रांची: झारखंड में कुपोषण के खिलाफ लड़ाई लड़ रही राज्य सरकार ने केन्द्र सरकार से 15वें वित्त आयोग के तहत अनुशंसित राशि को जारी करने का आग्रह किया है. मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने इस संबंध में पीएम मोदी को पत्र लिखकर आयोग द्वारा पूरक पोषाहार मद में अनुशंसित 312 करोड़ जारी करने का आग्रह किया है.
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यह राशि 2020-21 की है, जिसमें पूरक पोषाहार के लिए सामान्य आवंटन के अतिरिक्त 7,735 करोड़ झारखंड सहित देश के अन्य राज्यों के लिए अनुसंशित की गई है. पीएम को लिखे पत्र में मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने राज्य में कुपोषण की समस्या की ओर ध्यान आकृष्ट कराते हुए कहा है कि NFHS-4 सर्वे में झारखंड में भयावह तश्वीर सामने आई है. जिसे देखते हुए राज्य सरकार अपने संसाधनों से 3 से 6 वर्ष तक के बच्चों को आंगनबाड़ी केन्द्रों में पूरक पोषाहार कार्यक्रम के अतिरिक्त इच्छुक बच्चों को सप्ताह में 06 दिन अंडा एवं अन्य प्रोटीनयुक्त भोजन देने पर विचार कर रही है. मुख्यमंत्री ने अपने पत्र में प्रधानमंत्री को झारखंड में अनुसूचित जाति जनजाति की बहुतायत और इनमें कुपोषण पीड़ितों की संख्या को देखते हुए वित्तीय वर्ष 2020-21 और 2021-22 की राशि विमुक्त करने का आग्रह किया है. जिससे कुपोषण के खिलाफ लड़ी जा रही जंग में कोई बाधा नहीं पहुंचे.
झारखंड में कुपोषण एक बहुत बड़ी समस्या है जिस पर काबू पाना एक बड़ी चुनौती है. राष्ट्रीय पोषण सर्वेक्षण के ताजा आंकड़ों के अनुसार देश में सर्वाधिक कुपोषित बच्चे झारखंड में हैं, जो 42.2% है. एनीमिया से झारखंड के 69% बच्चे और 65 % महिलाएं प्रभावित हैं. यूनिसेफ रिपोर्ट के अनुसार देश में 5 वर्ष से कम आयु के बच्चों में लगभग आधे कुपोषण के शिकार हैं. वहीं, झारखंड में 43% बच्चे कम वजन के हैं जबकि 29% गंभीर रूप से कुपोषित हैं. वह अपनी आयु की तुलना में काफी दुबले और नाटे हैं. कुपोषण के कारण इनकी शारिरिक, मानसिक एवं प्रतिरक्षा प्रणाली के विकास के लिए जो आवश्यक पोषक तत्व उन्हें मिलनी चाहिए वह उन्हें नहीं मिल पाया है.