रांची: विकास की नई रूपरेखा तय करने के उद्देश्य से सस्टेनेबल जस्ट ट्रांजिशन विजिट डॉक्यूमेंट 'नव निर्माण की ओर अग्रसर' पुस्तक का लोकार्पण बुधवार को मुख्य सचिव सुखदेव सिंह और अन्य पदाधिकारियों ने किया. राजधानी के रेडिसन ब्लू होटल में आयोजित इस कार्यक्रम के जरिए बदलते तकनीक और जलवायु परिवर्तन पर विस्तार से चर्चा की गई. इस मौके पर मुख्य सचिव सुखदेव सिंह ने कहा कि जस्ट ट्रांजिशन झारखंड में विकास की नई रूपरेखा तय करेगा.
यह भी पढ़ें: झारखंड में जस्ट ट्रांजिशन से ही बचेगा पर्यावरण, ग्लोबल वार्मिंग से जूझ रहा विश्व
देश में जलवायु परिवर्तन के बढ़ते संकट को रोकने के लिए भी विजन 2070 के नेट-जीरो लक्ष्य को प्राप्त करने की बात कही गई है, जिसमें झारखंड टास्क फोर्स गठन करने वाला देश का पहला राज्य है. वन विभाग और झारखंड राज्य प्रदूषण नियंत्रण परिषद के संयुक्त तत्वावधान में सीट द्वारा आयोजित इस कार्यक्रम को संबोधित करते हुए मुख्य सचिव ने कहा कि सस्टेनेबल जस्ट ट्रांजिशन टास्क फोर्स राज्य ही नहीं बल्कि भारत के क्लाइमेट चेंज से संबंधित महत्वाकांक्षी लक्ष्य और ग्रीन इकोनामी के रास्ते पर चलने के लिए बेहद ही महत्वपूर्ण है.
उन्होंने कहा कि यह टास्क फोर्स राज्य की भावी दशा और दिशा के लिए निर्णायक भूमिका निभाएगी. क्योंकि यह आकलन करेगा कि हरित अर्थव्यवस्था की राह पर चलना झारखंड जैसे खनिज संपन्न राज्य को कैसे प्रभावित करेगा और इसका क्या ठोस समाधान और नीतिगत रास्ता होगा. झारखंड में रिन्यूएवल एनर्जी के माध्यम से पावर जनरेट करने का लक्ष्य जिसमें सोलर एनर्जी, हाइड्रोजन एनर्जी आदि महत्वपूर्ण स्रोत होंगे. राज्य में कोयला और थर्मल पावर प्लांट और इससे संबद्ध स्थानीय अर्थव्यवस्था, लघु उद्योगों और असंगठित क्षेत्र से लाखों लोग जीविका प्राप्त करते हैं. मुख्य सचिव ने झारखंड, ओडिशा, बंगाल और छत्तीसगढ़ जैसे राज्यों को संयुक्त प्रयास करना चाहिए.
विजन 2070 के नेट-जीरो लक्ष्य को पूरा करने का संकल्प: कार्यक्रम को ऑनलाइन माध्यम से संबोधित करते हुए केंद्रीय कोयला सचिव अमृतलाल मीणा ने कहा कि केंद्र सरकार ने विजन 2070 के नेटजीरो के लक्ष्य को प्राप्त करने की ओर कदम बढ़ा दिया है. कोयले पर निर्भरता को कम करने की कोशिश की जा रही है. इस दिशा में खदानों को भी बंद किया जा रहा है. उन्होंने कोयला खदानों से पर्यावरण को होने वाले नुकसान से बचाने के उपायों को बताते हुए कहा कि अंडरकास्ट कोयला निकालने पर जोर दिया जा रहा है. अपने देश में मात्र 4% अंडर माइनिंग होती है. शेष 96% ओपन कास्ट कोयला पर निर्भर रहना पड़ता है, जिससे पर्यावरण पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ रहा है. झारखंड देश का दूसरा सबसे बड़ा कोल उत्पादक राज्य है जहां 24 में से 13 जिलों में कोयला उत्पादन होती है. कोल माइनिंग से प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से करीब 3 लाख लोग जुड़े हुए हैं. ऐसे में जब हम ग्रीन एनर्जी की ओर कदम बढ़ाने में लगे हैं तो हमारे लिए बड़ी चुनौती है कि पर्यावरण संरक्षण के साथ-साथ विकास की भी रूपरेखा तय करें.
जानिए क्या है सस्टेनेबल जस्ट ट्रांजिशन टास्क फोर्स: सस्टेनेबल जस्ट ट्रांजिशन टास्क फोर्स यह आकलन करेगा कि हरित अर्थव्यवस्था की राह पर चलना झारखंड जैसे खनिज संपन्न राज्य को कैसे प्रभावित करेगा और इसका क्या ठोस समाधान और नीतिगत रास्ता होगा. इसका उद्देश्य जीवाश्म ईंधन पर आधारित मॉडल से अलग स्वच्छ ऊर्जा तंत्र के निर्माण के क्रम में आने वाले प्रभावों का अध्ययन करना, कार्बन न्यूट्रल इकोनामी के लिए सेक्टरल स्तर पर नीतिगत हस्तक्षेप की सिफारिश करना और जीवाश्म के खनन पर प्रत्यक्ष रूप से आधारित जिलों के लिए एक्शन प्लान तैयार करना है.
झारखंड सरकार ने पिछले साल नवंबर में सेवानिवृत्त आईएफएस अधिकारी एके रस्तोगी को इसका अध्यक्ष बनाया है. इस अवसर पर एके रस्तोगी ने कहा कि टास्क फोर्स 1 साल में एक अंतरिम रिपोर्ट और दूसरे वर्ष के अंत में व्यापक रिपोर्ट देगा. आज खुशी इस बात की हो रही है कि भविष्य के विकास के लिए रोड मैप बनाने की दिशा में झारखंड ने एक कदम बढ़ाया है. इस अवसर पर वन विभाग के अपर मुख्य सचिव एल खियांग्ते, प्रधान मुख्य वन संरक्षक डॉ संजय श्रीवास्तव, सीड के चीफ एग्जीक्यूटिव ऑफिसर रमापति कुमार ने संबोधित किया. कई सत्रों में पूरे दिन भर चले इस कार्यक्रम में विभिन्न विषयों पर चर्चा की गई.