रांचीः दुष्कर्म एक ऐसा शब्द है जिसे सुनते ही आपका खून खौलने लगता है. आए दिन होने वाली रेप की घटनाओं को सुन कर मन अशांत हो जाता है. लेकिन क्या आप जानते हैं दुष्कर्म के 40 प्रतिशत मामलो में आरोपी पीड़िता के करीबी होते हैं(close people are accused in rape cases), यानी अधिकांश मौकों पर बहन-बेटियां अपने कारीबियों के ही हवस का शिकार बन जाती हैं. राज्य सीआईडी के आंकड़े हो या एनसीआरबी के आंकड़े कम से कम पिछले आठ वर्षों से लगातार ऐसी ही रिपोर्ट सामने आ रही है. इस बार के एनसीआरबी की रिपोर्ट में भी झारखंड में दुष्कर्म (rape cases in jharkhand )को लेकर जो आंकड़े जारी किए गए हैं उनमें भी ज्यादातर आरोपी परिचित ही हैं.
1425 मामले ,230 में निकले आरोपी परिचितः एनसीआरबी के आंकड़ों के अनुसार साल 2021 में झारखंड में दुष्कर्म के 1425 मामले थानों मे रिपोर्ट हुए, जिनमें से 230 मामलों में दुष्कर्म के आरोपी नजदीकी दोस्त, पड़ोसी और रिश्तेदार थे. इन मामलों में किसी ने घर में अकेला पाकर पीड़िता के साथ दुष्कर्म किया तो किसी ने दोस्ती के बहाने बाहर ले जाकर खुद भी गलत किया और अपने दोस्तों से भी करवाया.
55 मामलों में घर में ही हुआ दुष्कर्मः 55 मामलों में तो पीड़िता को घर में रहते हुए भी दुष्कर्म का शिकार बनना पड़ा. इन मामलों में सगे संबंधियों पर रेप की एफआईआर दर्ज हुई है.
295 नाबालिगों को बनाया गया शिकारः 2021 में 295 नाबालिगों को हवस के दरिंदों ने शिकार बनाया. सबसे हैरानी की बात तो यह है कि इनमें से 62 बच्चों की उम्र 12 साल से भी कम थी. इन मामलों में ज्यादातर आरोपी बच्चियों के नजदीकी थे.
दुष्कर्म के प्रयास के मामले भी आये सामनेः 2021 में 164 बच्चों के साथ दुष्कर्म का प्रयास का मामला भी सामने आया है. वहीं कुल 1339 छेड़खानी की घटनाएं भी हुईं थी. जिन 1340 महिलाओं के साथ छेड़खानी हुई. उनमें 46 नाबालिग थी बाकी सभी 18 साल से ज्यादा उम्र की थी.
कोरोना काल में नहीं रुके थे दुष्कर्म के मामलेः कोरोना काल के दौरान जब संपत्ति मूलक अपराधों पर महीनों तक ब्रेक लगा रहा. हत्या, लूट, छिनतई और सड़क हादसे में भी ब्रेक लगा. लेकिन उस दौरान भी रेप के मामले नहीं रुके थे. लॉक डाउन से लेकर अनलॉक तक पूरे झारखंड में महिलाओं के खिलाफ अपराध के कई गंभीर मामले सामने आए थे. 2020 में लॉकडाउन से लेकर अनलॉक तक के मिले दुष्कर्म के आंकड़े बेहद चौंकाने वाले और गंभीर हैं. लॉकडाउन में सबसे ज्यादा मासूम बच्चियों के साथ दुष्कर्म की वारदात को अंजाम दिया गया और अधिकांश आरोपी उनके परिचित ही निकले.
भयावह हैं आंकड़ेः पूरे देश में पूर्ण रुप से लॉकडाउन के दौरान झारखंड में केवल अप्रैल 2020 महीने में झारखंड के अलग-अलग थानों में 104 दुष्कर्म की वारदातें दर्ज हुई. वहीं 23 मार्च से लेकर 21 मई के बीच झारखंड के अलग-अलग जिलों में दुष्कर्म की कुल 155 वारदात दर्ज किए गए हैं. इन वारदातों में 17 गैंगरेप के वारदात भी शामिल हैं. सबसे खौफनाक बात यह है कि रांची में लॉकडाउन की अवधि में 22 नाबालिगों को भी दरिंदों ने अपना शिकार बनाया था. झारखंड पुलिस से मिले आंकड़ों के अनुसार लॉकडाउन से ठीक पहले यानी जनवरी 2020 में दुष्कर्म के 151 मामले सामने आए थे. फरवरी महीने में 142 और मार्च महीने में 150 मामले दर्ज किए गए थे. 2020 में अधिकांश समय लॉकडाउन लगा रहा. इसके बावजूद राज्य भर में 900 से ज्यादा रेप की वारदातें रिपोर्ट हुईं और अधिकतर मामलों में आरोपी नजदीकी ही निकले.
