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झारखंड में अब ब्लैक फंगस बीमारी बढ़ने की आशंका, रिम्स में बनाया गया स्पेशल वार्ड - Black Fungus Ward in Ranchi Rims

कोरोना के बाद अब झारखंड में ब्लैक फंगस का खतरा बढ़ता जा रहा है. इसको लेकर रांची में तैयारी भी शुरू कर दी गई है. मरीजों की बढ़ती संख्या को देखते हुए राज्य के सबसे बड़े अस्पताल रिम्स के डेंगू वार्ड को ब्लैक फंगस वार्ड में तब्दील कर दिया गया है.

Preparations to deal with black fungus
ब्लैक फंगस से निपटने की तैयारी
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Published : May 21, 2021, 9:48 PM IST

रांची: राज्य में ब्लैक फंगस के मरीजों की बढ़ती संख्या और आने वाले दिनों में इसकी संख्या में और बढ़ोतरी की आशंका को देखते हुए राज्य के सबसे बड़े सरकारी अस्पताल रिम्स ने तैयारियां शुरू कर दी हैं. रिम्स के डेंगू वार्ड को अब ब्लैक फंगस वार्ड बनाया गया है. जिसमें एक साथ 36 रोगियों का इलाज हो सकेगा.

ये भी पढ़ें- झारखंड में ब्लैक फंगस को महामारी घोषित करने की तैयारी, विभागीय स्तर पर प्रक्रिया शुरू

आपात स्थिति की तैयारी

रिम्स कोरोना टास्क फोर्स के डॉ प्रभात कुमार के मुताबिक राज्य में जिस तरह से कोरोना संक्रमण के दूसरी लहर में रोगियों की जान बचाने के लिये स्टेरॉइड्स का इस्तेमाल हुआ है. ऐसे में आशंका है कि आनेवाले दिनों में ब्लैक फंगस के रोगियों की संख्या भी तेजी से बढ़े. इसी को ध्यान में रखते हुए रिम्स प्रशासन पहले से ही इस तरह की तैयारी कर रहा है ताकि आपात स्थिति में कोई परेशानी ना हो.

जानकारी देते डॉक्टर प्रभात कुमार
क्या है ब्लैक फंगस?
इसका दूसरा नाम म्यूकर माइकोसिस है जो आम लोगों के भी साइनस में रहता है पर सामान्यतः यह शरीर के प्रतिरोधी शक्ति के आगे कुछ कर नहीं पाता. चिकित्सकों के अनुसार इस वक्त यह खतरनाक इसलिए हो गया है क्योंकि कोविड से ग्रस्त गंभीर किस्म के रोगी की जान बचाने के लिए डॉक्टर हाई डोज स्टेरॉयड का इस्तेमाल कर रहे हैं. जिसकी वजह से शरीर में ब्लड शुगर की मात्रा तेजी से बढ़ती है. व्यक्ति का डाईबेटिक होना ही ब्लैक फंगस को बढ़ने का मौका दे देता है. साइनस, फेफड़े, आंख और फिर ब्रेन तक पहुंचकर फंगस का इंफेक्शन मारक हो जाता है.
क्या है ब्लैक फंगस के लक्षण?
कोरोना को परास्त कर चुके मरीजों को अगर 15 दिन के अंदर आंखों के चारों ओर सूजन, पुतलियों के मूवमेंट्स में परेशानी, थूक के साथ काला पदार्थ निकलना, नाक से खून बहने जैसे लक्षण ब्लैक फंगस के हैं. कोरोना से ठीक हो चुके मरीज की आंखें ज्यादा लाल हो जाए तो उन्हें भी सतर्क हो जाना चाहिए.

50 फीसदी है मोर्टेलिटी रेट

इस बीमारी में मोर्टेलिटी रेट 50 फीसदी है, इसलिए इसे कोरोना से भी खतरनाक माना जा रहा है. यही कारण है कि रिम्स इसको लेकर पूरी तैयारी में जुटा है. न्यू ट्रामा सेंटर में भी ब्लैक फंगस के गंभीर रोगियों को रखने की व्यवस्था की जा रही है.


