रांचीः शहीद निर्मल महतो की आज 34वीं पुण्यतिथि है. इस मौके पर मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने शहीद निर्मल महतो की तस्वीर पर माल्यार्पण कर श्रद्धांजलि दी. मुख्यमंत्री ने कहा कि कोरोना महामारी के बीच आज पूरा राज्य कोविड-19 प्रोटोकॉल के तहत शहीद निर्मल महतो के शहादत दिवस को मना रहा है.
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शहीद निर्मल महतो को याद करते हुए मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने कहा कि झारखंड अलग राज्य के आंदोलन में उन्होंने अग्रणी भूमिका निभाई थी. सीएम ने कहा कि शहीद निर्मल महतो युवाओं के मार्गदर्शक रहे. भले आज वो इस दुनिया में नहीं हैं, पर वो हमेशा झारखंडवासियों के दिलों में बसे रहेंगे. मुख्यमंत्री ने शहीद निर्मल महतो को झारखंड आंदोलन का प्रणेता बताया.
झारखंड आंदोलनकारी शहीद निर्मल महतो के शहादत दिवस पर जमशेदपुर के कदमा उलियान में स्थित समाधि स्थल पर झारखंड के स्वास्थ्य मंत्री बन्ना गुप्ता और परिवहन मंत्री चंपई सोरेन ने श्रद्धांजलि अर्पित की. इस मौके पर स्वास्थ्य मंत्री बन्ना गुप्ता ने कहा कि अलग राज्य के लिए आंदोलन करने वाले शहीद निर्मल महतो की शहादत को झारखंड कभी नहीं भूलेगा. निर्मल महतो के सपनो का झारखंड में सुदूर ग्रामीण क्षेत्र में विकास के लिए सरकार संकल्पित है.
स्वास्थ्य मंत्री बन्ना गुप्ता ने बताया कि झारखंड आंदोलनकारियों का प्रदेश है. झारखंड के जितने भी वीर शहीद हैं, उनसे हमें प्रेरणा मिलती है. संघर्षशील जीवन के साथ शहादत देने वालों की शहादत को हम कभी नहीं भूलेंगे. इस दौरान झारखंड मुक्ति मोर्चा के जिला अध्यक्ष रामदास सोरेन और पार्टी के कार्यकर्ताओं ने भी शहीद निर्मल महतो को श्रद्धांजलि देकर उनको याद किया.
कोरोना काल को देखते हुए शहीद निर्मल महतो के शहादत दिवस पर कोई बड़ा आयोजन नहीं हुआ. प्रखंड स्तर पर पार्टी के कार्यकर्ताओं ने उन्हें श्रद्धांजलि देकर उनको याद किया. वहीं दूसरे राजनीतिक दल के स्थानीय नेताओं और कार्यकर्ताओं ने भी उन्हें श्रद्धांजलि दी.
जमशेदपुर में बिष्टुपुर चमरिया गेस्ट हाउस के हुई थी हत्या
जमशेदपुर के कदमा उलियान में रहने वाले अलग राज्य झारखंड के लिए आंदोलन करने वाले निर्मल महतो की बिष्टुपुर चमरिया गेस्ट हाउस के पास 8 अगस्त 1987 की सुबह गोली मारकर हत्या कर दी गई थी. उस दौरान निर्मल महतो झारखंड मुक्ति मोर्चा के केंद्रीय अध्यक्ष थे. इस हत्याकांड के बाद झारखंड अलग राज्य के आंदोलन उग्र हो गया था. जिसे देखते हुए तत्कालीन बिहार सरकार को झारखंड अलग राज्य के गठन के लिए अपनी अनुशंसा भेजनी पड़ी. निर्मल महतो की शहादत के बाद शिबू सोरेन को पार्टी का केंद्रीय अध्यक्ष बनाया गया, जिनके नेतृत्व में झारखंड अलग राज्य बना.
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झारखंड आंदोलन के प्रखर नेता निर्मल महतो- एक परिचय
निर्मल महतो ने झारखंड के लिए आंदोलन चलाया था और सूदखोरों के खिलाफ आंदोलन किया था. आज अगर संयुक्त बिहार से झारखंड अलग हुआ और सूदखोरों एवं सामंतों से ग्रामीणों को राहत मिली है, तो इसमें इनकी मुहिम का भी असर रहा. झारखंड के सबसे बड़े छात्र संगठन आजसू का जन्म इन्हीं के अथक प्रयास से हुआ था. झामुमो सुप्रीमो शिबू सोरेन (दिशोम गुरु) ने इनकी आंदोलनकारी छवि को देखते हुए निर्मल महतो को 1980 में पार्टी में शामिल किया था.
निर्मल महतो ने शोषण के विरुद्ध एवं गरीबों ,मजदूरों, किसानों के हक के लिए आवाज उठायी. शिबू सोरेन निर्मल महतो से इतने प्रभावित हुए कि तीन वर्ष बाद ही उन्होंने निर्मल महतो को झामुमो का केंद्रीय अध्यक्ष बना दिया और खुद महासचिव बन गए. 25 दिसंबर 1950 को जन्मे निर्मल महतो ने पार्टी की कमान संभालते ही सबसे पहले छात्र संगठन ऑल झारखंड स्टूडेंट्स यूनियन का गठन किया. उन्होंने इसकी कमान प्रभाकर तिर्की और सूर्य सिंह बेसरा को सौंप दी.
जिसमें तय हुआ था कि झारखंड मुक्ति मोर्चा वैचारिक लड़ाई लड़ती रहेगी, जबकि जमीनी स्तर पर युवाओं को जोड़ने का काम आजसू के जिम्मे रहेगा. उन्होंने आजसू के नेताओं को आंदोलन की बारीकियों से अवगत कराने के लिए दार्जिलिंग में सुभाष घीसिंग और ऑल असम स्टूडेंट्स यूनियन के नेता प्रफुल्ल कुमार महंत और भृगु कुमार फूकन से मिलने असम भी भेजा.
झारखंड अलग राज्य के लिए आंदोलन ने इस कदर रफ्तार पकड़ ली कि तत्कालीन प्रधानमंत्री राजीव गांधी और तत्कालीन गृह मंत्री बूटा सिंह को दिल्ली में कई बार आजसू से वार्ता करनी पड़ी. आखिरकार झारखंड स्वायत्तशाषी परिषद, फिर झारखंड अलग राज्य का गठन हुआ. लेकिन यह देखने के लिए निर्मल महतो जीवित नहीं रहे. 8 अगस्त 1987 को निर्मल महतो की हत्या कर दी गई .