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कोरोना के अंधकार की साजिश पर दीयों की रोशनी पड़ी भारी, जगमग हो उठी राजधानी रांची - रांची में रोशनी जगमगा उठी

रविवार रात 9:00 बजते ही पूरी रांची अंधकार के आगोश में खो गई और बिजली की रोशनी की जगह दीया, कैंडल और मोबाइल के फ्लैशलाइट से पूरी रांची इस तरह जगमग हो ठीक जैसे आसमान में जुगनू उतर आए हो.

कोरोना के अंधकार की साजिश पर दीयों की रोशनी पड़ी भारी, जगमग हो उठी राजधानी रांची
कोरोना के अंधकार की साजिश पर दीयों की रोशनी पड़ी भारी, जगमग हो उठी राजधानी रांची
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Published : Apr 5, 2020, 11:45 PM IST

रांचीः वैश्विक महामारी के रूप में पनपी कोरोना वायरस हर भारतीयों के जीवन में अंधेरा भरने पर आमादा है. लेकिन प्रधानमंत्री के आह्वान पर 130 करोड़ भारतवासियों ने अपने अपने घरों की बिजली की रोशनी बंद कर दीया और कैंडल की रोशनी से पूरी दुनिया को बता दिया कि भारत कोरोना वायरस को हराकर रहेगा.

रविवार रात 9:00 बजते ही पूरी रांची अंधकार के आगोश में खो गई और बिजली की रोशनी की जगह दीया, कैंडल और मोबाइल के फ्लैशलाइट से पूरी रांची इस तरह जगमग हो ठीक जैसे आसमान में जुगनू उतर आए हो. अद्भुत अनुपम और अविस्मरणीय नजारा. बहुत से घरों में लोगों ने ओम उच्चारण का म्यूजिक लगा रखा था. 5 अप्रैल, रात 9:00 बजे और 9 मिनट तक ऐसी समां जली जिसने हर भारतीयों के दिल में विश्वास पैदा कर दिया कि हम कोरोनावायरस को हराकर ही मानेंगे. सभी छतों पर छतों पर क्या बच्चे, क्या बूढ़े, क्या महिलाएं, क्या नौजवान सभी ने अपने-अपने दुआओं के साथ जीत का दिया जलाया.

देखते-देखते पूरी राजधानी ऐसे जान पड़ रही थी जैसे 14 वर्ष के वनवास के बाद मर्यादा पुरुषोत्तम श्री राम अयोध्या लौटे हो और उनके सम्मान में लोग अपने अपने घरों में दीए जला रहे हो.हिंदू शास्त्रों के विपरीत यह दीपावली युगों-युगों तक याद की जाएगी. आने वाली पीढ़ी या तो किताबों में पढ़ेगी या अपने अंग्रेजों से सुनेगी की एक ऐसी आफत हमारे देश पर आई थी जिसका मुकाबला सभी ने मिलकर किया था.

रांचीः वैश्विक महामारी के रूप में पनपी कोरोना वायरस हर भारतीयों के जीवन में अंधेरा भरने पर आमादा है. लेकिन प्रधानमंत्री के आह्वान पर 130 करोड़ भारतवासियों ने अपने अपने घरों की बिजली की रोशनी बंद कर दीया और कैंडल की रोशनी से पूरी दुनिया को बता दिया कि भारत कोरोना वायरस को हराकर रहेगा.

रविवार रात 9:00 बजते ही पूरी रांची अंधकार के आगोश में खो गई और बिजली की रोशनी की जगह दीया, कैंडल और मोबाइल के फ्लैशलाइट से पूरी रांची इस तरह जगमग हो ठीक जैसे आसमान में जुगनू उतर आए हो. अद्भुत अनुपम और अविस्मरणीय नजारा. बहुत से घरों में लोगों ने ओम उच्चारण का म्यूजिक लगा रखा था. 5 अप्रैल, रात 9:00 बजे और 9 मिनट तक ऐसी समां जली जिसने हर भारतीयों के दिल में विश्वास पैदा कर दिया कि हम कोरोनावायरस को हराकर ही मानेंगे. सभी छतों पर छतों पर क्या बच्चे, क्या बूढ़े, क्या महिलाएं, क्या नौजवान सभी ने अपने-अपने दुआओं के साथ जीत का दिया जलाया.

देखते-देखते पूरी राजधानी ऐसे जान पड़ रही थी जैसे 14 वर्ष के वनवास के बाद मर्यादा पुरुषोत्तम श्री राम अयोध्या लौटे हो और उनके सम्मान में लोग अपने अपने घरों में दीए जला रहे हो.हिंदू शास्त्रों के विपरीत यह दीपावली युगों-युगों तक याद की जाएगी. आने वाली पीढ़ी या तो किताबों में पढ़ेगी या अपने अंग्रेजों से सुनेगी की एक ऐसी आफत हमारे देश पर आई थी जिसका मुकाबला सभी ने मिलकर किया था.

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