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विश्व बालश्रम निषेध दिवस पर सीडब्ल्यूसी और पुलिस की टीम ने किशोरी समेत पांच का किया रेस्क्यू, दो को बालगृह में भेजा - दुमका न्यूज

विश्व बालश्रम निषेध दिवस पर एक किशोरी सहित बच्चों को अलग-अलग जगहों से रेस्क्यू किया गया. इसमें दो को उनके परिजन को सौंप दिया गया.

child welfare Committee
बाल कल्याण समिति ने पांच का किया रेस्क्यू
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Published : Jun 13, 2023, 8:38 AM IST

दुमका: विश्व बालश्रम निषेध दिवस के अवसर पर चलाये गये रेस्क्यू आपरेशन में एक किशोरी समेत पांच को श्रम से बचाया गया. पांचों को चाइल्डलाइन दुमका के बाल कल्याण समिति की बेंच ऑफ मजिस्ट्रेट के समक्ष प्रस्तुत किया गया. इस दौरान समिति ने आवश्यक कार्रवाई पूरी करने के बाद इनमें से दो बालकों को उनके परिजनों को सौंप दिया. जबकि एक किशोरी औऱ दो बालकों को बालगृह में आवासित कर दिया है.

ये भी पढ़ें: Crime News Dumka: दुमका में चोरी करते रंगेहाथ पकड़ा गया युवक, लोगों ने आरोपी के गले में टायर लटका कर पहुंचाया थाना

विश्व बालश्रम निषेध दिवस के अवसर पर दुमका बाल कल्याण समिति (सीडब्ल्यूसी) के चेयरपर्सन डॉ. अमरेंद्र कुमार, सदस्य डॉ. राज कुमार उपाध्याय, श्रम अधीक्षक मो. अकीक और इनसे जुड़ें अन्य संस्थाओं के सदस्यों के साथ नगर थाना प्रभारी इंस्पेक्टर अरविन्द कुमार, महिला थाना प्रभारी श्वेता कुमारी ने दुमका रेलवे स्टेशन और आसपास के इलाकों में जांच अभियान चलाया.

चाइल्डलाइन दुमका को मिली सूचना के आधार पर सोनुआ डगाल इलाके के संथाली टोला के एक घर से छह वर्षों से घरेलू नौकरानी के तौर पर काम कर रही एक 14 वर्षीय किशोरी को रेस्क्यू किया गया. इसके बाद दुमका-पाकुड़ मार्ग पर कन्वेंशन सेंटर के पास स्थित भादो होटल में 12 और 13 साल के दो बालक प्लेट धोते पाये गए. जिनका रेस्क्यू किया गया. यहीं पर 14 वर्ष से कम आयु के दो बालक ईंट ढोते पाये गये, उन दोनों का भी रेस्क्यू किया गया.

बाद में किशोरी और चारों बालकों का बयान दर्ज किया गया. अपने बयान में कड़हलबिल इलाके में रहने वाले बालक के पिता ने बताया कि उसके बीमार होने पर उसकी जगह उसका बेटा पिछले 10 दिनों से होटल में काम कर रहा था. दूसरे बालक ने बताया कि उससे होटल में रात 10 बजे तक काम करवाया जाता था और दिन के बाद सीधे रात के 10 बजे खाना दिया जाता था. ईंट ढोने का काम करने वाले दोनों बालकों ने बताया कि वे सुबह 09 बजे से शाम 4.30 बजे तक काम करते थे. इसके एवज में उन्हें 400 रुपये की दर से मजदूरी मिलती थी.

जिस किशोरी को मुक्त कराया गया वह मूल रूप से काठीकुण्ड की रहनेवाली है. किशोरी ने अपने बयान में बताया कि एक शिक्षक उसे पढ़ाने के नाम पर उसके घर से 2017 में लेकर आये थे. उन्होंने उसका कड़हलबिल सरकारी विद्यालय में नामांकन भी करवा दिया. कभी स्कूल नहीं भेजा. वह सुबह साढ़े चार बजे उठ जाती है. प्रोफेसर के घर में झाड़ू-पोंछा, कपड़ा, बर्तन धोने का काम करती है. उसे सही समय पर खाना-पीना भी नहीं दिया जाता है. इन वर्षों में वह अबतक दो ही बार अपने घर गई है. एक माह पहले उक्त शिक्षक ने उसके साथ मारपीट की थी. किशोरी ने कहा कि बाल कल्याण समिति ने किशोरी को धधकिया गांव स्थित बालगृह में आवासित कर दिया है और आगे की कारवाई में जुट गई है.

