रांचीः कोरोना के कारण अनाथ हुए बच्चों के हक की आवाज राज्य में जोर शोर से उठाई जा रही है. इस आवाज की वजह से केंद्र सरकार ने अनाथ बच्चों की मदद के लिए योजना तैयार की है, लेकिन झारखंड और रांची के अनाथ हुए बच्चे सरकारी योजनाओं के लाभ से वंचित हैं. इन बच्चों को तत्काल सहायता चाहिए, जिन्हें स्थानीय लोग मदद पहुंचा रहे हैं.
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राजधानी रांची से 12 किलोमीटर दूर नामकुम प्रखंड के महुआ टोली के नया टोली. इस गांव के 13 साल की अमृता और उसके भाई अभिजीत के सर पर ना पिता का साया है और ना मां के ममता की छांव. मां तीन साल पहले दुनिया छोड़ चली गई, तो मजदूरी कर दो भाई-बहनों का पेट भरने वाला पिता भोला कच्छप ने 30 मई को कोरोना का शिकार होकर दुनिया को अलविदा कह दिया. अब गांव वालों के साथ साथ रिश्तेदारों की मदद के भरोसे अमृता की जीवन काट रही है. स्थिति यह है कि अब धीरे धीरे लोगों का सहयोग मिलना कम हो गया है, तो दूसरे के घर चौका-बर्तन करने लगी.
सरकार ने मदद की गुहार
राज मिस्त्री का काम करने वाले अमृता के नाना फ्रांसिस नाग को उम्र के साथ बेटी-दामाद की मौत ने तोड़ दिया है. ईटीवी भारत से बातचीत में फ्रांसिस ने कहा कि कोशिश करता हूं बेटी-दामाद के नहीं रहने पर नाती-नतिनी के लिए कुछ करूं लेकिन शरीर साथ नहीं दे रहा है. उन्होंने सरकार से गुहार लगाते हुए कहा कि सरकार से अब तक कोई मदद नहीं मिली है.
किराये के मकान में रहती है अमृता
महुआ टोली के नया टोली में किराया के मकान में भोला कच्छप रहता था, उनकी मौत के बाद मकान मालिक प्रेमिका उरैन कहती हैं कि जब भोला का इंतकाल हुआ, तब जितना बना उतनी मदद की. उन्होंने कहा कि हम लोग भी गरीब है, कहां से मदद करें.
बच्चों की सूची बना रही है सरकार
झारखंड सरकार राज्य में कोरोना के कारण अनाथ हुए बच्चों का डाटा तैयार करा रही है. हालांकि, डाटा बनाने में महीनों लगने की संभावना है, लेकिन जरूरत है अमृता जैसी अनाथ हुए बच्चों तक तत्काल सरकारी मदद पहुंचे ताकि कोई बच्चा किताब छोड़ कोई काम करने के लिए मजबूर नहीं हो सके.