2019 में भयावह थे आंकड़ेः वहीं अगर साल 2019 में झारखंड में दुष्कर्म के मामलों की बात करें तो यह आंकड़ा 1742 था. यानी झारखंड में 24 घंटे में 4 से अधिक दुष्कर्म की वारदातें सामने आती नहीं. सीडब्ल्यूसी के आंकड़े की माने तो नाबालिग से दुष्कर्म के अधिकांश आरोपी उनके सगे संबंधी ही निकले हैं.
सतर्क रहें - सब पर विश्वास न करेः झारखंड पुलिस के अधिकारियों के अनुसार जो रेप के मामले अधिकांशत आए हैं, उनमें रेप करने वाला पीड़ित का परिचित ही निकला है या तो वह दोस्त था या फिर पीड़ित के दोस्त का दोस्त. ऐसे में लड़कियों को यह समझना होगा कि वह किसी पर भी आंख बंद करके भरोसा ना करे. साथ ही अगर उन्हें किसी भी तरह का खतरा लगता है तो तुरंत पुलिस को संपर्क करें या फिर अपने मां बाप को भी पूरी बात बताए. ताकि समय रहते इस तरह के अपराधों से उन्हें बचाया जा सके. वही मां बाप को भी यह जांचना होगा कि उनके कौन रिश्तेदार या फिर परिचित दोहरे चरित्र के हैं ताकि वह अपने बच्चों को उनसे दूर रख सके.
अपने ही लगा रहे चुनरी में दाग, दुष्कर्म के मामलों में आरोपी निकल रहे करीबी - झारखंड में दुष्कर्म
दुष्कर्म की घटना मानव समाज पर धब्बा हैं. लेकिन इन घटनाओं को लेकर कुछ चौंकाने वाले तथ्य भी हैं. झारखंड में पिछले कुछ सालों में दुष्कर्म के आंकड़े चिंताजनक (rape cases in jharkhand )हैं. उससे भी ज्यादा शर्मसार करने वाली बात यह है कि ज्यादातर मामलों में दुष्कर्मी पीड़ित के नजदीकी ही हैं.
रांचीः दुष्कर्म एक ऐसा शब्द है जिसे सुनते ही आपका खून खौलने लगता है. आए दिन होने वाली रेप की घटनाओं को सुन कर मन अशांत हो जाता है. लेकिन क्या आप जानते हैं दुष्कर्म के 40 प्रतिशत मामलो में आरोपी पीड़िता के करीबी होते हैं(close people are accused in rape cases), यानी अधिकांश मौकों पर बहन-बेटियां अपने कारीबियों के ही हवस का शिकार बन जाती हैं. राज्य सीआईडी के आंकड़े हो या एनसीआरबी के आंकड़े कम से कम पिछले आठ वर्षों से लगातार ऐसी ही रिपोर्ट सामने आ रही है. इस बार के एनसीआरबी की रिपोर्ट में भी झारखंड में दुष्कर्म (rape cases in jharkhand )को लेकर जो आंकड़े जारी किए गए हैं उनमें भी ज्यादातर आरोपी परिचित ही हैं.
1425 मामले ,230 में निकले आरोपी परिचितः एनसीआरबी के आंकड़ों के अनुसार साल 2021 में झारखंड में दुष्कर्म के 1425 मामले थानों मे रिपोर्ट हुए, जिनमें से 230 मामलों में दुष्कर्म के आरोपी नजदीकी दोस्त, पड़ोसी और रिश्तेदार थे. इन मामलों में किसी ने घर में अकेला पाकर पीड़िता के साथ दुष्कर्म किया तो किसी ने दोस्ती के बहाने बाहर ले जाकर खुद भी गलत किया और अपने दोस्तों से भी करवाया.
55 मामलों में घर में ही हुआ दुष्कर्मः 55 मामलों में तो पीड़िता को घर में रहते हुए भी दुष्कर्म का शिकार बनना पड़ा. इन मामलों में सगे संबंधियों पर रेप की एफआईआर दर्ज हुई है.
