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CM हेमंत सोरेन ने नौकरशाही को आड़े हाथों लिया, कहा- पारदर्शिता से बच सकते हैं करोड़ों रुपए

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Published : Jan 8, 2020, 3:33 PM IST

झारखंड विधानसभा के विशेष सत्र के तीसरे दिन बुधवार को सदन की पहली पाली की कार्यवाही हंगामेदार रही. पक्ष-विपक्ष कई मुद्दों को लेकर आमने-सामने दिखे. वहीं, मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन भी काफी एक्शन में नजर आए. मुख्यमंत्री ने नौकरशाही का राजनीतिकरण को लेकर तीखा प्रहार करते हुए अपने सरकार में इसे खत्म करने का दावा किया.

CM Hemant Soren decided to abolish bureaucracy in jharkhand
सीएम हेमंत सोरेन

रांची: झारखंड विधानसभा के विशेष सत्र के तीसरे दिन बुधवार को सदन की पहली पाली की कार्यवाही हंगामे की भेंट चढ़ गई. सदन में मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन अपने भाषण के दौरान नौकरशाहों को आड़े हाथों लेते हुए कहा कि नौकरशाही के राजनीतिकरण के खिलाफ हमारी सरकार कठोर कदम उठाएगी.

सीएम हेमंत सोरेन

राज्य के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने नौकरशाही पर तीखा प्रहार करते हुए अधिकारियों-पदाधिकारियों के राजनीतिकरण में संलिप्ता पर कठोर कार्रवाई करने की बात कहा है. उन्होंने कहा कि अब अधिकारियों के कामों को पांच प्रकार से मापा जाएगा. साथ ही काम कर रहे कर्मियों के भयादोहन की इजाजत भी किसी को नहीं दी जाएगी. सीएम ने साफ तौर पर कहा कि हाल के वर्षों में नौकरशाही का राजनीतिकरण हुआ है. सरकारी अफसरों को सत्तारूढ़ राजनीतिक दल के कार्यकर्ता की तरह कार्य करना एक खतरनाक प्रवृत्ति है. उनकी सरकार इस चुनौती से पूरी तरह से अवगत है. उन्होंने कहा कि नौकरशाही को जनता के प्रति जिम्मेदार बनाने के लिए उनकी सरकार कृत संकल्पित है. सरकार कठोरता से इस पर आगे बढ़ेगी.

नौकरशाही को उतरना होगा इन मानक पर खरा

सीएम ने कहा कि नौकरशाही को 5 मानकों में खरा उतरना होगा. पहला नौकरशाही के जनता के प्रति जिम्मेदार को समझना होगा, दूसरा जनप्रतिनिधि के साथ समन्वय बनाएं रखना, तीसरा नियम कानून के दायरे में काम करना, चौथा समय की पाबंदी का ख्याल रखना और पांचवां वंचितों-सोशितों के प्रति संवेदनशील बरतना उनका कर्तव्य होगा.

पारदर्शिता से बच सकते हैं करोड़ों रुपए

सीएम हेमंत सोरेन ने सदन में कहा कि वाणिज्यकर और खनन विभाग में व्याप्त भ्रष्टाचार पर लगाम लगाकर करोड़ों रुपए की बचत की जा सकती है. इन विभागों के न्यायालय में लंबित मामलों का निपटारा कर 15 हजार करोड़ रुपए जुटाया जा सकता है. साथ ही अन्य विभागों में भी पारदर्शिता और ईमानदारी लाकर अरबों रुपए बचाए जा सकते हैं. मुख्यमंत्री ने कहा इस मामले में त्वरित कार्रवाई का निर्देश मुख्य सचिव और एडवोकेट जनरल को दिया है. उन्होंने इसपर साफ कहा कि राज्य के खजाने पर पहला अधिकार गरीबों का होगा.

इसे भी पढ़ें- काले हीरे का काला कारोबार! दो गुटों के वर्चस्व की लड़ाई में कई स्कूटरों में लगा दी आग

बता दें कि 29 दिसंबर को मुख्यमंत्री के रूप में शपथ लेने के बाद पहली बार हेमंत सोरेन स्टेट सेक्रेटेरिएट पहुंचे. वह वहां मौजूद कर्मियों से साफ कहा कि उनके साथ इस तरह का भेदभाव नहीं होगा. मुख्यमंत्री ने अनौपचारिक संबोधन में कहा था कि ऐसी कार्य प्रणाली विकसित की जाए, जिससे झारखंड के कर्मियों की पहचान पूरे देश में हो सके.

रांची: झारखंड विधानसभा के विशेष सत्र के तीसरे दिन बुधवार को सदन की पहली पाली की कार्यवाही हंगामे की भेंट चढ़ गई. सदन में मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन अपने भाषण के दौरान नौकरशाहों को आड़े हाथों लेते हुए कहा कि नौकरशाही के राजनीतिकरण के खिलाफ हमारी सरकार कठोर कदम उठाएगी.

सीएम हेमंत सोरेन

राज्य के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने नौकरशाही पर तीखा प्रहार करते हुए अधिकारियों-पदाधिकारियों के राजनीतिकरण में संलिप्ता पर कठोर कार्रवाई करने की बात कहा है. उन्होंने कहा कि अब अधिकारियों के कामों को पांच प्रकार से मापा जाएगा. साथ ही काम कर रहे कर्मियों के भयादोहन की इजाजत भी किसी को नहीं दी जाएगी. सीएम ने साफ तौर पर कहा कि हाल के वर्षों में नौकरशाही का राजनीतिकरण हुआ है. सरकारी अफसरों को सत्तारूढ़ राजनीतिक दल के कार्यकर्ता की तरह कार्य करना एक खतरनाक प्रवृत्ति है. उनकी सरकार इस चुनौती से पूरी तरह से अवगत है. उन्होंने कहा कि नौकरशाही को जनता के प्रति जिम्मेदार बनाने के लिए उनकी सरकार कृत संकल्पित है. सरकार कठोरता से इस पर आगे बढ़ेगी.

