रांचीः झारखंड विधानसभा में ध्यानाकर्षण के दौरान कांग्रेस विधायक इरफान अंसारी ने डीवीसी यानी दामोदर वैली कारपोरेशन की मनमानी का मुद्दा उठाया. उन्होंने कहा कि यह कंपनी झारखंड के सारे रिसोर्स का इस्तेमाल करती है लेकिन सीएसआर के तहत मैथन क्षेत्र के आदिवासी और मुस्लिम बहुल गांवों में कोई काम नहीं करती है.इस पर मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने कहा कि डीवीसी पर नकेल कसा जाएगा लेकिन इसके लिए सर्वसम्मति की जरूरत है.
ये भी पढ़ें-डीवीसी को लेकर सत्ता व विपक्ष के बीच घमासान, कांग्रेस ने दी आर्थिक नाकेबंदी की चेतावनी, भाजपा ने किया पलटवार
मुख्यमंत्री ने कहा कि हम सभी वाकिफ हैं कि डीवीसी मोनोपोली की कोशिश में है. यह कंपनी सिर्फ उद्योग घरानों को बिजली देती है, इसको आम लोगों की चिंता नहीं है. मुख्यमंत्री ने कहा कि अगर विपक्ष सहयोग करे तो इस कंपनी पर कड़ी कार्रवाई की जाएगी.
क्या है डीवीसी
दामोदर वैली कारपोरेशन यानी डीवीसी बहुद्देशीय नदी घाटी परियोजना है. जिसकी स्थापना 1948 में की गई. इसकी स्थापना का मकसद बाढ़ नियंत्रण, सिंचाई और विद्युत उत्पादन, पारेषण और वितरण था. यह कोयला, जल और तरल स्रोतों से बिजली उत्पादन करती है. झारखंड के मैथन में इसका पहला भूमिगत पन बिजली केंद्र है और बोकारो में इसका तापीय विद्युत संयंत्र है. इसके जरिए डीवीसी झारखंड राज्य के 7 जिलों में बिजली मुहैया कराती है और राज्य सरकार इस बिजली के लिए डीवीसी को शुल्क का भुगतान करती है.
ये भी पढ़ें-सूना-सूना पुलिस महकमा! IPS अधिकारियों के 22 पद खाली, हर विंग में अफसरों की भारी कमी
क्या है विवाद
दरअसल, राज्य सरकार पर डीवीसी की बड़ी रकम बकाया था. कई बार पत्र लिखने के बाद भी राज्य सरकार ने कंपनी के बकाये का भुगतान नहीं किया तो बीते दिनों केंद्र सरकार ने रिजर्व बैंक में राज्य सरकार के खाते से दो बार में रुपये काट लिए थे. इसके बाद झारखंड की राज्य सरकार ने केंद्र सरकार पर परेशान करने का आरोप लगाया था. राज्य में सत्तारूढ़ दलों ने केंद्र पर सौतेला व्यवहार करने का आरोप लगाया था. उन्होंने आरोप लगाया था कि रिजर्व बैंक केंद्र के इशारे पर पैसे काट रही है. वहीं विपक्षी भारतीय जनता पार्टी ने इसके लिए राज्य सरकार को जिम्मेदार ठहराया था. हटिया विधायक नवीन जायसवाल ने कहा था कि सरकार का डीवीसी के साथ जो एग्रीमेंट था और जिस टर्म कंडीशन के तहत भुगतान करना था. उसमें राज्य सरकार फेल हो गई.