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रांची में आदिवासी लोहरा समाज के केंद्रीय समिति की बैठक, आप भी जानें किन-किन मुद्दों पर हुई चर्चा - बालमुकुंद लोहरा

रांची में लोहरा समाज के केंद्रीय समिति की बैठक हुई, जिसमें लोहरा जाति को जाति प्रमाण पत्र बनाने में हो रहे परेशानियों को लेकर चर्चा की गई, साथ ही बैठक नवनिर्वाचित पदाधिकारियों, कार्यकारिणी के सदस्यों का परिचय करवाया गया .

Central committee meeting of tribal Lohra society in Ranchi
लोहरा समाज के केंद्रीय समिति की बैठक
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Published : Mar 14, 2021, 4:23 PM IST

रांची: आदिवासी लोहरा समाज के केंद्रीय समिति झारखंड प्रदेश के नवनिर्वाचित पदाधिकारियों और कार्यकर्ताओं की बैठक बालमुकुंद लोहरा की अध्यक्षता में हुई. बैठक में मुख्य रूप से लोहरा जाति को जाति प्रमाण पत्र बनाने में हो रहे परेशानियों को लेकर चर्चा की गई, साथ ही बैठक नवनिर्वाचित पदाधिकारियों, कार्यकारिणी के सदस्यों का परिचय करवाया गया और सदस्यों को आदिवासी लोहरा समाज का बायलॉज को समझाया गया, ताकि क्षेत्र में लोहरा समाज में हो रही परेशानियों को दूर किया जा सके. इसके साथ ही आगे को लेकर रणनीति तैयार की गई, कि किस तरीके से लोहरा समाज के जीवन यापन में सुधार किया जा सके.

आदिवासी लोहरा समाज की बैठक


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बैठक में इन प्रस्ताव पर बनी सहमति
बैठक में निर्णय लिया गया कि झारखंड राज्य के आदिवासी वर्ग के सभी लोगों को आपस में जोड़ना है, जिसके लिए जिला प्रखंड पंचायत समिति का विस्तार किया जाएगा. वहीं यह निर्णय लिया गया कि लोहा जनजाति को सामाजिक धार्मिक एवं सांस्कृतिक रूप से आदिवासी पहचान और मुख्यधारा में जोड़ा जाएगा, ताकि हिंदू वर्ग के विश्वकर्मा लोहार कर्मकार कमार, मडैव, लोहाडिया, और करमाली जैसे जातियों के विवाद से लोहरा जाति को सुरक्षित रखा जा सके. लोहरा समाज जनजाति आदिवासी समुदाय के अंतर्गत आता है, इसलिए आदिवासी धर्म सरना का अनुसरण करना और प्रचार-प्रसार करने में महत्वपूर्ण भागीदारी निभाने को लेकर निर्माण हुआ है, साथ ही बैठक में निर्णय लिया गया है कि लोरा जनजाति के कई लोगों ने हिंदू और ईसाई धर्म अपना लिया है, उन लोगों को आदिवासी धर्म में वापस लाना है.


राज जनजाति में शिक्षा का अभाव
बैठक में मुख्य रूप से निर्णय लिया गया कि राज जनजाति में आधुनिक शिक्षा और उच्च शिक्षा की घोर कमी है, लोहरा जाति के लोग अपने बच्चों के नाम पर आगे लोहरा या अपना गोत्र लिखते हैं, इसके बावजूद छात्र-छात्राओं को जाति प्रमाण पत्र बनाने में काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है, इसके साथ ही लोहरा जनजाति के छात्र छात्राओं को आदिवासियों की प्राप्त सारी सुविधाओं का लाभ दिलाना चाहिए, जैसे शिक्षा, नौकरी, सरकारी अनुदान, इंदिरा आवास, वृद्धा पेंशन जैसी सुविधा मिल सके इसके लिए पहल की जाएगी.

