रांचीः प्रदेश के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने कहा कि दूसरे राज्यों में फंसे छात्र-छात्राओं और मजदूरों को वापस लाना उनकी नैतिक जिम्मेदारी थी. यह उनके कर्तव्य पालन का हिस्सा था जिस वजह से लॉक डाउन में फंसे हुए लोग अब वापस लौट रहे हैं.
शनिवार को प्रोजेक्ट बिल्डिंग में पत्रकारों से बात करते हुए उन्होंने कहा कि बहुत सारे लोगों के मन में बीच में ऐसी फीलिंग आ गई थी कि उनके बच्चे वापस आ पाएंगे या नहीं. उन्होंने कहा कि बच्चे काफी पीड़ा और स्ट्रेस में रहे हैं. उन्होंने कहा कि जैसे ही दूसरे प्रदेशों से वह वापस आ रहे हैं उनकी शारीरिक स्थिति अच्छी हो इसके लिए अभिभावक प्रयास करें. उन बच्चों की ठीक से देखभाल करें तथा घर के अंदर भी बच्चों को बेहतर तरीके से रखने की जरूरत है. उन्होंने कहा कि राज्य सरकार के निर्देशों का पालन करें। बच्चे स्वस्थ रहे यही वह चाहते हैं.
एमपी एमएलए के साथ हुई वीसी
वहीं दक्षिणी और उत्तरी छोटानागपुर के विधायकों से हुई वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के संबंध में उन्होंने कहा कि अब फोकस उस विषय पर हो गया है कि लौटने वाले लोगों को कैसे सुविधा प्रदान की जाए. उन्होंने कहा कि लॉकडाउन की वजह से अर्थव्यवस्था का नुकसान हुआ है अब उसे पटरी पर लाना मकसद है. एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि कितनी ट्रेनें आएंगी यह बताना मुश्किल है लेकिन बड़ी संख्या में लोग वापस लौट रहे हैं.
कर्नाटक में फंसे झारखंड वासियों के लिए सेवा संधू लिंक होगा सहायक
वहीं आधिकारिक सूत्रों ने बताया कि झारखंड के बसे प्रवासी जो कर्नाटक में फंसे हैं और वापस लौटना चाहते हैं, उनके लिए वहां की सरकार ने सेवा सिंधु वेब लिंक जारी किया है. इस वेब लिंक http://seva sindhu.karnataka.gov.in पर जाकर वे अपने संबंधित सूचनाएं रजिस्टर करा सकते हैं जिससे दोनों राज्यों की सरकार है आपस में समन्वय कर कर्नाटक में फंसे प्रवासी झारखंड यों को वापस लाने में उचित कदम उठा सकेगी.