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आदिवासी बहुल टोलों में 30 सितंबर तक पेयजल आपूर्ति का डेडलाइन - ईटीवी झारखंड न्यूज

मुख्यमंत्री ने राज्य के विकास के लिए एक के बाद एक कई विभागों के अधिकारियों के साथ समीक्षा बैठक की. पेयजल स्वच्छता और जल संसाधन विभाग के साथ-साथ वन , पर्यावरण एवं जलवायु परिवर्तन विभाग की समीक्षा बैठक की. मुख्यमंत्री ने अपने कार्यकाल की उपलब्धियां गिनाते हुए योजनाओं को जरूरतमंदों तक पहुंचाने के लिए डेडलाइन तय किया.

मुख्यमंत्री ने की समीक्षा बैठक
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Published : Jun 29, 2019, 8:02 AM IST

रांची: मुख्यमंत्री ने शुक्रवार को एक के बाद एक कई विभागों की समीक्षा बैठक की. पेयजल स्वच्छता और जल संसाधन विभाग के साथ-साथ वन , पर्यावरण एवं जलवायु परिवर्तन विभाग की समीक्षा बैठक की, बैठक के दौरान मुख्यमंत्री ने अपने कार्यकाल की उपलब्धियां गिनाते हुए योजनाओं को जरूरतमंदों तक पहुंचाने के लिए डेडलाइन तय किया.

देखें पूरी खबर

मुख्यमंत्री रघुवर दास ने 30 सितंबर तक सभी आदिम जनजाति टोलों में पाइपलाइन से पानी पहुंचाने का कार्य सुनिश्चित कराने का निर्देश दिए. बैठक में बताया गया कि 6676 जनजाति बहुल टोलों में पाइप लाइन से पेयजल आपूर्ति का कार्य प्रगति पर है.

मुख्यमंत्री ने कहा कि नदियों पर वीयर योजना के तहत 6 से 10 फीट का बांध बनाकर वर्षा के जल को रोकने की योजना बनाएं. बैठक के दौरान बताया गया कि 2015 के शुरू में सिर्फ 12% आबादी तक पेयजल की सुविधा थी जो पिछले साल से 4 साल में बढ़कर 34.77% हो गई है. उन्होंने कहा कि राज्य गठन के 14 साल बाद जैन जल योजना के तहत आदिवासी बहुल 11,124 टोलों के लिए पेयजल का अभियान शुरू हुआ है. इनमें 6676 टोलों में कार्य शुरू हो गया है. 15 अक्टूबर तक 75 % लगभग 5000 से अधिक टोलों में पाइप लाइन से पेयजल पहुंच जाए यह सुनिश्चित करें.

रघुवर दास ने कहा कि गैर जनजातीय आबादी के 28469 गांव में पाइप लाइन से जल पहुंचाने का कार्य प्रगति पर है. 2014 तक झारखंड के 16.25% घरों में शौचालय था, पिछले साढे 4 वर्षों में शत-प्रतिशत घरों में शौचालय उपलब्ध करा दिया गया है. मुख्यमंत्री ने कहा कि 2015-16 में लघु सिंचाई प्रक्षेत्र में 6 चेक डैम की योजनाएं पूर्ण थी, जिससे केवल 290 हेक्टेयर भूमि सिंचित होती थी लेकिन 2019 तक लघु सिंचाई प्रक्षेत्र में 1300 चेक डैम का निर्माण हुआ, जिससे 70,067 हेक्टेयर भूमि की सिंचाई क्षमता में वृद्धि दर्ज की गई है.

वन, पर्यावरण एवं जलवायु परिवर्तन विभाग की समीक्षा बैठक के दौरान बताया गया कि साढ़े चार साल में 36,310 हेक्टेयर वन संवर्द्धन का कार्य हुआ है. पिछले चार सालों में 69,750 हेक्टेयर वनभूमि पर पौधरोपण किया गया है. झारखंड में करम पूजा का धार्मिक महत्व है लिहाजा पिछले वर्ष करम के पौधों का रोपन अभियान चलाकर पूरे राज्य में 60 हजार करम के पौधे लगाये गए हैं. वर्ष 2011 से 2014 तक राज्य में 20,068 हेक्टेयर वनभूमि में पौधरोपण किया गया, वहीं पिछले चार सालों में 69,750 हेक्टेयर वनभूमि पर पौधरोपण का काम किया जा चुका है, इस दौरान मुख्यमंत्री ने डीएफओ से कहा कि कहां-कहां वन क्षेत्र के लोगों के लिए सड़क और पानी उपलब्ध कराना है उसकी रिपोर्ट मंगवाएं.