295 नाबालिगों को बनाया गया शिकारः 2021 में 295 नाबालिगों को हवस के दरिंदों ने शिकार बनाया. सबसे हैरानी की बात तो यह है कि इनमें से 62 बच्चों की उम्र 12 साल से भी कम थी. इन मामलों में ज्यादातर आरोपी बच्चियों के नजदीकी थे.
दुष्कर्म के प्रयास के मामले भी आये सामनेः 2021 में 164 बच्चों के साथ दुष्कर्म का प्रयास का मामला भी सामने आया है. वहीं कुल 1339 छेड़खानी की घटनाएं भी हुईं थी. जिन 1340 महिलाओं के साथ छेड़खानी हुई. उनमें 46 नाबालिग थी बाकी सभी 18 साल से ज्यादा उम्र की थी.
कोरोना काल में नहीं रुके थे दुष्कर्म के मामलेः कोरोना काल के दौरान जब संपत्ति मूलक अपराधों पर महीनों तक ब्रेक लगा रहा. हत्या, लूट, छिनतई और सड़क हादसे में भी ब्रेक लगा. लेकिन उस दौरान भी रेप के मामले नहीं रुके थे. लॉक डाउन से लेकर अनलॉक तक पूरे झारखंड में महिलाओं के खिलाफ अपराध के कई गंभीर मामले सामने आए थे. 2020 में लॉकडाउन से लेकर अनलॉक तक के मिले दुष्कर्म के आंकड़े बेहद चौंकाने वाले और गंभीर हैं. लॉकडाउन में सबसे ज्यादा मासूम बच्चियों के साथ दुष्कर्म की वारदात को अंजाम दिया गया और अधिकांश आरोपी उनके परिचित ही निकले.
भयावह हैं आंकड़ेः पूरे देश में पूर्ण रुप से लॉकडाउन के दौरान झारखंड में केवल अप्रैल 2020 महीने में झारखंड के अलग-अलग थानों में 104 दुष्कर्म की वारदातें दर्ज हुई. वहीं 23 मार्च से लेकर 21 मई के बीच झारखंड के अलग-अलग जिलों में दुष्कर्म की कुल 155 वारदात दर्ज किए गए हैं. इन वारदातों में 17 गैंगरेप के वारदात भी शामिल हैं. सबसे खौफनाक बात यह है कि रांची में लॉकडाउन की अवधि में 22 नाबालिगों को भी दरिंदों ने अपना शिकार बनाया था. झारखंड पुलिस से मिले आंकड़ों के अनुसार लॉकडाउन से ठीक पहले यानी जनवरी 2020 में दुष्कर्म के 151 मामले सामने आए थे. फरवरी महीने में 142 और मार्च महीने में 150 मामले दर्ज किए गए थे. 2020 में अधिकांश समय लॉकडाउन लगा रहा. इसके बावजूद राज्य भर में 900 से ज्यादा रेप की वारदातें रिपोर्ट हुईं और अधिकतर मामलों में आरोपी नजदीकी ही निकले.
2019 में भयावह थे आंकड़ेः वहीं अगर साल 2019 में झारखंड में दुष्कर्म के मामलों की बात करें तो यह आंकड़ा 1742 था. यानी झारखंड में 24 घंटे में 4 से अधिक दुष्कर्म की वारदातें सामने आती नहीं. सीडब्ल्यूसी के आंकड़े की माने तो नाबालिग से दुष्कर्म के अधिकांश आरोपी उनके सगे संबंधी ही निकले हैं.
सतर्क रहें - सब पर विश्वास न करेः झारखंड पुलिस के अधिकारियों के अनुसार जो रेप के मामले अधिकांशत आए हैं, उनमें रेप करने वाला पीड़ित का परिचित ही निकला है या तो वह दोस्त था या फिर पीड़ित के दोस्त का दोस्त. ऐसे में लड़कियों को यह समझना होगा कि वह किसी पर भी आंख बंद करके भरोसा ना करे. साथ ही अगर उन्हें किसी भी तरह का खतरा लगता है तो तुरंत पुलिस को संपर्क करें या फिर अपने मां बाप को भी पूरी बात बताए. ताकि समय रहते इस तरह के अपराधों से उन्हें बचाया जा सके. वही मां बाप को भी यह जांचना होगा कि उनके कौन रिश्तेदार या फिर परिचित दोहरे चरित्र के हैं ताकि वह अपने बच्चों को उनसे दूर रख सके.