दुमका: विश्व बालश्रम निषेध दिवस के अवसर पर चलाये गये रेस्क्यू आपरेशन में एक किशोरी समेत पांच को श्रम से बचाया गया. पांचों को चाइल्डलाइन दुमका के बाल कल्याण समिति की बेंच ऑफ मजिस्ट्रेट के समक्ष प्रस्तुत किया गया. इस दौरान समिति ने आवश्यक कार्रवाई पूरी करने के बाद इनमें से दो बालकों को उनके परिजनों को सौंप दिया. जबकि एक किशोरी औऱ दो बालकों को बालगृह में आवासित कर दिया है.

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विश्व बालश्रम निषेध दिवस के अवसर पर दुमका बाल कल्याण समिति (सीडब्ल्यूसी) के चेयरपर्सन डॉ. अमरेंद्र कुमार, सदस्य डॉ. राज कुमार उपाध्याय, श्रम अधीक्षक मो. अकीक और इनसे जुड़ें अन्य संस्थाओं के सदस्यों के साथ नगर थाना प्रभारी इंस्पेक्टर अरविन्द कुमार, महिला थाना प्रभारी श्वेता कुमारी ने दुमका रेलवे स्टेशन और आसपास के इलाकों में जांच अभियान चलाया.

चाइल्डलाइन दुमका को मिली सूचना के आधार पर सोनुआ डगाल इलाके के संथाली टोला के एक घर से छह वर्षों से घरेलू नौकरानी के तौर पर काम कर रही एक 14 वर्षीय किशोरी को रेस्क्यू किया गया. इसके बाद दुमका-पाकुड़ मार्ग पर कन्वेंशन सेंटर के पास स्थित भादो होटल में 12 और 13 साल के दो बालक प्लेट धोते पाये गए. जिनका रेस्क्यू किया गया. यहीं पर 14 वर्ष से कम आयु के दो बालक ईंट ढोते पाये गये, उन दोनों का भी रेस्क्यू किया गया.

बाद में किशोरी और चारों बालकों का बयान दर्ज किया गया. अपने बयान में कड़हलबिल इलाके में रहने वाले बालक के पिता ने बताया कि उसके बीमार होने पर उसकी जगह उसका बेटा पिछले 10 दिनों से होटल में काम कर रहा था. दूसरे बालक ने बताया कि उससे होटल में रात 10 बजे तक काम करवाया जाता था और दिन के बाद सीधे रात के 10 बजे खाना दिया जाता था. ईंट ढोने का काम करने वाले दोनों बालकों ने बताया कि वे सुबह 09 बजे से शाम 4.30 बजे तक काम करते थे. इसके एवज में उन्हें 400 रुपये की दर से मजदूरी मिलती थी.

जिस किशोरी को मुक्त कराया गया वह मूल रूप से काठीकुण्ड की रहनेवाली है. किशोरी ने अपने बयान में बताया कि एक शिक्षक उसे पढ़ाने के नाम पर उसके घर से 2017 में लेकर आये थे. उन्होंने उसका कड़हलबिल सरकारी विद्यालय में नामांकन भी करवा दिया. कभी स्कूल नहीं भेजा. वह सुबह साढ़े चार बजे उठ जाती है. प्रोफेसर के घर में झाड़ू-पोंछा, कपड़ा, बर्तन धोने का काम करती है. उसे सही समय पर खाना-पीना भी नहीं दिया जाता है. इन वर्षों में वह अबतक दो ही बार अपने घर गई है. एक माह पहले उक्त शिक्षक ने उसके साथ मारपीट की थी. किशोरी ने कहा कि बाल कल्याण समिति ने किशोरी को धधकिया गांव स्थित बालगृह में आवासित कर दिया है और आगे की कारवाई में जुट गई है.

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