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राज्य के सबसे पुराने विश्वविद्यालय में नहीं है बीपीएड कोर्स की सुविधा, जानें खिलाड़ियों के कितना महत्वपूर्ण है यह कोर्स

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Published : Jul 27, 2021, 5:02 PM IST

रांची यूनिवर्सिटी (Ranchi University) के विद्यार्थी बेहतर प्रदर्शन कर हर क्षेत्र में अपना परचम लहराते रहे हैं. चाहे वह खेल हो या फिर पढ़ाई, लेकिन खिलाड़ियों के हित के लिए विश्वविद्यालय प्रबंधन ने अब तक कोई अहम फैसला नहीं लिया है. खिलाड़ियों को प्रोफेसनल बनने के लिए बीपीएड की डिग्री या डिप्लोमा लेना अनिवार्य होता है, लेकिन पिछले 60 सालों में आरयू में इस कोर्स की शुरुआत नहीं हो पाई है. जबकि किसी भी यूनिवर्सिटी स्तर पर प्रतियोगिता (University Level Competition) में हिस्सा लेने के लिए खिलाड़ियों को बीपीएड का प्रमाण पत्र दिखाना अनिवार्य होता है.

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आरयू

रांची: आरयू के विद्यार्थी पढ़ाई के साथ-साथ खेल में भी अन्य विश्वविद्यालयों से बेहतर है. आरयू के हजारों विद्यार्थी खेल के क्षेत्र में परचम लहरा चुके हैं, जिसमें तीरंदाजी में मधुमिता, एथलेटिक्स में फ्लोरेंस बारला जैसे नाम शामिल हैं. उन्होंने अंतरराष्ट्रीय पटल पर विश्वविद्यालय का नाम रोशन किया है, लेकिन इन खिलाड़ियों के हित में फैसला लेने में रांची यूनिवर्सिटी (Ranchi University) फेल साबित हुआ है.

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आरयू के विद्यार्थी हर क्षेत्र में बेहतर प्रदर्शन करते आ रहे हैं. विद्यार्थियों ने पढ़ाई के साथ-साथ खेल में भी अंतरराष्ट्रीय पटल पर विश्वविद्यालय, राज्य और देश का नाम रोशन किया है. उसके बावजूद विश्वविद्यालय प्रबंधन खिलाड़ियों से जुड़े महत्वपूर्ण फैसला लेने में फेल है. खिलाड़ियों को प्रोफेसनल बनने के लिए बीपीएड की डिग्री या डिप्लोमा लेना अनिवार्य होता है, लेकिन पिछले 60 सालों में रांची विश्वविद्यालय में इस कोर्स की शुरुआत नहीं हो पाई है. जबकि खिलाड़ी लगातार इस ओर ध्यान देने की अपील कर रहे हैं.

देखें पूरी खबर





प्रतियोगिता में हिस्सा लेने के बीपीएड का प्रमाण पत्र आवश्यक


बैचलर इन फिजिकल एजुकेशन और डिप्लोमा इन फिजिकल एजुकेशन नाम से संचालित होने वाला कोर्स यहां पढ़ने वाले विद्यार्थियों और खिलाड़ियों के लिए काफी महत्वपूर्ण है. किसी भी यूनिवर्सिटी स्तर पर प्रतियोगिता में हिस्सा लेने के लिए खिलाड़ियों को बीपीएड का प्रमाण पत्र दिखाना पड़ता है. बीपीएड के लिए विद्यार्थी प्राइवेट विश्वविद्यालय या फिर दूसरे राज्यों में पढ़ाई कर रहे हैं. इसके लिए उन्हें मोटी रकम देनी पड़ती है, जो खिलाड़ियों के लिए दुर्भाग्य की बात है.

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राज्य के विश्वविद्यालयों में बीपीएड का कोर्स नहीं

रांची विश्वविद्यालय के अलावा डीएसपीएमयू में भी इस कोर्स की शुरुआत नहीं हुई है. रांची विश्वविद्यालय में पिछले 4 से 5 सालों में कई वोकेशनल कोर्स की शुरुआत की गई है, जिसमें योगा, डांस, फाइन आर्ट, थियेटर, फॉरेन लैंग्वेज सहित अन्य कई कोर्स शामिल है, लेकिन खिलाड़ियों के ओर विश्वविद्याल प्रबंधन की ओर से ध्यान नहीं दिया गया.

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प्रैक्टिस करते खिलाड़ी



फिजिकल एजुकेशन के लिए यूजीसी ने भेजा था फंड

यूजीसी के ओर फिजिकल एजुकेशन का कोर्स करवाने के लिए विश्वविद्यालय को फंड भी भेजा गया था. इसे लेकर गुमला में कॉलेज बनाने का प्रस्ताव भी राज्य सरकार को भेजा गया था. लेटलतीफी के कारण यह प्रस्ताव भी ठंडे बस्ते में चला गया और यूजीसी ने भी अपना फंड वापस करवा लिया. एक बार फिर विश्वविद्यालय में बीपीएड की मांग उठने लगी है, लेकिन अब तक विश्वविद्यालय ने इस पर कोई फैसला नहीं लिया है.

