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रांचीः शिक्षा विभाग की लापरवाही का खामियाजा भुगत रहा छात्र, उत्तर पुस्तिका के मूल्यांकन में भारी गड़बड़ी

जिला स्कूल रांची के विद्यार्थी राहुल रंजन शिक्षा विभाग की गलती का खामियाजा भुगत रहे हैं. परीक्षकों ने उनकी उत्तर पुस्तिका पर गलत नंबर चढ़ाए गए हैं. इस संबंध में आरटीआई दायर करने के बाद सच्चाई सामने आई.

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Published : Sep 26, 2020, 5:25 PM IST

रांचीः मैट्रिक इंटर उत्तर पुस्तिकाओं के मूल्यांकन को लेकर गड़बड़ियां हमेशा ही सामने आती रहीं हैं, लेकिन इनकी इन गड़बड़ियों के कारण कई परीक्षार्थियों का भविष्य अधर में लटक जाता है तो कई परीक्षार्थी असफल होने के कारण गलत कदम उठा लेते हैं, लेकिन इस ओर ना तो विभाग का ध्यान है न जैक और न ही स्कूल प्रबंधक का. ऐसा ही एक ताजा मामला सामने आया है इंटरमीडिएट की परीक्षा में शामिल हुए राहुल रंजन जैसे होनहार विद्यार्थी का.

शिक्षा विभाग की लापरवाही.

जिसने आरटीआई के जरिए जब अपनी उत्तर पुस्तिका देखी. तो दंग रह गया. परीक्षकों द्वारा उनकी उत्तर पुस्तिका पर गलत नंबर चढ़ाए गए हैं. सही तरीके से उसकी उत्तर पुस्तिकाओं की जांच भी नहीं की गई है. मामले को लेकर संबंधित अधिकारी अलग ही राग अलाप रहे हैं.

शिक्षा महकमा और विभाग की एक बड़ी लापरवाही सामने आई है और इस लापरवाही के कारण एक विद्यार्थी आज कभी जैक कार्यालय तो कभी स्कूल का चक्कर काटने को विवश हैं.

दरअसल राहुल रंजन जिला स्कूल रांची के विद्यार्थी हैं. उसने वर्ष 2020 में इंटरमीडिएट की परीक्षा दी थी लेकिन आशा के अनुरूप राहुल रंजन का रिजल्ट नहीं आया. राहुल को 60.63 फीसदी अंक मिले, लेकिन इससे राहुल संतुष्ट नहीं है. मामले को लेकर राहुल ने आरटीआई दायर की और जब अपनी उत्तर पुस्तिका को देखा तो वह दंग रह गया.

राहुल की मानें तो उत्तर पुस्तिका में उत्तर को काट दिया गया है. उसमें नंबर नहीं चढ़ाया गया है. आनन-फानन में उत्तर पुस्तिकाओं का मूल्यांकन कर दिया गया और रिजल्ट भी निकाल दिया गया.

मामले को लेकर राहुल की ओर से जैक अध्यक्ष से गुहार लगाई गई, लेकिन वहां से भी राहुल रंजन को कोई आश्वासन नहीं मिला और अब राहुल ने इस मामले को लेकर शिक्षा मंत्री को पत्र भी लिखा है.

पत्र के माध्यम से उसने अपनी पीड़ा बताई है. वहीं इसी मामले को लेकर जब जैक अध्यक्ष से बात की गई तब उन्होंने सीधे तौर पर कहा कि मामले में जैक की कोई गलती नहीं है. उत्तर पुस्तिकाओं के मूल्यांकन में ही गलती की गई है और अब इसे सुधारा नहीं जा सकता है.

यह भी पढ़ेंः नगर विकास विभाग में ट्रांसफर-पोस्टिंग, 33 सिटी मैनेजर का पदस्थापन

जैक के नियम के मुताबिक नंबर चढ़ाए जाने के उसे सुधार पाना संभव नही है. जैक अध्यक्ष से जब राहुल रंजन ने भी अपने स्तर पर बातचीत की तो राहुल को जैक की ओर से सही जवाब नहीं दिया गया.

वहीं इसी मामले को लेकर हमारी टीम ने स्कूल के प्राचार्य से भी बात की तो उन्होंने कहा कि विद्यार्थी काफी होनहार है . रिजल्ट और बेहतर हो सकता था.

आईआईटी जेईई में भी उसने बेहतर प्रदर्शन किया है. जेईई मेंस में 85.37 फीसदी अंक लाकर अपने आपको साबित भी किया है. लेकिन इंटरमीडिएट में अच्छे अंक न होने के कारण जेईई एडवांस का फॉर्म अप्लाई नहीं कर पाया. इस विद्यार्थी को इसी का मलाल है.वहीं राहुल रंजन ने कहा है कि वह मामले को लेकर मुख्यमंत्री को भी पत्र लिखेंगे.

एक तरफ इस मामले को लेकर स्कूल प्रबंधन राहुल रंजन की तारीफ कर रहा है कि वह एक होनहार विद्यार्थी है. वहीं दूसरी और जैक अध्यक्ष राहुल की किस्मत ही खराब बता रहे हैं, जबकि शिक्षा विभाग की ओर से इस मामले को लेकर अब तक कोई जवाब नहीं दिया गया है.

