लोगों के लिए 50,000 से अधिक रोजगार के अवसर भी पैदा होंगे. इसके अलावा डिस्ट्रिक्ट मिनरल फाउंडेशन मद में भी हर साल 17 करोड़ रुपए मिलेंगे. झारखंड में आवंटन के लिए प्रस्तावित लगभग सभी खदानों में 5 से 10 आवेदक आवंटन के लिए आगे आए हैं. इससे राज्य को कई मायनों में लाभ पहुंचेगा और राज्य की प्रगति का नया अध्याय लिखा जाएगा.

ये भी पढ़ें: केंद्रीय कोयला मंत्री का ऐलान, कोविड संक्रमण से मरने वाले कोलकर्मियों को मिलेगा 15 लाख का मुआवजा

कोल इंडिया कर्मियों को क्या दिया

कोयला मंत्री ने कहा कि कोरोना काल में कोल इंडिया के 4 लाख स्थाई कर्मियों के अलावा संविदा कर्मियों ने एक कोरोना वॉरियर्स की तरह अपनी सेवाएं दी. इसकी वजह से देश में कहीं भी बिजली उत्पादन प्रभावित नहीं हुआ. उनके इस सेवा भाव को ध्यान में रखते हुए अगर किसी भी कर्मी की कोरोना की वजह से मृत्यु हो गई तो उसे दुर्घटना मृत्यु माना जाएगा. इसके तहत पीड़ित परिवार को 15 लाख का मुआवजा समय तमाम अन्य सुविधाएं दी जाएंगी. उन्होंने कहा कि भारत को अपनी सालाना कोयला जरूरतों का लगभग 20% कोयला आयात के जरिए पूरा करना पड़ता है. व्यावसायिक कोयला खनन के शुरू होने के बाद स्वतंत्र एवं कैपटिव तापीय बिजली घरों द्वारा किए जाने वाले कोयला आयात को घरेलू कोयले की आपूर्ति से समाप्त किया जा सकेगा. इससे सालाना लगभग 30,000 करोड़ रुपए के आयात बिल की बचत होगी. साथ ही इससे 03 लाख से अधिक कामगारों को प्रत्यक्ष एवं अप्रत्यक्ष रूप से रोजगार देने में भी मदद मिलेगी.

झारखंड के लिए खनन की महत्ता पर जोर देते हुए उन्होंने कहा कि खनन राज्य की लाइफ लाइन है और उसके विकास में बेहद अहम भूमिका अदा करता है. उन्होंने कहा कि झारखंड देश का एकमात्र ऐसा राज्य है, जहां उसकी खनिजों से समृद्ध धरती से तीन-तीन कोयला कंपनियां कोयला खनन करती हैं. कोयला कंपनियां- ईसीएल, बीसीसीएल और सीसीएल अगले 4 वर्षों में झारखंड में लगभग 742 मिलियन टन (एमटी) कोयले का खनन कर राज्य को लगभग 18,889 करोड़ रुपए का राजस्व देंगी. गत 4 वर्षों में प्रति वर्ष लगभग 4000 करोड़ रुपए, यानी 16,000 करोड़ रुपए का कुल राजस्व प्राप्त हुआ है. इन कोयला कंपनियों की होल्डिंग कंपनी, कोल इंडिया लिमिटेड (सीआईएल), अपनी कुल देय रॉयल्टी का लगभग 30% अकेले झारखंड को भुगतान करती है, जबकि राज्य की सीआईएल के कुल कोयला उत्पादन में लगभग 20% की हिस्सेदारी है. सीएमएसपी एक्ट के तहत आवंटित कोयला खदानों से झारखंड सरकार को सालाना 6,564 करोड़ रुपए का राजस्व मिलने की संभावना है. इसके अतिरिक्त, सीआईएल झारखंड में अपने इंफ्रास्ट्रक्चर के विकास के लिए वित्तीय वर्ष 2023-24 तक 37,000 करोड़ रुपए से अधिक का निवेश करेगी.

Last Updated : Jul 30, 2020, 10:40 PM IST

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