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लोहरा जनजातियों को लाभ देने की मांग
आदिवासी लोहरा समाज के अध्यक्ष बालमुकुंद लोहरा ने कहा कि समाज में शिक्षा का प्रचार-प्रसार और बेहतर बनाने को लेकर समाज हर संभव प्रयास कर रही है, क्योंकि आज के समय में लोहरा और लोहार की विसंगति के कारण लोहरा जनजाति को अधिकार नहीं मिल पा रहा है, लोहरा जनजाति मुख्यता लोहे के कारोबार कर रहे हैं, ऐसे में उनका जीवन यापन काफी गरीबी से गुजरता है. उन्होंने सरकार से लोहरा जनजातियों को लाभ देने की मांग की है.

रांची: आदिवासी लोहरा समाज के केंद्रीय समिति झारखंड प्रदेश के नवनिर्वाचित पदाधिकारियों और कार्यकर्ताओं की बैठक बालमुकुंद लोहरा की अध्यक्षता में हुई. बैठक में मुख्य रूप से लोहरा जाति को जाति प्रमाण पत्र बनाने में हो रहे परेशानियों को लेकर चर्चा की गई, साथ ही बैठक नवनिर्वाचित पदाधिकारियों, कार्यकारिणी के सदस्यों का परिचय करवाया गया और सदस्यों को आदिवासी लोहरा समाज का बायलॉज को समझाया गया, ताकि क्षेत्र में लोहरा समाज में हो रही परेशानियों को दूर किया जा सके. इसके साथ ही आगे को लेकर रणनीति तैयार की गई, कि किस तरीके से लोहरा समाज के जीवन यापन में सुधार किया जा सके.

आदिवासी लोहरा समाज की बैठक


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बैठक में इन प्रस्ताव पर बनी सहमति
बैठक में निर्णय लिया गया कि झारखंड राज्य के आदिवासी वर्ग के सभी लोगों को आपस में जोड़ना है, जिसके लिए जिला प्रखंड पंचायत समिति का विस्तार किया जाएगा. वहीं यह निर्णय लिया गया कि लोहा जनजाति को सामाजिक धार्मिक एवं सांस्कृतिक रूप से आदिवासी पहचान और मुख्यधारा में जोड़ा जाएगा, ताकि हिंदू वर्ग के विश्वकर्मा लोहार कर्मकार कमार, मडैव, लोहाडिया, और करमाली जैसे जातियों के विवाद से लोहरा जाति को सुरक्षित रखा जा सके. लोहरा समाज जनजाति आदिवासी समुदाय के अंतर्गत आता है, इसलिए आदिवासी धर्म सरना का अनुसरण करना और प्रचार-प्रसार करने में महत्वपूर्ण भागीदारी निभाने को लेकर निर्माण हुआ है, साथ ही बैठक में निर्णय लिया गया है कि लोरा जनजाति के कई लोगों ने हिंदू और ईसाई धर्म अपना लिया है, उन लोगों को आदिवासी धर्म में वापस लाना है.


राज जनजाति में शिक्षा का अभाव
बैठक में मुख्य रूप से निर्णय लिया गया कि राज जनजाति में आधुनिक शिक्षा और उच्च शिक्षा की घोर कमी है, लोहरा जाति के लोग अपने बच्चों के नाम पर आगे लोहरा या अपना गोत्र लिखते हैं, इसके बावजूद छात्र-छात्राओं को जाति प्रमाण पत्र बनाने में काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है, इसके साथ ही लोहरा जनजाति के छात्र छात्राओं को आदिवासियों की प्राप्त सारी सुविधाओं का लाभ दिलाना चाहिए, जैसे शिक्षा, नौकरी, सरकारी अनुदान, इंदिरा आवास, वृद्धा पेंशन जैसी सुविधा मिल सके इसके लिए पहल की जाएगी.

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लोहरा जनजातियों को लाभ देने की मांग
आदिवासी लोहरा समाज के अध्यक्ष बालमुकुंद लोहरा ने कहा कि समाज में शिक्षा का प्रचार-प्रसार और बेहतर बनाने को लेकर समाज हर संभव प्रयास कर रही है, क्योंकि आज के समय में लोहरा और लोहार की विसंगति के कारण लोहरा जनजाति को अधिकार नहीं मिल पा रहा है, लोहरा जनजाति मुख्यता लोहे के कारोबार कर रहे हैं, ऐसे में उनका जीवन यापन काफी गरीबी से गुजरता है. उन्होंने सरकार से लोहरा जनजातियों को लाभ देने की मांग की है.

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