सही मायने में मूल्यांकन के दौरान ऐसे सैकड़ों परीक्षार्थियों के भविष्य के साथ परीक्षकों द्वारा खिलवाड़ किया जाता है, लेकिन ऐसे मामलों को लेकर परीक्षार्थी भी ज्यादा मुखर नहीं रहते हैं और असफलता के कारण कई ऐसे परीक्षार्थी गलत कदम भी उठा लेते हैं. ऐसे मामलों को लेकर शिक्षा विभाग को कड़ी कार्रवाई करनी होगी और गंभीरतापूर्वक सोचना होगा. नहीं तो विद्यार्थियों के भविष्य के साथ यूं ही खिलवाड़ होता रहेगा.

रांचीः मैट्रिक इंटर उत्तर पुस्तिकाओं के मूल्यांकन को लेकर गड़बड़ियां हमेशा ही सामने आती रहीं हैं, लेकिन इनकी इन गड़बड़ियों के कारण कई परीक्षार्थियों का भविष्य अधर में लटक जाता है तो कई परीक्षार्थी असफल होने के कारण गलत कदम उठा लेते हैं, लेकिन इस ओर ना तो विभाग का ध्यान है न जैक और न ही स्कूल प्रबंधक का. ऐसा ही एक ताजा मामला सामने आया है इंटरमीडिएट की परीक्षा में शामिल हुए राहुल रंजन जैसे होनहार विद्यार्थी का.

शिक्षा विभाग की लापरवाही.

जिसने आरटीआई के जरिए जब अपनी उत्तर पुस्तिका देखी. तो दंग रह गया. परीक्षकों द्वारा उनकी उत्तर पुस्तिका पर गलत नंबर चढ़ाए गए हैं. सही तरीके से उसकी उत्तर पुस्तिकाओं की जांच भी नहीं की गई है. मामले को लेकर संबंधित अधिकारी अलग ही राग अलाप रहे हैं.

शिक्षा महकमा और विभाग की एक बड़ी लापरवाही सामने आई है और इस लापरवाही के कारण एक विद्यार्थी आज कभी जैक कार्यालय तो कभी स्कूल का चक्कर काटने को विवश हैं.

दरअसल राहुल रंजन जिला स्कूल रांची के विद्यार्थी हैं. उसने वर्ष 2020 में इंटरमीडिएट की परीक्षा दी थी लेकिन आशा के अनुरूप राहुल रंजन का रिजल्ट नहीं आया. राहुल को 60.63 फीसदी अंक मिले, लेकिन इससे राहुल संतुष्ट नहीं है. मामले को लेकर राहुल ने आरटीआई दायर की और जब अपनी उत्तर पुस्तिका को देखा तो वह दंग रह गया.

राहुल की मानें तो उत्तर पुस्तिका में उत्तर को काट दिया गया है. उसमें नंबर नहीं चढ़ाया गया है. आनन-फानन में उत्तर पुस्तिकाओं का मूल्यांकन कर दिया गया और रिजल्ट भी निकाल दिया गया.

मामले को लेकर राहुल की ओर से जैक अध्यक्ष से गुहार लगाई गई, लेकिन वहां से भी राहुल रंजन को कोई आश्वासन नहीं मिला और अब राहुल ने इस मामले को लेकर शिक्षा मंत्री को पत्र भी लिखा है.

पत्र के माध्यम से उसने अपनी पीड़ा बताई है. वहीं इसी मामले को लेकर जब जैक अध्यक्ष से बात की गई तब उन्होंने सीधे तौर पर कहा कि मामले में जैक की कोई गलती नहीं है. उत्तर पुस्तिकाओं के मूल्यांकन में ही गलती की गई है और अब इसे सुधारा नहीं जा सकता है.

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जैक के नियम के मुताबिक नंबर चढ़ाए जाने के उसे सुधार पाना संभव नही है. जैक अध्यक्ष से जब राहुल रंजन ने भी अपने स्तर पर बातचीत की तो राहुल को जैक की ओर से सही जवाब नहीं दिया गया.

वहीं इसी मामले को लेकर हमारी टीम ने स्कूल के प्राचार्य से भी बात की तो उन्होंने कहा कि विद्यार्थी काफी होनहार है . रिजल्ट और बेहतर हो सकता था.

आईआईटी जेईई में भी उसने बेहतर प्रदर्शन किया है. जेईई मेंस में 85.37 फीसदी अंक लाकर अपने आपको साबित भी किया है. लेकिन इंटरमीडिएट में अच्छे अंक न होने के कारण जेईई एडवांस का फॉर्म अप्लाई नहीं कर पाया. इस विद्यार्थी को इसी का मलाल है.वहीं राहुल रंजन ने कहा है कि वह मामले को लेकर मुख्यमंत्री को भी पत्र लिखेंगे.

एक तरफ इस मामले को लेकर स्कूल प्रबंधन राहुल रंजन की तारीफ कर रहा है कि वह एक होनहार विद्यार्थी है. वहीं दूसरी और जैक अध्यक्ष राहुल की किस्मत ही खराब बता रहे हैं, जबकि शिक्षा विभाग की ओर से इस मामले को लेकर अब तक कोई जवाब नहीं दिया गया है.

सही मायने में मूल्यांकन के दौरान ऐसे सैकड़ों परीक्षार्थियों के भविष्य के साथ परीक्षकों द्वारा खिलवाड़ किया जाता है, लेकिन ऐसे मामलों को लेकर परीक्षार्थी भी ज्यादा मुखर नहीं रहते हैं और असफलता के कारण कई ऐसे परीक्षार्थी गलत कदम भी उठा लेते हैं. ऐसे मामलों को लेकर शिक्षा विभाग को कड़ी कार्रवाई करनी होगी और गंभीरतापूर्वक सोचना होगा. नहीं तो विद्यार्थियों के भविष्य के साथ यूं ही खिलवाड़ होता रहेगा.

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