रांची: मुख्यमंत्री ने शुक्रवार को एक के बाद एक कई विभागों की समीक्षा बैठक की. पेयजल स्वच्छता और जल संसाधन विभाग के साथ-साथ वन , पर्यावरण एवं जलवायु परिवर्तन विभाग की समीक्षा बैठक की, बैठक के दौरान मुख्यमंत्री ने अपने कार्यकाल की उपलब्धियां गिनाते हुए योजनाओं को जरूरतमंदों तक पहुंचाने के लिए डेडलाइन तय किया.

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मुख्यमंत्री रघुवर दास ने 30 सितंबर तक सभी आदिम जनजाति टोलों में पाइपलाइन से पानी पहुंचाने का कार्य सुनिश्चित कराने का निर्देश दिए. बैठक में बताया गया कि 6676 जनजाति बहुल टोलों में पाइप लाइन से पेयजल आपूर्ति का कार्य प्रगति पर है.

मुख्यमंत्री ने कहा कि नदियों पर वीयर योजना के तहत 6 से 10 फीट का बांध बनाकर वर्षा के जल को रोकने की योजना बनाएं. बैठक के दौरान बताया गया कि 2015 के शुरू में सिर्फ 12% आबादी तक पेयजल की सुविधा थी जो पिछले साल से 4 साल में बढ़कर 34.77% हो गई है. उन्होंने कहा कि राज्य गठन के 14 साल बाद जैन जल योजना के तहत आदिवासी बहुल 11,124 टोलों के लिए पेयजल का अभियान शुरू हुआ है. इनमें 6676 टोलों में कार्य शुरू हो गया है. 15 अक्टूबर तक 75 % लगभग 5000 से अधिक टोलों में पाइप लाइन से पेयजल पहुंच जाए यह सुनिश्चित करें.

रघुवर दास ने कहा कि गैर जनजातीय आबादी के 28469 गांव में पाइप लाइन से जल पहुंचाने का कार्य प्रगति पर है. 2014 तक झारखंड के 16.25% घरों में शौचालय था, पिछले साढे 4 वर्षों में शत-प्रतिशत घरों में शौचालय उपलब्ध करा दिया गया है. मुख्यमंत्री ने कहा कि 2015-16 में लघु सिंचाई प्रक्षेत्र में 6 चेक डैम की योजनाएं पूर्ण थी, जिससे केवल 290 हेक्टेयर भूमि सिंचित होती थी लेकिन 2019 तक लघु सिंचाई प्रक्षेत्र में 1300 चेक डैम का निर्माण हुआ, जिससे 70,067 हेक्टेयर भूमि की सिंचाई क्षमता में वृद्धि दर्ज की गई है.

वन, पर्यावरण एवं जलवायु परिवर्तन विभाग की समीक्षा बैठक के दौरान बताया गया कि साढ़े चार साल में 36,310 हेक्टेयर वन संवर्द्धन का कार्य हुआ है. पिछले चार सालों में 69,750 हेक्टेयर वनभूमि पर पौधरोपण किया गया है. झारखंड में करम पूजा का धार्मिक महत्व है लिहाजा पिछले वर्ष करम के पौधों का रोपन अभियान चलाकर पूरे राज्य में 60 हजार करम के पौधे लगाये गए हैं. वर्ष 2011 से 2014 तक राज्य में 20,068 हेक्टेयर वनभूमि में पौधरोपण किया गया, वहीं पिछले चार सालों में 69,750 हेक्टेयर वनभूमि पर पौधरोपण का काम किया जा चुका है, इस दौरान मुख्यमंत्री ने डीएफओ से कहा कि कहां-कहां वन क्षेत्र के लोगों के लिए सड़क और पानी उपलब्ध कराना है उसकी रिपोर्ट मंगवाएं.

