ETV Bharat / state

क्रिसमस को लेकर बाजारों में रौनक, प्रभु ईसा मसीह के जन्मदिन में चरनी का है विशेष महत्व

author img

By

Published : Dec 23, 2020, 9:34 PM IST

झारखंड समेत पूरे देश में कोरोना काल के बीच क्रिसमस की तैयारी पूरी हो गई है. इस पर्व में चरनी का विशेष महत्व है, लेकिन कोरोना के खौफ के कारण कम लोग बाजार पहुंच रहे हैं, जिससे चरनी व्यापारियों को नुकसान हो रहा है.

Christmas preparations complete in Ranchi
क्रिसमस की धूम

रांची: क्रिसमस को लेकर बाजारों में उत्साह देखने को मिल रहा है, लेकिन कोविड-19 महामारी का डर लोगों में बना हुआ है. इस पर्व में चरनी का खासा महत्व होता है. घरों में ख्रीस्त के जन्म के दृश्य को चरनी में दिखाने की परंपरा है. कई लोग चरनी बनाने का व्यवसाय करते हैं और अपनी जीविका उपार्जन करते हैं, लेकिन इन लोगों के व्यापार पर भी वैश्विक महामारी कोरोना का असर देखने को मिल रहा है.

देखें स्पेशल स्टोरी

50 से लेकर 500 रुपये तक के बनाए जाते हैं चरनी
चरनी बनाने वाले कारीगर बताते हैं कि क्रिसमस त्योहार का इंतजार हर साल रहता है और चरनी बनाने को लेकर 1 महीने से तैयारी की जाती है. इस बार भी महीनों से तैयारी की गई है, लेकिन महामारी की वजह से बिक्री में काफी असर पड़ रहा है. चरनी 50 से लेकर 500 रुपये तक के बनाए जाते हैं. हिंदपीढ़ी के मुमताज लगातार पिछले कई सालों से क्रिसमस त्योहार में चरनी बनाते हैं. उनकी माने तो सभी धर्मों का सम्मान करना जरूरी है, हिंदू-मुस्लिम-सिख-ईसाई सब आपस में भाई-भाई हैं और इसी परंपरा को निभाते हुए चरनी बनाने का काम करते हैं.

Christmas preparations complete in Ranchi
सज गया बाजार

चरनी की झांकी क्रिसमस से पहले तैयार
वहीं क्रिसमस बाजार में खरीदारी करने पहुंची महिला ने चरनी के महत्व के बारे में बताया. उन्होंने कहा कि यह क्रिसमस फेस्टिवल का एक अहम हिस्सा है, जो प्रभु यीशु के जन्म की याद दिलाती है. मसीही समाज के लोग प्रभु यीशु की चरनी की झांकी क्रिसमस से पहले तैयार करते हैं. उन्होंने बताया कि प्रभु ईसा मसीह गडरिया के बीच चरनी में जन्म लिए थे, उन्हीं के परिदृश्य को देखने के लिए लोग अपने घरों में चरनी ले जाते हैं और उस दृश्य को याद करते हैं कि किस तरह ईसा मसीह का जन्म हुआ था.



गरीब के घर जन्म लिए थे प्रभु ईसा मसीह
क्रिसमस के त्योहार में चरनी का खास महत्व है. बिशप थोओदोर मसकरेनस ने बताया कि चरनी में प्रभु ईसा मसीह का जन्म हुआ है और यह दर्शाता है कि प्रभु गरीब के घर में पैदा हुए हैं, प्रभु ईसा मसीह एक गड़ेरिया के घर पैदा हुए थे. क्रिश्चियन समुदाय के लोग रातभर प्रार्थना करते हैं और जश्न मनाते हैं. प्रभु ईसा मसीह के जन्म की तैयारी को लेकर क्रिश्चियन समुदाय के लोग 1 महीने से तैयारी करते हैं. क्रिसमस की झांकी में चरनी, भेड़, गाय, गड़ेरिया राजा दिखाई देता है. क्रिसमस पर तारों का भी बहुत महत्व है, क्योंकि इन्ही तारों ने ईश्वर के बेटे यीशु मसीह को धरती पर आगमन की सूचना दी थी.

रांची: क्रिसमस को लेकर बाजारों में उत्साह देखने को मिल रहा है, लेकिन कोविड-19 महामारी का डर लोगों में बना हुआ है. इस पर्व में चरनी का खासा महत्व होता है. घरों में ख्रीस्त के जन्म के दृश्य को चरनी में दिखाने की परंपरा है. कई लोग चरनी बनाने का व्यवसाय करते हैं और अपनी जीविका उपार्जन करते हैं, लेकिन इन लोगों के व्यापार पर भी वैश्विक महामारी कोरोना का असर देखने को मिल रहा है.

देखें स्पेशल स्टोरी

50 से लेकर 500 रुपये तक के बनाए जाते हैं चरनी
चरनी बनाने वाले कारीगर बताते हैं कि क्रिसमस त्योहार का इंतजार हर साल रहता है और चरनी बनाने को लेकर 1 महीने से तैयारी की जाती है. इस बार भी महीनों से तैयारी की गई है, लेकिन महामारी की वजह से बिक्री में काफी असर पड़ रहा है. चरनी 50 से लेकर 500 रुपये तक के बनाए जाते हैं. हिंदपीढ़ी के मुमताज लगातार पिछले कई सालों से क्रिसमस त्योहार में चरनी बनाते हैं. उनकी माने तो सभी धर्मों का सम्मान करना जरूरी है, हिंदू-मुस्लिम-सिख-ईसाई सब आपस में भाई-भाई हैं और इसी परंपरा को निभाते हुए चरनी बनाने का काम करते हैं.

Christmas preparations complete in Ranchi
सज गया बाजार

चरनी की झांकी क्रिसमस से पहले तैयार
वहीं क्रिसमस बाजार में खरीदारी करने पहुंची महिला ने चरनी के महत्व के बारे में बताया. उन्होंने कहा कि यह क्रिसमस फेस्टिवल का एक अहम हिस्सा है, जो प्रभु यीशु के जन्म की याद दिलाती है. मसीही समाज के लोग प्रभु यीशु की चरनी की झांकी क्रिसमस से पहले तैयार करते हैं. उन्होंने बताया कि प्रभु ईसा मसीह गडरिया के बीच चरनी में जन्म लिए थे, उन्हीं के परिदृश्य को देखने के लिए लोग अपने घरों में चरनी ले जाते हैं और उस दृश्य को याद करते हैं कि किस तरह ईसा मसीह का जन्म हुआ था.



गरीब के घर जन्म लिए थे प्रभु ईसा मसीह
क्रिसमस के त्योहार में चरनी का खास महत्व है. बिशप थोओदोर मसकरेनस ने बताया कि चरनी में प्रभु ईसा मसीह का जन्म हुआ है और यह दर्शाता है कि प्रभु गरीब के घर में पैदा हुए हैं, प्रभु ईसा मसीह एक गड़ेरिया के घर पैदा हुए थे. क्रिश्चियन समुदाय के लोग रातभर प्रार्थना करते हैं और जश्न मनाते हैं. प्रभु ईसा मसीह के जन्म की तैयारी को लेकर क्रिश्चियन समुदाय के लोग 1 महीने से तैयारी करते हैं. क्रिसमस की झांकी में चरनी, भेड़, गाय, गड़ेरिया राजा दिखाई देता है. क्रिसमस पर तारों का भी बहुत महत्व है, क्योंकि इन्ही तारों ने ईश्वर के बेटे यीशु मसीह को धरती पर आगमन की सूचना दी थी.

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.