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कैसे कुपोषणमुक्त बनेगा झारखंड, आंगनबाड़ी केंद्र में दो साल से बच्चों को पोषाहार में नहीं मिल रहा अंडा - Ranchi news

झारखंड में आंगनबाड़ी केंद्र में बच्चों को पोषाहार में अंडा नहीं मिलता है. 2020 से सरकारी स्कूलों और आंगनबाड़ी केंद्रों में Egg Supply Stopped है. Children not get eggs at Anganwadi, इस वजह से केंद्र के 9 लाख 27 हजार 533 बच्चे प्रभावित हो रहे हैं. ऐसे में आखिर झारखंड में कुपोषण कैसे खत्म होगा, ये चिंता का विषय है.

Children not get eggs in meal at Anganwadi center in Jharkhand
रांची
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Published : Aug 23, 2022, 10:20 AM IST

रांचीः झारखंड सरकार ने भले ही बच्चों को सप्ताह में पांच दिन पोषाहार में अंडा खिलाने की बात की हो मगर हकीकत यह है कि बच्चों की थाली से अंडा गायब (kids not get nutrition in Anganwadi) हो गया है. राज्य के 38 हजार 432 आंगनबाड़ी केंद्रों में 2020 से अंडे की सप्लाई बंद (egg supply stopped) है, जहां 9 लाख 27 हजार 533 बच्चे जुड़े हुए हैं. वहीं राज्य के सरकारी स्कूलों में किसी तरह दो दिन अंडा दिया जाता है.


इसे भी पढ़ें- झारखंड में कुपोषण! नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे की रिपोर्ट ने बढ़ाई चिंता, जानिए स्वास्थ्य महकमा की क्या है तैयारी

एक तरफ राज्य में कुपोषण (Malnutrition in Jharkhand) के विरुद्ध लड़ाई लड़ने के लिए बच्चों को पौष्टिक आहार देने की बात कही जा रही है. वहीं दूसरी तरफ सरकारी स्कूलों और आंगनबाड़ी केंद्रों के बच्चों को पोषाहार में अंडा नहीं मिल रहा है. आश्चर्य की बात यह है कि सरकारी प्रावधानों के बावजूद झारखंड में बच्चों को आंगनबाड़ी केंद्रों में 2020 से अंडा नहीं मिल (Children not get eggs at Anganwadi) रहा है. इतना ही नहीं सरकारी स्कूलों के बच्चों के पोषाहार में सरकार के द्वारा सप्ताह में पांच दिन अंडा खिलाने की घोषणा भी अब तक जमीन पर नहीं उतर पाया है.

देखें पूरी खबर

दुखद पहलू यह है कि पांच दिन बच्चों को अंडा मिलने की बात तो दूर पहले से सप्ताह में मिल रहे तीन दिन अंडा के स्थान पर अब महज 2 दिन ही दिया जा रहा है. इन दो दिनों को भी किसी तरह मैनेज करके स्कूल प्रबंधन बच्चों को अंडा मुहैया करा रही है. राजधानी के सुंदरगढ़ बस्ती के आंगनबाड़ी केंद्र की संचालिका ज्योत्सना बताती है कि सरकारी स्कूलों में बच्चों को अंडा मिलने से यहां भी बच्चे मांग करते हैं. विभाग आवंटन अभाव की बात कहकर अंडा मुहैया नहीं करवा पा रही है.

डिबडीह मध्य विद्यालय (Dibadih Middle School) के प्रभारी प्राचार्य मानती हैं कि मध्यान्न भोजन (Mid Day Meal) में अंडा उपलब्ध कराने का प्रयास किया जाता है. सरकार द्वारा पांच दिन अंडा मुहैया कराने का कोई आदेश अब तक नहीं मिला है. पिछली सरकार से चल रहे तीन दिनों के बजाय अभी दो ही दिन अंडा मुहैया कराया जा रहा है. इधर इस मुद्दे पर विभागीय अधिकारी से लेकर सरकार के मंत्री इस मामले पर चुप्पी साधे हुए हैं.

इसे भी पढ़ें- Jharkhand Cabinet: वन डिस्ट्रिक्ट-वन प्रोडक्ट समेत 24 प्रस्ताव मंजूर, छोटे बच्चों को हफ्ते में 6 अंडा देने का लिया फैसला

झारखंड में कुपोषण सर्वाधिकः झारखंड में कुपोषण एक बहुत बड़ी समस्या है, जिस पर काबू पाना एक बड़ी चुनौती है. राष्ट्रीय पोषण सर्वेक्षण (National Nutrition Survey) के ताजा आंकड़ों के अनुसार देश में सर्वाधिक कुपोषित बच्चे झारखंड में हैं, जो 42.2 फीसदी है, एनीमिया से झारखंड के 69 प्रतिशत बच्चे और 65 फीसदी महिलाएं प्रभावित हैं.

