रांची: भारतीय टीम के धुरंधर पूर्व कप्तान महेंद्र सिंह धोनी ने आज पूरे देश को चौंका दिया. 15 अगस्त के दिन उन्होंने अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट से अलविदा होने की घोषणा कर दी और इसी के साथ उनके शहर रांची के लोग अचंभित हो गए है. उनके कोच चंचल भट्टाचार्य भी काफी दुखी हैं, लेकिन उन्होंने कहा कि सही समय पर सही फैसला आज माही ने लिया हैं. हालांकि मैं उन्हें आगामी वर्ल्ड कप में खेलते देखना चाहता था. मैं काफी दुखी हूं उनके इस चौंकाने वाले फैसले से.
जैसे ही महेंद्र सिंह धोनी के संन्यास की खबरें आईं, ईटीवी भारत की टीम ने क्लब में धोनी के कोच रहे चंचल भट्टाचार्य से फर्स्ट रिएक्शन जानने की कोशिश की. चंचल भट्टाचार्य ने कहा कि माही कभी भी गलत फैसला नहीं लेते हैं, लेकिन मैं उन्हें आगामी वर्ल्ड कप में खेलते देखना चाह रहा था इस वजह से उनके इस फैसले से मैं काफी दुखी हूं.
आज भी उन्होंने सही फैसला लेते हुए सबको चौंका दिया है. उन्होंने कहा कि माही ऐसे क्रिकेटर है जो आईसीसी के तीन खिताब T20, वनडे वर्ल्ड कप और चैंपियंस ट्रॉफी जीतने वाले एकलौते कप्तान रह चुके हैं.
चंचल भट्टाचार्य ने बातचीत के दौरान कहा कि माही का यह फैसला खुद का है. उन्होंने खुद से सोच विचार कर ही यह फैसला लिया है, जितना मैं महेंद्र सिंह धोनी को जानता हूं वह कभी भी बेवजह गुस्सा नहीं करते हैं. अगर गुस्सा आता भी है तो चुपचाप रहकर गुस्सा का इजहार करते हैं.
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1996 से 2004 तक कमांडो क्रिकेट क्लब में धोनी के कोच रहे चंचल ने बताया था कि धोनी अपने सहयोगी प्लेयर के साथ काफी सहज रहते थे. एक कप्तान की भूमिका में वे क्लब के टाइम से ही रहा है.
अगर टीम की कप्तान नहीं भी रहे हैं तो अपने कप्तान को वह डिसीजन लेने का हिम्मत देते थे, जैसा कि इंटरनेशनल क्रिकेट में विराट कोहली को सजेशन देते हुए माही नजर आते थे. वह हमेशा ही अपने सहयोगी खिलाड़ियों का हौसला अफजाई करते थे. क्रिकेट के आलावे अपने दोस्तों के साथ वह काफी मिलनसार हुआ करते हैं.
बैडमिंटन और फुटबॉल में भी धोनी की रूचि
हमेशा शांत रहने वाला धोनी क्रिकेट की फील्ड में आते ही काफी चंचल हो जाते हैं. महेंद्र सिंह धोनी क्रिकेट और फुटबॉल ही नहीं खेलते थे बल्कि बैडमिंटन के प्रति भी उनका लगाव है जब भी वह राजधानी रांची में होते हैं तो बैडमिंटन जरूर खेलते हैं.
इसके अलावा झारखंड स्टेट क्रिकेट एसोसिएशन द्वारा आयोजित कंट्री क्लब बैडमिंटन टूर्नामेंट में भी वह हर वर्ष हिस्सा लेते हैं और पिछले 2 वर्षो से वह विजेता भी रहे हैं और यह शौक उनका बचपन से ही है क्लब क्रिकेट खेलने के दौरान भी वह समय निकालकर बैडमिंटन जरूर खेला करते थे.