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विद्यार्थी अन्य शिक्षण संस्थान से कर रहे बीपीएड

वहीं इस मामले को लेकर ईटीवी भारत की टीम ने रांची विश्वविद्यालय की कुलपति कमिनी कुमार से बातचीत की, जिसमें उन्होंने कहा कि फिलहाल यह कोर्स संचालित नहीं हो रही है, विद्यार्थी अन्य शिक्षण संस्थानों से बीपीएड का कोर्स कर रहे हैं, आने वाले समय में इसे लेकर विश्वविद्यालय फैसला लेगी.

रांची: आरयू के विद्यार्थी पढ़ाई के साथ-साथ खेल में भी अन्य विश्वविद्यालयों से बेहतर है. आरयू के हजारों विद्यार्थी खेल के क्षेत्र में परचम लहरा चुके हैं, जिसमें तीरंदाजी में मधुमिता, एथलेटिक्स में फ्लोरेंस बारला जैसे नाम शामिल हैं. उन्होंने अंतरराष्ट्रीय पटल पर विश्वविद्यालय का नाम रोशन किया है, लेकिन इन खिलाड़ियों के हित में फैसला लेने में रांची यूनिवर्सिटी (Ranchi University) फेल साबित हुआ है.

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आरयू के विद्यार्थी हर क्षेत्र में बेहतर प्रदर्शन करते आ रहे हैं. विद्यार्थियों ने पढ़ाई के साथ-साथ खेल में भी अंतरराष्ट्रीय पटल पर विश्वविद्यालय, राज्य और देश का नाम रोशन किया है. उसके बावजूद विश्वविद्यालय प्रबंधन खिलाड़ियों से जुड़े महत्वपूर्ण फैसला लेने में फेल है. खिलाड़ियों को प्रोफेसनल बनने के लिए बीपीएड की डिग्री या डिप्लोमा लेना अनिवार्य होता है, लेकिन पिछले 60 सालों में रांची विश्वविद्यालय में इस कोर्स की शुरुआत नहीं हो पाई है. जबकि खिलाड़ी लगातार इस ओर ध्यान देने की अपील कर रहे हैं.

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प्रतियोगिता में हिस्सा लेने के बीपीएड का प्रमाण पत्र आवश्यक


बैचलर इन फिजिकल एजुकेशन और डिप्लोमा इन फिजिकल एजुकेशन नाम से संचालित होने वाला कोर्स यहां पढ़ने वाले विद्यार्थियों और खिलाड़ियों के लिए काफी महत्वपूर्ण है. किसी भी यूनिवर्सिटी स्तर पर प्रतियोगिता में हिस्सा लेने के लिए खिलाड़ियों को बीपीएड का प्रमाण पत्र दिखाना पड़ता है. बीपीएड के लिए विद्यार्थी प्राइवेट विश्वविद्यालय या फिर दूसरे राज्यों में पढ़ाई कर रहे हैं. इसके लिए उन्हें मोटी रकम देनी पड़ती है, जो खिलाड़ियों के लिए दुर्भाग्य की बात है.

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राज्य के विश्वविद्यालयों में बीपीएड का कोर्स नहीं

रांची विश्वविद्यालय के अलावा डीएसपीएमयू में भी इस कोर्स की शुरुआत नहीं हुई है. रांची विश्वविद्यालय में पिछले 4 से 5 सालों में कई वोकेशनल कोर्स की शुरुआत की गई है, जिसमें योगा, डांस, फाइन आर्ट, थियेटर, फॉरेन लैंग्वेज सहित अन्य कई कोर्स शामिल है, लेकिन खिलाड़ियों के ओर विश्वविद्याल प्रबंधन की ओर से ध्यान नहीं दिया गया.

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फिजिकल एजुकेशन के लिए यूजीसी ने भेजा था फंड

यूजीसी के ओर फिजिकल एजुकेशन का कोर्स करवाने के लिए विश्वविद्यालय को फंड भी भेजा गया था. इसे लेकर गुमला में कॉलेज बनाने का प्रस्ताव भी राज्य सरकार को भेजा गया था. लेटलतीफी के कारण यह प्रस्ताव भी ठंडे बस्ते में चला गया और यूजीसी ने भी अपना फंड वापस करवा लिया. एक बार फिर विश्वविद्यालय में बीपीएड की मांग उठने लगी है, लेकिन अब तक विश्वविद्यालय ने इस पर कोई फैसला नहीं लिया है.

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विद्यार्थी अन्य शिक्षण संस्थान से कर रहे बीपीएड

वहीं इस मामले को लेकर ईटीवी भारत की टीम ने रांची विश्वविद्यालय की कुलपति कमिनी कुमार से बातचीत की, जिसमें उन्होंने कहा कि फिलहाल यह कोर्स संचालित नहीं हो रही है, विद्यार्थी अन्य शिक्षण संस्थानों से बीपीएड का कोर्स कर रहे हैं, आने वाले समय में इसे लेकर विश्वविद्यालय फैसला लेगी.

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