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एक्शन में सीएम हेमंत सोरेन: कोडरमा शिक्षक नियुक्ति मामले में आरोपी पदाधिकारियों के विरुद्ध एसीबी जांच की मिली अनुमति

मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने कोडरमा के तत्कालीन जिला शिक्षा अधीक्षक सहित तीन आरोपियों के विरुद्ध पीई दर्ज करने का आदेश दिया है. मामला शिक्षक नियुक्ति में गड़बड़ी का है. चार सालों बाद एसीबी को स्वीकृति मिली है.

ACB inquiry in Koderma teacher appointment case
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Published : Jul 15, 2023, 8:45 PM IST

रांची: भ्रष्टाचार के खिलाफ जीरो टॉलरेंस की नीति अपनाते हुए मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने कोडरमा में शिक्षक नियुक्ति में गड़बड़ी मामले में तत्कालीन जिला शिक्षा अधीक्षक सहित तीन आरोपियों के विरुद्ध पीई दर्ज करने का आदेश दिया है. भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो हजारीबाग के प्रस्ताव पर सहमति प्रदान करते हुए मुख्यमंत्री ने पीई दर्ज करने की स्वीकृति दी है.

यह भी पढ़ें: रांची: प्राथमिक शिक्षक नियुक्ति मामले में भारी गड़बड़ी, विभाग ने सरकार से की निगरानी जांच की मांग

मुख्यमंत्री की सहमति मिलने के बाद इस मामले में कोडरमा के तत्कालीन जिला शिक्षा अधीक्षक पुरेंद्र विक्रम शाही और जिला शिक्षा अधीक्षक कार्यालय के प्रधान सहायक अजीत कुमार और सहायक धर्मेंद्र कुमार की मुश्किलें बढ़ गई हैं. गौरतलब है कि भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो यानी एसीबी हजारीबाग के द्वारा 27 जून 2019 को इस मामले में कांड दर्ज किया गया था.

शिक्षकों की नियुक्ति में हुई थी गड़बड़ी: यह पूरा मामला शिक्षक नियुक्ति से जुड़ा हुआ है. कोडरमा जिला में शिक्षक नियुक्ति मामले में तत्कालीन जिला शिक्षा अधीक्षक पुरेंद्र विक्रम शाही, प्रखंड शिक्षा प्रसार पदाधिकारी मरकच्चो और प्रधान सहायक अजीत कुमार, लिपिक धर्मेंद्र कुमार पर गड़बड़ी का आरोप है. आरोप है कि जिला शिक्षा अधीक्षक कार्यालय की मिलीभगत से इन्होंने महिलाओं के लिए निर्धारित क्षैतिज आरक्षण का लाभ शिक्षण कार्य के लिए जारी आवासीय प्रमाण पत्र के आधार पर देने और मेधा सूची में अंको की हेराफेरी कर चार अभ्यर्थियों का चयन किया है.

एसीबी की जांच में यह भी पाया गया है कि विज्ञापन की अनदेखी करते हुए आरोपी पदाधिकारी और कर्मचारियों ने विज्ञापन में वर्णित प्रावधान का उल्लंघन किया गया है और नर्सरी शिक्षक प्रमाण पत्र के आधार पर प्रारंभिक और मध्य विद्यालय में शिक्षक नियुक्ति के लिए अभ्यर्थियों का चयन किया गया.

चार सालों बाद मिली अनुमति: इस तरह से फर्जी प्रमाण पत्र के आधार पर प्रारंभिक या मध्य विद्यालय में शिक्षक नियुक्ति हुई थी. इसके अलावे विभागीय अनुमति के बिना परीक्षण में सम्मिलित हुए कुछ पारा शिक्षकों की भी नियुक्ति करने का इन आरोपियों पर आरोप है. इस मामले में एंटी करप्शन ब्यूरो ने साल 2019 में दर्ज आईआर का सत्यापन करने के पश्चात विस्तृत जांच की जांच के लिए पी.ई दर्ज करने की अनुमति मांगी थी. करीब चार साल बाद एसीबी को जांच की अनुमति मिल गई है जिसके बाद इस केस के अनुसंधान में तेजी आने की संभावना है.

रांची: भ्रष्टाचार के खिलाफ जीरो टॉलरेंस की नीति अपनाते हुए मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने कोडरमा में शिक्षक नियुक्ति में गड़बड़ी मामले में तत्कालीन जिला शिक्षा अधीक्षक सहित तीन आरोपियों के विरुद्ध पीई दर्ज करने का आदेश दिया है. भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो हजारीबाग के प्रस्ताव पर सहमति प्रदान करते हुए मुख्यमंत्री ने पीई दर्ज करने की स्वीकृति दी है.

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मुख्यमंत्री की सहमति मिलने के बाद इस मामले में कोडरमा के तत्कालीन जिला शिक्षा अधीक्षक पुरेंद्र विक्रम शाही और जिला शिक्षा अधीक्षक कार्यालय के प्रधान सहायक अजीत कुमार और सहायक धर्मेंद्र कुमार की मुश्किलें बढ़ गई हैं. गौरतलब है कि भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो यानी एसीबी हजारीबाग के द्वारा 27 जून 2019 को इस मामले में कांड दर्ज किया गया था.

शिक्षकों की नियुक्ति में हुई थी गड़बड़ी: यह पूरा मामला शिक्षक नियुक्ति से जुड़ा हुआ है. कोडरमा जिला में शिक्षक नियुक्ति मामले में तत्कालीन जिला शिक्षा अधीक्षक पुरेंद्र विक्रम शाही, प्रखंड शिक्षा प्रसार पदाधिकारी मरकच्चो और प्रधान सहायक अजीत कुमार, लिपिक धर्मेंद्र कुमार पर गड़बड़ी का आरोप है. आरोप है कि जिला शिक्षा अधीक्षक कार्यालय की मिलीभगत से इन्होंने महिलाओं के लिए निर्धारित क्षैतिज आरक्षण का लाभ शिक्षण कार्य के लिए जारी आवासीय प्रमाण पत्र के आधार पर देने और मेधा सूची में अंको की हेराफेरी कर चार अभ्यर्थियों का चयन किया है.

एसीबी की जांच में यह भी पाया गया है कि विज्ञापन की अनदेखी करते हुए आरोपी पदाधिकारी और कर्मचारियों ने विज्ञापन में वर्णित प्रावधान का उल्लंघन किया गया है और नर्सरी शिक्षक प्रमाण पत्र के आधार पर प्रारंभिक और मध्य विद्यालय में शिक्षक नियुक्ति के लिए अभ्यर्थियों का चयन किया गया.

चार सालों बाद मिली अनुमति: इस तरह से फर्जी प्रमाण पत्र के आधार पर प्रारंभिक या मध्य विद्यालय में शिक्षक नियुक्ति हुई थी. इसके अलावे विभागीय अनुमति के बिना परीक्षण में सम्मिलित हुए कुछ पारा शिक्षकों की भी नियुक्ति करने का इन आरोपियों पर आरोप है. इस मामले में एंटी करप्शन ब्यूरो ने साल 2019 में दर्ज आईआर का सत्यापन करने के पश्चात विस्तृत जांच की जांच के लिए पी.ई दर्ज करने की अनुमति मांगी थी. करीब चार साल बाद एसीबी को जांच की अनुमति मिल गई है जिसके बाद इस केस के अनुसंधान में तेजी आने की संभावना है.

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