ETV Bharat / state

शहादत दिवस पर अमर शहीद पांडेय गणपत राय को किया याद, मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने दी श्रद्धांजलि - राजधानी रांची में शहीद स्मारक

मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने गुरुवार को झारखंड के अमर शहीद पांडेय गणपत राय के शहादत दिवस पर उन्हें श्रद्धांजलि दी. रांची के शहीद स्थल पर सीएम हेमंत सोरेन ने उनकी तस्वीर पर माल्यार्पण कर उनको याद किया.

CM Hemant Soren remembers Amar Shaheed Pandey Ganpat Rai on Martyrdom Day
शहादत दिवस पर अमर शहीद पांडेय गणपत राय को किया याद
author img

By

Published : Apr 21, 2022, 8:38 PM IST

रांचीः 1857 के प्रथम स्वतंत्रता संग्राम के वीर नायक शहीद पांडेय गणपत राय का गुरुवार को शहादत दिवस है. इस अवसर पर राज्य के लोगों ने अमर शहीद को याद किया. मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने गणपत राय के शहादत दिवस पर राजधानी रांची में शहीद स्मारक की उनकी तस्वीर पर माल्यार्पण कर श्रद्धांजलि दी. इस अवसर पर मुख्यमंत्री ने कहा कि उनका बलिदान हमेशा याद रखा जाएगा. आने वाली पीढ़ी के लिए शहीद पांडेय गणपत राय हमेशा प्रेरणा स्रोत बने रहेंगे.अंग्रेजों के खिलाफ संघर्ष करने वाले अमर वीर शहीद पाण्डेय गणपत राय की शहादत दिवस पर उन्हें शत-शत नमन.

ये भी पढ़ें-झारखंड विधानसभा में मनाया गया शहीद दिवस, भगत सिंह की तस्वीर पर कांग्रेस विधायकों ने किया माल्यार्पण

ये है कहानीः बताया जाता हे कि पांडेय गणपत राय झारखंड के वैसे जमींदार थे जो 1857 के क्रांति के नेता बने थे. वे नागवंशी राजा के भूतपूर्व दीवान थे.इस क्रांति में वे इस क्षेत्र के मुख्य सेना नायक बने और लगातार अपने गुरिल्ला युद्ध से अंग्रेजी सेना और सेनानायकों को परेशान करते रहे. उनका जन्म पुतिया गांव के एक परिवार में 17 फरवरी सन 1809 ई० में हुआ था. उनके पिता का नाम राम कृष्ण राय था. 1857 की क्रांति में विश्वनाथ शाहदेव ने गणपत राय को कमांडर-इन-चीफ के रूप में नामित किया, इसके बाद गणपत राय ने मोर्चा संभाला था.

CM Hemant Soren remembers Amar Shaheed Pandey Ganpat Rai on Martyrdom Day
शहादत दिवस पर अमर शहीद पांडेय गणपत राय को किया याद

गणपत राय ने लगभग 1,100 लोगों की एक सेना इकट्ठी की. वे रामगढ़ में विद्रोही सिपाहियों की भर्ती करने में कामयाब रहे और इस क्षेत्र में आंदोलन को गति प्रदान की, जिससे कई ब्रिटिश अधिकारी इस क्षेत्र से भाग गए. इनका लक्ष्य पलामू होते हुए आरा पहुंचकर कुंवर सिंह को मजबूती प्रदान करना था. हालांकि, जैसे ही वे कुंवर सिंह की सहायता करने के लिए आगे बढे़ 2 अक्टूबर 1857 को मेजर इंग्लिश के नेतृत्व में एक बटालियन ने रोक लिया. लड़ाई में दोनों विद्रोही नेता हार गए और पीछे हट गए. अंततः स्थानीय जमींदारों और अंग्रेजों दोनों के साथ कई झड़पों और लड़ाई के बाद, अधिकारियों ने एक मजबूत खुफिया नेटवर्क बनाने में कामयाबी हासिल की और मार्च 1858 में उन्हें पकड़ लिया गया और फिर उसी वर्ष 21 अप्रैल को उन्हें फांसी दे दी गई.

रांचीः 1857 के प्रथम स्वतंत्रता संग्राम के वीर नायक शहीद पांडेय गणपत राय का गुरुवार को शहादत दिवस है. इस अवसर पर राज्य के लोगों ने अमर शहीद को याद किया. मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने गणपत राय के शहादत दिवस पर राजधानी रांची में शहीद स्मारक की उनकी तस्वीर पर माल्यार्पण कर श्रद्धांजलि दी. इस अवसर पर मुख्यमंत्री ने कहा कि उनका बलिदान हमेशा याद रखा जाएगा. आने वाली पीढ़ी के लिए शहीद पांडेय गणपत राय हमेशा प्रेरणा स्रोत बने रहेंगे.अंग्रेजों के खिलाफ संघर्ष करने वाले अमर वीर शहीद पाण्डेय गणपत राय की शहादत दिवस पर उन्हें शत-शत नमन.

ये भी पढ़ें-झारखंड विधानसभा में मनाया गया शहीद दिवस, भगत सिंह की तस्वीर पर कांग्रेस विधायकों ने किया माल्यार्पण

ये है कहानीः बताया जाता हे कि पांडेय गणपत राय झारखंड के वैसे जमींदार थे जो 1857 के क्रांति के नेता बने थे. वे नागवंशी राजा के भूतपूर्व दीवान थे.इस क्रांति में वे इस क्षेत्र के मुख्य सेना नायक बने और लगातार अपने गुरिल्ला युद्ध से अंग्रेजी सेना और सेनानायकों को परेशान करते रहे. उनका जन्म पुतिया गांव के एक परिवार में 17 फरवरी सन 1809 ई० में हुआ था. उनके पिता का नाम राम कृष्ण राय था. 1857 की क्रांति में विश्वनाथ शाहदेव ने गणपत राय को कमांडर-इन-चीफ के रूप में नामित किया, इसके बाद गणपत राय ने मोर्चा संभाला था.

CM Hemant Soren remembers Amar Shaheed Pandey Ganpat Rai on Martyrdom Day
शहादत दिवस पर अमर शहीद पांडेय गणपत राय को किया याद

गणपत राय ने लगभग 1,100 लोगों की एक सेना इकट्ठी की. वे रामगढ़ में विद्रोही सिपाहियों की भर्ती करने में कामयाब रहे और इस क्षेत्र में आंदोलन को गति प्रदान की, जिससे कई ब्रिटिश अधिकारी इस क्षेत्र से भाग गए. इनका लक्ष्य पलामू होते हुए आरा पहुंचकर कुंवर सिंह को मजबूती प्रदान करना था. हालांकि, जैसे ही वे कुंवर सिंह की सहायता करने के लिए आगे बढे़ 2 अक्टूबर 1857 को मेजर इंग्लिश के नेतृत्व में एक बटालियन ने रोक लिया. लड़ाई में दोनों विद्रोही नेता हार गए और पीछे हट गए. अंततः स्थानीय जमींदारों और अंग्रेजों दोनों के साथ कई झड़पों और लड़ाई के बाद, अधिकारियों ने एक मजबूत खुफिया नेटवर्क बनाने में कामयाबी हासिल की और मार्च 1858 में उन्हें पकड़ लिया गया और फिर उसी वर्ष 21 अप्रैल को उन्हें फांसी दे दी गई.

ETV Bharat Logo

Copyright © 2025 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.