नौकरशाही को उतरना होगा इन मानक पर खरा

सीएम ने कहा कि नौकरशाही को 5 मानकों में खरा उतरना होगा. पहला नौकरशाही के जनता के प्रति जिम्मेदार को समझना होगा, दूसरा जनप्रतिनिधि के साथ समन्वय बनाएं रखना, तीसरा नियम कानून के दायरे में काम करना, चौथा समय की पाबंदी का ख्याल रखना और पांचवां वंचितों-सोशितों के प्रति संवेदनशील बरतना उनका कर्तव्य होगा.

पारदर्शिता से बच सकते हैं करोड़ों रुपए

सीएम हेमंत सोरेन ने सदन में कहा कि वाणिज्यकर और खनन विभाग में व्याप्त भ्रष्टाचार पर लगाम लगाकर करोड़ों रुपए की बचत की जा सकती है. इन विभागों के न्यायालय में लंबित मामलों का निपटारा कर 15 हजार करोड़ रुपए जुटाया जा सकता है. साथ ही अन्य विभागों में भी पारदर्शिता और ईमानदारी लाकर अरबों रुपए बचाए जा सकते हैं. मुख्यमंत्री ने कहा इस मामले में त्वरित कार्रवाई का निर्देश मुख्य सचिव और एडवोकेट जनरल को दिया है. उन्होंने इसपर साफ कहा कि राज्य के खजाने पर पहला अधिकार गरीबों का होगा.

इसे भी पढ़ें- काले हीरे का काला कारोबार! दो गुटों के वर्चस्व की लड़ाई में कई स्कूटरों में लगा दी आग

बता दें कि 29 दिसंबर को मुख्यमंत्री के रूप में शपथ लेने के बाद पहली बार हेमंत सोरेन स्टेट सेक्रेटेरिएट पहुंचे. वह वहां मौजूद कर्मियों से साफ कहा कि उनके साथ इस तरह का भेदभाव नहीं होगा. मुख्यमंत्री ने अनौपचारिक संबोधन में कहा था कि ऐसी कार्य प्रणाली विकसित की जाए, जिससे झारखंड के कर्मियों की पहचान पूरे देश में हो सके.

Intro:इससे जुड़ा फीड लाइव व्यू से गया है

रांची। राज्य के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने नौकरशाही पर तीखा प्रहार करते हुए कहा कि उसे पांच मांगों पर प्रकार मापा जाएगा। साथ ही काम कर रहे कर्मियों के भयादोहन की इजाजत भी किसी को नहीं हुई होगी।
सीएम ने साफ तौर पर कहा कि हाल के वर्षों में नौकरशाही का राजनीतिकरण हुआ है। सरकारी अफसरों को सत्तारूढ़ राजनीतिक दल के कार्यकर्ता की तरह कार्य करना एक खतरनाक प्रवृत्ति है। उनकी सरकार इस चुनौती से पूरी तरह से अवगत है। उन्होंने कहा कि नौकरशाही को जनता के प्रति जिम्मेदार बनाने के लिए कृत संकल्पित हैं। उन्होंने कहा कि सरकार कठोरता से इस पर आगे बढ़ेगी।


Body:नौकरशाही को उतरना होगा इन मानक पर खरा
सीएम ने कहा कि नौकरशाही को 5 मानकों में खरा उतरना होगा। पहला नौकरशाही के जनता के प्रति जिम्मेदार हो, दूसरा जनप्रतिनिधि के साथ समन्वय में बनाएं, तीसरा नियम कानून के दायरे में काम करें, चौथा समय की पाबंदी रखें और पांचवा वंचितों के प्रति संवेदनशील हो।

पारदर्शिता से बच सकते हैं करोड़ों रुपये
खनन और अन्य विभागों में भ्रष्टाचार के खिलाफ होगा एक्शन
उन्होंने कहा कि वाणिज्यकर और खनन विभाग में व्याप्त भ्रष्टाचार पर लगाम लगाकर इन विभागों के न्यायालय में लंबित मामलों का निपटारा कर लो 15,000 करोड़ रुपए जुटाए जा सकते हैं। साथ ही अन्य विभागों में भी पारदर्शिता और ईमानदारी लाकर अरबों रुपए बचा जा सकते हैं। मुख्यमंत्री ने कहा इस मामले में त्वरित कार्रवाई का निदेश मुख्य सचिव और एडवोकेट जनरल को दिया है उन्होंने साफ कहा कि राज्य के खजाने पर पहला अधिकार गरीबों का है।


Conclusion:बता दें कि 29 दिसंबर को मुख्यमंत्री के रूप में शपथ लेने के बाद पहली बार स्टेट सेक्रेटेरिएट पहुंचे सोरेन ने वहां मौजूद कर्मियों से साफ कहा कि उनके साथ इस तरह का भेदभाव नहीं होगा। मुख्यमंत्री ने अनौपचारिक संबोधन में कहा था कि ऐसी कार्य प्रणाली विकसित की जाए जिससे झारखंड के कर्मियों की पहचान पूरे देश मे हो।
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