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60:40 नियोजन नीति के खिलाफ अभ्यर्थियों ने राज्यपाल और विधानसभा अध्यक्ष को सौंपा ज्ञापन, मिला सकारात्मक आश्वासन

झारखंड स्टेट यूनियन के कार्यकर्ताओं ने राज्य के राज्यपाल सीपी राधाकृष्णन और विधानसभा अध्यक्ष रबींद्र नाथ महतो से मुलाकात कर ज्ञापन सौंपा. ज्ञापन सौंपने के बाद झारखंड स्टेट यूनियन के प्रतिनिधिमंडल में शामिल लोगों ने राज्यपाल से नई नियोजन नीति को रद्द करने की मांग की.

planning policy in jharkhand
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Published : Jul 13, 2023, 9:34 PM IST

रांची: झारखंड स्टेट स्टूडेंट यूनियन द्वारा पिछले 6 महीने से राज्य सरकार द्वारा लागू की गई नई नियोजन नीति के खिलाफ समय-समय पर विरोध प्रदर्शन किया जा रहा है. इसी को लेकर गुरुवार को भी झारखंड स्टेट स्टूडेंट यूनियन का एक प्रतिनिधिमंडल अपनी मांगों को लेकर और 60:40 नियोजन नीति नाय चलतो के समर्थन में 72 विधायकों के समर्थन के साथ राज्यपाल सीपी राधाकृष्णन और विधानसभा अध्यक्ष रबींद्र नाथ महतो के पास पहुंचे.

यह भी पढ़ें: 15 दिनों से विधायक से नहीं हो रही मुलाकात, 60-40 नियोजन नीति के विरोध में समर्थन जुटाने वाले छात्रों में आक्रोश

राज्यपाल से की मुलाकात: विरोध करने वाले अभ्यर्थियों ने राज्यपाल को सारी जानकारी देकर ज्ञापन सौंपा. साथ ही उन्होंने 60:40 नियोजन नीति को रद्द करने की मांग राज्यपाल से की. ज्ञापन सौंपने के बाद प्रतिनिधिमंडल में शामिल लोगों को राज्यपाल की तरफ से यह आश्वासन दिया गया कि राज्य के तृतीय और चतुर्थ श्रेणी की नियुक्ति विज्ञापन में झारखंडी निवासी नहीं होने की बात को गंभीरता से लिया जाएगा और अन्य राज्यों के नियोजन नीति का गहन अध्ययन कर इसे लागू किया जाएगा. प्रतिनिधिमंडल में शामिल लोगों ने राज्यपाल से मुलाकात करने के बाद कहा कि सकारात्मक आश्वासन दिया गया है.

विधानसभा अध्यक्ष को भी सौंपा ज्ञापन: वहीं 60:40 नियोजन नीति के खिलाफ आवाज उठाने वाले लोगों ने गुरुवार को विधानसभा अध्यक्ष रबींद्र नाथ महतो से भी मुलाकात की. जहां पर विधानसभा अध्यक्ष ने भी प्रतिनिधिमंडल से मुलाकात कर उन्हें आश्वासन दिया कि यदि नई नियोजन नीति से राज्य वासियों को नुकसान होगा तो आने वाले समय में राज्य के मुख्यमंत्री छात्रों और राज्य वासियों के हित में निर्णय लेने से पीछे नहीं हटेंगे.

सरकार आदिवासियों को ठगने का कर रही काम: ज्ञापन सौंपने के बाद झारखंड स्टेट यूनियन के कार्यकर्ताओं ने कहा कि उनका लक्ष्य है कि झारखंड के तृतीय और चतुर्थ वर्गीय में सिर्फ झारखंडियों का हक हो. क्योंकि आज भी झारखंड में रहने वाले मूलवासी और आदिवासी विकास से कोसों दूर हैं. ऐसे में यदि सरकार की तरफ से उन्हें आरक्षण दिया जाएगा, तो निश्चित रूप से आदिवासियों का विकास हो पाएगा. लेकिन झारखंड की सरकार अपने वोट बैंक को मजबूत करने के लिए 60:40 नियोजन नीति लाकर राज्य के मूलवासी और आदिवासियों को ठगने का काम कर रही है.

रांची: झारखंड स्टेट स्टूडेंट यूनियन द्वारा पिछले 6 महीने से राज्य सरकार द्वारा लागू की गई नई नियोजन नीति के खिलाफ समय-समय पर विरोध प्रदर्शन किया जा रहा है. इसी को लेकर गुरुवार को भी झारखंड स्टेट स्टूडेंट यूनियन का एक प्रतिनिधिमंडल अपनी मांगों को लेकर और 60:40 नियोजन नीति नाय चलतो के समर्थन में 72 विधायकों के समर्थन के साथ राज्यपाल सीपी राधाकृष्णन और विधानसभा अध्यक्ष रबींद्र नाथ महतो के पास पहुंचे.

यह भी पढ़ें: 15 दिनों से विधायक से नहीं हो रही मुलाकात, 60-40 नियोजन नीति के विरोध में समर्थन जुटाने वाले छात्रों में आक्रोश

राज्यपाल से की मुलाकात: विरोध करने वाले अभ्यर्थियों ने राज्यपाल को सारी जानकारी देकर ज्ञापन सौंपा. साथ ही उन्होंने 60:40 नियोजन नीति को रद्द करने की मांग राज्यपाल से की. ज्ञापन सौंपने के बाद प्रतिनिधिमंडल में शामिल लोगों को राज्यपाल की तरफ से यह आश्वासन दिया गया कि राज्य के तृतीय और चतुर्थ श्रेणी की नियुक्ति विज्ञापन में झारखंडी निवासी नहीं होने की बात को गंभीरता से लिया जाएगा और अन्य राज्यों के नियोजन नीति का गहन अध्ययन कर इसे लागू किया जाएगा. प्रतिनिधिमंडल में शामिल लोगों ने राज्यपाल से मुलाकात करने के बाद कहा कि सकारात्मक आश्वासन दिया गया है.

विधानसभा अध्यक्ष को भी सौंपा ज्ञापन: वहीं 60:40 नियोजन नीति के खिलाफ आवाज उठाने वाले लोगों ने गुरुवार को विधानसभा अध्यक्ष रबींद्र नाथ महतो से भी मुलाकात की. जहां पर विधानसभा अध्यक्ष ने भी प्रतिनिधिमंडल से मुलाकात कर उन्हें आश्वासन दिया कि यदि नई नियोजन नीति से राज्य वासियों को नुकसान होगा तो आने वाले समय में राज्य के मुख्यमंत्री छात्रों और राज्य वासियों के हित में निर्णय लेने से पीछे नहीं हटेंगे.

सरकार आदिवासियों को ठगने का कर रही काम: ज्ञापन सौंपने के बाद झारखंड स्टेट यूनियन के कार्यकर्ताओं ने कहा कि उनका लक्ष्य है कि झारखंड के तृतीय और चतुर्थ वर्गीय में सिर्फ झारखंडियों का हक हो. क्योंकि आज भी झारखंड में रहने वाले मूलवासी और आदिवासी विकास से कोसों दूर हैं. ऐसे में यदि सरकार की तरफ से उन्हें आरक्षण दिया जाएगा, तो निश्चित रूप से आदिवासियों का विकास हो पाएगा. लेकिन झारखंड की सरकार अपने वोट बैंक को मजबूत करने के लिए 60:40 नियोजन नीति लाकर राज्य के मूलवासी और आदिवासियों को ठगने का काम कर रही है.

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