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हजारीबाग, पलामू और दुमका मेडिकल कॉलेज में नए प्रवेश पर रोक हटे, सीएम ने दोबारा लिखा पत्र

झारखंड के 3 मेडिकल कॉलेजों हजारीबाग, पलामू और दुमका में नए प्रवेश पर लगी रोक को हटाने की मांग सीएम सोरेन ने की है. उन्होंने केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉ हर्षवर्धन को इस संबंध में पत्र भी लिखा है. साथ ही नेशनल मेडिकल काउंसिल से दोबारा विचार करने का आग्रह किया है.

सीएम का पत्र
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Published : Dec 3, 2020, 12:27 PM IST

रांचीः मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने हजारीबाग, पलामू और दुमका मेडिकल कॉलेज में नए प्रवेश पर रोक के फैसले पर नेशनल मेडिकल काउंसिल से दोबारा विचार करने का आग्रह किया है. इससे पहले पिछले माह भी मुख्यमंत्री ने पत्र भेजा था. मुख्यमंत्री ने केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉ हर्षवर्धन को भी इस बाबत पत्र भेजा है.

उन्होंने अपने पत्र में लिखा है कि तीनों मेडिकल कॉलेज के बिल्डिंग पर निर्माण कार्य पिछले साल ही करीब करीब पूरा हो चुका है. इन तीनों प्रोजेक्ट के लिए केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय की तरफ से 340 करोड़ की राशि स्वीकृत की गई थी.

सीएम का पत्र
सीएम का पत्र

राज्य सरकार ने भी 392.88 करोड़ की राशि जारी कर दी थी. पिछले साल ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने तीनों कैंपस का उद्घाटन भी किया था और मेडिकल काउंसिल आफ इंडिया के परमिशन के बाद तीनों कॉलेजों में 2019 20 के लिए एडमिशन भी हुआ था, लेकिन इस साल नीट का रिजल्ट जारी होने के बाद नेशनल मेडिकल काउंसिल ने तीनों मेडिकल कॉलेज में इंफ्रास्ट्रक्चर और फैकल्टी की कमी का हवाला देते हुए इस साल छात्रों के एडमिशन पर रोक लगा दी है.

मुख्यमंत्री ने अपने पत्र में लिखा है कि इसकी वजह से आदिवासी बहुल इस राज्य के छात्रों का भविष्य अधर में लटक गया है. मुख्यमंत्री का कहना है कि कोविड-19 संक्रमण की वजह से तीनों कॉलेज भवनों में फिनिशिंग, फर्नीचर और इक्विपमेंट को व्यवस्थित करने का काम प्रभावित हुआ था. इंफ्रास्ट्रक्चर से जुड़ी कमियों को 15 दिसंबर तक पूरा कर लिया जाएगा.

यह भी पढ़ेंः सीएम इन एक्शनः आज करेंगे स्वास्थ्य-पर्यटन-खेल युवा मामलों की बैठक, 18 दिसंबर तक चलेगी विभागों की सिलसिलेवार समीक्षा

सीनियर रेजिडेंट, जूनियर रेजिडेंट और पारा मेडिकल कर्मियों की कमी को दूर करने के लिए कवायद जारी है. जहां तक प्रोफेसर और एसोसिएट प्रोफेसर के रिक्त पदों को भरने की बात है तो इस दिशा में कुछ दिक्कतें आ रही हैं.

इन पदों के लिए योग्य उम्मीदवार तीनों पिछड़े जिलों में जाना नहीं चाह रहे हैं. इसे ध्यान में रखते हुए नियुक्ति नियमावली में भी कुछ बदलाव करने की तैयारी की जा रही है. तीनों मेडिकल कॉलेज आकांक्षी जिलों के अंतर्गत आते हैं और नीति आयोग भी ऐसे जिलों के विकास पर विशेष ध्यान दे रही है. लिहाजा छात्रों के हित में वर्ष 2020-21 के लिए एडमिशन पर लगी रोक को हटाना चाहिए.

रांचीः मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने हजारीबाग, पलामू और दुमका मेडिकल कॉलेज में नए प्रवेश पर रोक के फैसले पर नेशनल मेडिकल काउंसिल से दोबारा विचार करने का आग्रह किया है. इससे पहले पिछले माह भी मुख्यमंत्री ने पत्र भेजा था. मुख्यमंत्री ने केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉ हर्षवर्धन को भी इस बाबत पत्र भेजा है.

उन्होंने अपने पत्र में लिखा है कि तीनों मेडिकल कॉलेज के बिल्डिंग पर निर्माण कार्य पिछले साल ही करीब करीब पूरा हो चुका है. इन तीनों प्रोजेक्ट के लिए केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय की तरफ से 340 करोड़ की राशि स्वीकृत की गई थी.

सीएम का पत्र
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राज्य सरकार ने भी 392.88 करोड़ की राशि जारी कर दी थी. पिछले साल ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने तीनों कैंपस का उद्घाटन भी किया था और मेडिकल काउंसिल आफ इंडिया के परमिशन के बाद तीनों कॉलेजों में 2019 20 के लिए एडमिशन भी हुआ था, लेकिन इस साल नीट का रिजल्ट जारी होने के बाद नेशनल मेडिकल काउंसिल ने तीनों मेडिकल कॉलेज में इंफ्रास्ट्रक्चर और फैकल्टी की कमी का हवाला देते हुए इस साल छात्रों के एडमिशन पर रोक लगा दी है.

मुख्यमंत्री ने अपने पत्र में लिखा है कि इसकी वजह से आदिवासी बहुल इस राज्य के छात्रों का भविष्य अधर में लटक गया है. मुख्यमंत्री का कहना है कि कोविड-19 संक्रमण की वजह से तीनों कॉलेज भवनों में फिनिशिंग, फर्नीचर और इक्विपमेंट को व्यवस्थित करने का काम प्रभावित हुआ था. इंफ्रास्ट्रक्चर से जुड़ी कमियों को 15 दिसंबर तक पूरा कर लिया जाएगा.

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सीनियर रेजिडेंट, जूनियर रेजिडेंट और पारा मेडिकल कर्मियों की कमी को दूर करने के लिए कवायद जारी है. जहां तक प्रोफेसर और एसोसिएट प्रोफेसर के रिक्त पदों को भरने की बात है तो इस दिशा में कुछ दिक्कतें आ रही हैं.

इन पदों के लिए योग्य उम्मीदवार तीनों पिछड़े जिलों में जाना नहीं चाह रहे हैं. इसे ध्यान में रखते हुए नियुक्ति नियमावली में भी कुछ बदलाव करने की तैयारी की जा रही है. तीनों मेडिकल कॉलेज आकांक्षी जिलों के अंतर्गत आते हैं और नीति आयोग भी ऐसे जिलों के विकास पर विशेष ध्यान दे रही है. लिहाजा छात्रों के हित में वर्ष 2020-21 के लिए एडमिशन पर लगी रोक को हटाना चाहिए.

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