रांचीः पिछले 7 सालों में रांची पुलिस जिस हत्याकांड की गुत्थी को नहीं सुलझा पाई उसे अब सीआईडी समझाने की कोशिश करेगी. साल 2013 में रांची के डोरंडा थाना क्षेत्र में हुए डीजे आलोक आनंद की हत्या की जांच अब झारखंड सीआईडी की टीम करेगी.
क्या है पूरा मामला
रांची के डीजे आलोक आनंद की हत्या की जांच की जिम्मेदारी सीआईडी को सौंप दी गई है. 20 मई 2013 को डोरंडा स्थित जैप वन परिसर के पीछे स्थित क्वार्टर के समीप आलोक आनंद का सिर कटा हुआ शव बरामद किया गया था. कटे हुए धड़ का सिर 4 दिन बाद डोरंडा के ही कुसई इलाके से बरामद किया गया था. मामले में सात साल बीत जाने के बाद भी पुलिस मुख्य आरोपी को गिरफ्तार नहीं कर पाई थी, वहीं अभी तक जांच भी लंबित है. हत्याकांड की गुत्थी नहीं सुलझ पाने की वजह से मृतक के परिजनों ने एनएचआरसी आरसी से गुहार लगाई थी. जिसके बाद एनएचआरसी ने सीआईडी जांच की अनुशंसा की थी. एनएचआरसी की अनुशंसा के आधार पर झारखंड पुलिस मुख्यालय ने जांच का आदेश सीआईडी को दिया है. सीआईडी एडीजी अनिल पलटा ने बताया कि हत्याकांड में जांच के लिए इंस्पेक्टर स्तर के अधिकारी को मुख्य अनुसंधानक बनाया गया है. इसके अलावा एक अन्य इंस्पेक्टर और दरोगा को जांच में सहायता देने के लिए सहायक अनुसंधानक बनाया गया है.
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प्रारंभिक जांच में अवैध संबंध को बताई गई था हत्या की वजह
आलोक आनंद की हत्या के बाद रांची के डोरंडा थाना में अज्ञात अपराधियों के खिलाफ हत्या की प्राथमिकी दर्ज की गई थी. शुरुआती जांच में डोरंडा पुलिस ने पाया था कि जैप वन के जवान हरि गुरुंग, सनी गुरुंग और एक अन्य आरोपी की भूमिका पाई थी. इस मामले में शुरुआती जांच में पुलिस हत्या की वजह अवैध संबंध माना था. पुलिस को जानकारी मिली थी उसके अनुसार आलोक का संबंध एक आरोपी की पत्नी के साथ था, जिसकी जानकारी उसे हो गई थी, एक साथ पकड़े जाने के बाद उसने आलोक की हत्या कर दी थी. हत्या के बाद शव को घर के पास ही फेंक दिया था. जबकि सिर को कुसई इलाके के खेत में फेंक दिया गया था. हालांकि हत्याकांड में मुख्य आरोपी को पुलिस सात साल में गिरफ्तार नहीं कर पाई है.