रांचीः राज्य गठन का 20 वर्ष हो चुका है, इस बीच कई सरकारें आई, झारखंड को अपने सफर में जहां पहुंचना था, वहां नहीं पहुंच सका, अगर झारखंड और यहां के निवासियों का विकास होता है तो भारत का भी विकास होगा. ये बातें मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने हार्वर्ड इंडिया कॉन्फ्रेंस में कहीं. मुख्यमंत्री ने कहा कि झारखंड से देश के विकास की पहल हुई. देश का पहला लाह संस्थान, उद्योग, खाद का कारखाना स्थापित हुआ, रेशम और लाह को कृषि का दर्जा सरकार देगी, एमएसपी भी तय करेंगे.
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'पर्यटन को बढ़ाना है'
मुख्यमंत्री ने कहा कि ऐसे कई उदाहरण हैं, जहां प्रचुर मात्रा में खनिज हैं, वहां की स्थिति कई मायनों में खराब ही दिखी है. कई ऐसे राज्य हैं, जहां खनिज नहीं है, बावजूद वो पर्यटन के बल पर आगे बढ़ रहे हैं. खनिज के मामले में झारखंड आगे है तो क्यों ना पर्यटन को बढ़ावा दिया जाए और गोलियों की आवाज की जगह पर्यटकों की हंसी सुनाई दे.
'श्रमिकों का हित सर्वोपरि'
मुख्यमंत्री ने कहा कि लाखों की संख्या में झारखंड के श्रमिक अन्य राज्य रोजगार की तलाश में जाते हैं. संक्रमण काल में श्रमिकों के प्रति अमानवीय चेहरा नजर आया, श्रमिकों के हित में काम करने की जरूरत है. ऐसी स्थिति में राज्य सरकार ने केंद्र सरकार से लगातार गुहार लगाई कि झारखंड के श्रमिकों को वापस लाया जाए. सबसे पहले झारखंड ने अपने श्रमिकों को लेकर आई, राज्य वापसी के बाद उन्हें रोजगार देने के मनरेगा के तहत 900 लाख मानव दिवस का सृजन किया. संक्रमण काल में एक भी व्यक्ति की मौत भूख से नहीं हुई, हमने उन्हें निःशुल्क पोषक युक्त भोजन दिया.
'आदिवासियों की स्थिति ठीक नहीं'
मुख्यमंत्री ने कहा कि आदिवासियों की स्थिति क्या है, यह महत्वपूर्ण सवाल है. मैं एक आदिवासी हूं और मुख्यमंत्री के पद पर पहुंचा हूं, यह आसान नहीं था. संविधान में प्राप्त संरक्षण के बावजूद आदिवासियों को जगह नहीं दी गई, सदियों ने इन्हें दबाया गया, आज भी यही मानसिकता है, ऐसे समुदाय को बुरी नजरों से देखा जाता है, यह चिंता की बात है. यही वजह है कि सरकार आदिवासी बच्चों को विदेश के प्रतिष्ठित शिक्षण संस्थानों में पढ़ाई का अवसर प्रदान कर रही है. भारत सरकार भी इस तरह की योजना संचालित करती है, आदिवासी बच्चों को योजना का लाभ नहीं मिल पाता है.
'आदिवासियों के हितों की रक्षा प्राथमिकता'
मुख्यमंत्री ने कहा कि आदिवासियों के लिए पॉलिसी में बात तो की जाती है, कार्य इसके विपरीत है. देश में ट्राइबल कौंसिल, आदिवासी मंत्रालय है, संविधान के पांचवीं और छठी अनुसूची में अधिकार प्राप्त है, इसका लाभ आदिवासियों को नहीं मिल रहा है. यही वजह है कि राज्य सरकार ने केंद्र सरकार से आग्रह किया है कि आगामी जनगणना में आदिवासी समूह के लिए अलग कॉलम होना चाहिए, ताकि वो अपनी परंपरा और संस्कृति को संरक्षित कर आगे बढ़ सकें. मुख्यमंत्री ने कहा कि झारखंड में कई तरह के आदिवासी हैं, झारखंड में उनकी अस्मिता की रक्षा के लिए कार्य किया जा रहा है. वर्तमान सरकार ने ट्राइबल यूनिवर्सिटी बनाने का निर्णय लिया है, जिससे शिक्षा के क्षेत्र में इनका सतत विकास हो सके, पूरे देश में आदिवासियों की पहचान कायम रहे, यह प्रयास सरकार का रहेगा, सरकार इन्हीं को केंद्र में रखकर कार्य कर रही है.
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'नौकरी और रोजगार'
मुख्यमंत्री ने कहा कि एक साल संक्रमण काल में बहुत कार्य बाधित हुआ, संक्रमण काल में हमने नई नीतियों का निर्माण किया. नई खेल नीति ला रहे हैं, खिलाड़ियों की सीधी नियुक्ति का प्रावधान किया है, सभी जिला में जिला खेल पदाधिकारी की नियुक्ति की गई. खेल की संभावना को सरकार करीब से देख रही है, झारखंड के महेंद्र सिंह धौनी को सभी जानते हैं. मुख्यमंत्री ने कहा कि युवाओं को रोजगार देने का कार्य हो रहा है, विडंबना रही कि राज्य गठन के बाद मात्र 6 JPSC परीक्षा आयोजित हो सकी, वर्ष 2021 को राज्य सरकार ने नौकरियों का वर्ष घोषित किया है, पूरे साल नौकरी देने का कार्य किया जाएगा.
'सभी वृद्धों को पेंशन का लाभ प्राप्त हो'
मुख्यमंत्री ने बताया कि अक्सर क्षेत्र भ्रमण के क्रम में वृद्धों से बात करने का अवसर प्राप्त होता है. वृद्धों की शिकायत रहती है कि उन्हें पेंशन का लाभ नहीं मिल रहा है. संबंधित पदाधिकारी बताते हैं कि टारगेट पूर्ण हो चुका है, क्या यूनिवर्सल पेंशन देकर ऐसे वृद्धों को लाभान्वित नहीं किया जा सकता. केंद्र सरकार से आग्रह किया गया है कि यह व्यवस्था लागू हो, राज्य सरकार राज्य कोष से इसको बढ़ाया है, वृद्ध भूमिहीन ना रहें, पेंशन से वंचित न रहें, इस दिशा में कार्य हो रहा है.