यूनिसेफ की रिपोर्ट (UNICEF report) के अनुसार देश में 5 वर्ष से कम आयु के बच्चों में लगभग आधे कुपोषण के शिकार हैं. वहीं झारखंड में 43 फीसदी बच्चे कम वजन के हैं जबकि 29 प्रतिशत गंभीर रूप से कुपोषित हैं. वह अपनी आयु की तुलना में काफी दुबले और नाटे हैं. कुपोषण के कारण इनकी शारिरिक, मानसिक एवं प्रतिरक्षा प्रणाली के विकास के लिए जो आवश्यक पोषक तत्व उन्हें मिलनी चाहिए वह उन्हें नहीं मिल पाता है.

रांचीः झारखंड सरकार ने भले ही बच्चों को सप्ताह में पांच दिन पोषाहार में अंडा खिलाने की बात की हो मगर हकीकत यह है कि बच्चों की थाली से अंडा गायब (kids not get nutrition in Anganwadi) हो गया है. राज्य के 38 हजार 432 आंगनबाड़ी केंद्रों में 2020 से अंडे की सप्लाई बंद (egg supply stopped) है, जहां 9 लाख 27 हजार 533 बच्चे जुड़े हुए हैं. वहीं राज्य के सरकारी स्कूलों में किसी तरह दो दिन अंडा दिया जाता है.


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एक तरफ राज्य में कुपोषण (Malnutrition in Jharkhand) के विरुद्ध लड़ाई लड़ने के लिए बच्चों को पौष्टिक आहार देने की बात कही जा रही है. वहीं दूसरी तरफ सरकारी स्कूलों और आंगनबाड़ी केंद्रों के बच्चों को पोषाहार में अंडा नहीं मिल रहा है. आश्चर्य की बात यह है कि सरकारी प्रावधानों के बावजूद झारखंड में बच्चों को आंगनबाड़ी केंद्रों में 2020 से अंडा नहीं मिल (Children not get eggs at Anganwadi) रहा है. इतना ही नहीं सरकारी स्कूलों के बच्चों के पोषाहार में सरकार के द्वारा सप्ताह में पांच दिन अंडा खिलाने की घोषणा भी अब तक जमीन पर नहीं उतर पाया है.

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दुखद पहलू यह है कि पांच दिन बच्चों को अंडा मिलने की बात तो दूर पहले से सप्ताह में मिल रहे तीन दिन अंडा के स्थान पर अब महज 2 दिन ही दिया जा रहा है. इन दो दिनों को भी किसी तरह मैनेज करके स्कूल प्रबंधन बच्चों को अंडा मुहैया करा रही है. राजधानी के सुंदरगढ़ बस्ती के आंगनबाड़ी केंद्र की संचालिका ज्योत्सना बताती है कि सरकारी स्कूलों में बच्चों को अंडा मिलने से यहां भी बच्चे मांग करते हैं. विभाग आवंटन अभाव की बात कहकर अंडा मुहैया नहीं करवा पा रही है.

डिबडीह मध्य विद्यालय (Dibadih Middle School) के प्रभारी प्राचार्य मानती हैं कि मध्यान्न भोजन (Mid Day Meal) में अंडा उपलब्ध कराने का प्रयास किया जाता है. सरकार द्वारा पांच दिन अंडा मुहैया कराने का कोई आदेश अब तक नहीं मिला है. पिछली सरकार से चल रहे तीन दिनों के बजाय अभी दो ही दिन अंडा मुहैया कराया जा रहा है. इधर इस मुद्दे पर विभागीय अधिकारी से लेकर सरकार के मंत्री इस मामले पर चुप्पी साधे हुए हैं.

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झारखंड में कुपोषण सर्वाधिकः झारखंड में कुपोषण एक बहुत बड़ी समस्या है, जिस पर काबू पाना एक बड़ी चुनौती है. राष्ट्रीय पोषण सर्वेक्षण (National Nutrition Survey) के ताजा आंकड़ों के अनुसार देश में सर्वाधिक कुपोषित बच्चे झारखंड में हैं, जो 42.2 फीसदी है, एनीमिया से झारखंड के 69 प्रतिशत बच्चे और 65 फीसदी महिलाएं प्रभावित हैं.

यूनिसेफ की रिपोर्ट (UNICEF report) के अनुसार देश में 5 वर्ष से कम आयु के बच्चों में लगभग आधे कुपोषण के शिकार हैं. वहीं झारखंड में 43 फीसदी बच्चे कम वजन के हैं जबकि 29 प्रतिशत गंभीर रूप से कुपोषित हैं. वह अपनी आयु की तुलना में काफी दुबले और नाटे हैं. कुपोषण के कारण इनकी शारिरिक, मानसिक एवं प्रतिरक्षा प्रणाली के विकास के लिए जो आवश्यक पोषक तत्व उन्हें मिलनी चाहिए वह उन्हें नहीं मिल पाता है.

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