Intro:आदिवासी बहुल टोलों में 30 सितंबर तक पेयजल आपूर्ति का डेडलाइन, पौधारोपण में रिकॉर्ड तोड़ उपलब्धि

रांची

मुख्यमंत्री ने आज एक के बाद एक कई विभागों की समीक्षा की। पेयजल स्वच्छता और जल संसाधन विभाग के साथ साथ वन , पर्यावरण एवं जलवायु परिवर्तन विभाग की समीक्षा के दौरान मुख्यमंत्री ने अपने कार्यकाल की उपलब्धियां गिनाते हुए योजनाओं को जरूरतमंदों तक पहुंचाने के लिए डेडलाइन भी तय किया। उन्होंने 30 सितंबर तक सभी आदिम जनजाति टोलों में पाइपलाइन से पानी पहुंचाने का कार्य सुनिश्चित कराने का निर्देश दिया। बैठक में बताया गया कि 6676 जनजाति बहुल टोलों में पाइप लाइन से पेयजल आपूर्ति का कार्य प्रगति पर है। मुख्यमंत्री ने कहा कि नदियों पर वीयर योजना के तहत 6 से 10 फीट का बांध बनाकर वर्षा के जल को रोकने की योजना बनाएं। बैठक के दौरान बताया गया कि 2015 के शुरू में सिर्फ 12% आबादी तक पेयजल की सुविधा थी जो पिछले साल से 4 साल में बढ़कर 34.77% हो गई है। मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य गठन के 14 साल बाद जैन जल योजना के तहत आदिवासी बहुल 11,124 टोलों के लिए पेयजल का अभियान शुरू हुआ है. इनमें 6676 टोलों में कार्य शुरू हो गया है. 15 अक्टूबर तक 75 % लगभग 5000 से अधिक टोलों में पाइप लाइन से पेयजल पहुंच जाए यह सुनिश्चित करें। यही नहीं गैर जनजातीय आबादी के 28469 गांव में पाइप लाइन से जल पहुंचाने का कार्य प्रगति पर है। बैठक के दौरान बताया गया कि 2014 तक झारखंड के 16.25% घरों में था शौचालय, पिछले साढे 4 वर्षों में शत-प्रतिशत घरों में शौचालय उपलब्ध करा दिया गया है। मुख्यमंत्री ने कहा कि 2015-16 में लघु सिंचाई प्रक्षेत्र में 6 चेक डैम की योजनाएं पूर्ण थी, जिससे केवल 290 हेक्टेयर भूमि सिंचित होती थी लेकिन 2019 तक लघु सिंचाई प्रक्षेत्र में 1300 चेक डैम का निर्माण हुआ जिससे 70,067 हेक्टेयर भूमि की सिंचाई क्षमता में वृद्धि दर्ज की गई।


वन, पर्यावरण एवं जलवायु परिवर्तन विभाग की समीक्षा बैठक के दौरान बताया गया कि
साढ़े चार साल में 36,310 हेक्टेयर वन संवर्द्धन का कार्य हुआ है। पिछले चार सालों में 69,750 हेक्टेयर वनभूमि पर पौधरोपण किया गया है। झारखंड में करम पूजा का धार्मिक महत्व है लिहाजा पिछले वर्ष करम के पौधों का रोपन अभियान चलाकर पूरे राज्य में 60 हजार करम के पौधे लगाये गये हैं। वर्ष 2011 से 2014 तक राज्य में 20,068 हेक्टेयर वनभूमि में पौधरोपण किया गया, वहीं पिछले चार सालों में 69,750 हेक्टेयर वनभूमि पर पौधरोपण का काम किया जा चुका है। मुख्यमंत्री ने कहा कि डीएफओ से रिपोर्ट मंगवाए की कहां-कहां वन क्षेत्र के लोगों के लिए सड़क और पानी उपलब्ध कराना है।

 


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