पेंडेमिक घोषित होगा ब्लैक फंगस

स्वास्थ्य विभाग के सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार कोविड की तरह ही अब ब्लैक फंगस को भी सरकार महामारी घोषित करने की तैयारी कर रही है. इससे संबंधित एक प्रस्ताव स्वास्थ्य विभाग द्वारा तैयार कर सीएम हेमंत सोरेन के पास भेजा गया है. सीएम से मंजूरी मिलने के बाद कैबिनेट की मंजूरी के लिए भेजा जाएगा, मंत्रीमंडल से स्वीकृति के बाद इसे आपदा एक्ट के तहत महामारी घोषित कर दिया जाएगा.

रांची: राज्य में ब्लैक फंगस के मरीजों की बढ़ती संख्या और आने वाले दिनों में इसकी संख्या में और बढ़ोतरी की आशंका को देखते हुए राज्य के सबसे बड़े सरकारी अस्पताल रिम्स ने तैयारियां शुरू कर दी हैं. रिम्स के डेंगू वार्ड को अब ब्लैक फंगस वार्ड बनाया गया है. जिसमें एक साथ 36 रोगियों का इलाज हो सकेगा.

ये भी पढ़ें- झारखंड में ब्लैक फंगस को महामारी घोषित करने की तैयारी, विभागीय स्तर पर प्रक्रिया शुरू

आपात स्थिति की तैयारी

रिम्स कोरोना टास्क फोर्स के डॉ प्रभात कुमार के मुताबिक राज्य में जिस तरह से कोरोना संक्रमण के दूसरी लहर में रोगियों की जान बचाने के लिये स्टेरॉइड्स का इस्तेमाल हुआ है. ऐसे में आशंका है कि आनेवाले दिनों में ब्लैक फंगस के रोगियों की संख्या भी तेजी से बढ़े. इसी को ध्यान में रखते हुए रिम्स प्रशासन पहले से ही इस तरह की तैयारी कर रहा है ताकि आपात स्थिति में कोई परेशानी ना हो.

जानकारी देते डॉक्टर प्रभात कुमार
क्या है ब्लैक फंगस?
इसका दूसरा नाम म्यूकर माइकोसिस है जो आम लोगों के भी साइनस में रहता है पर सामान्यतः यह शरीर के प्रतिरोधी शक्ति के आगे कुछ कर नहीं पाता. चिकित्सकों के अनुसार इस वक्त यह खतरनाक इसलिए हो गया है क्योंकि कोविड से ग्रस्त गंभीर किस्म के रोगी की जान बचाने के लिए डॉक्टर हाई डोज स्टेरॉयड का इस्तेमाल कर रहे हैं. जिसकी वजह से शरीर में ब्लड शुगर की मात्रा तेजी से बढ़ती है. व्यक्ति का डाईबेटिक होना ही ब्लैक फंगस को बढ़ने का मौका दे देता है. साइनस, फेफड़े, आंख और फिर ब्रेन तक पहुंचकर फंगस का इंफेक्शन मारक हो जाता है.
क्या है ब्लैक फंगस के लक्षण?
कोरोना को परास्त कर चुके मरीजों को अगर 15 दिन के अंदर आंखों के चारों ओर सूजन, पुतलियों के मूवमेंट्स में परेशानी, थूक के साथ काला पदार्थ निकलना, नाक से खून बहने जैसे लक्षण ब्लैक फंगस के हैं. कोरोना से ठीक हो चुके मरीज की आंखें ज्यादा लाल हो जाए तो उन्हें भी सतर्क हो जाना चाहिए.

50 फीसदी है मोर्टेलिटी रेट

इस बीमारी में मोर्टेलिटी रेट 50 फीसदी है, इसलिए इसे कोरोना से भी खतरनाक माना जा रहा है. यही कारण है कि रिम्स इसको लेकर पूरी तैयारी में जुटा है. न्यू ट्रामा सेंटर में भी ब्लैक फंगस के गंभीर रोगियों को रखने की व्यवस्था की जा रही है.


पेंडेमिक घोषित होगा ब्लैक फंगस

स्वास्थ्य विभाग के सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार कोविड की तरह ही अब ब्लैक फंगस को भी सरकार महामारी घोषित करने की तैयारी कर रही है. इससे संबंधित एक प्रस्ताव स्वास्थ्य विभाग द्वारा तैयार कर सीएम हेमंत सोरेन के पास भेजा गया है. सीएम से मंजूरी मिलने के बाद कैबिनेट की मंजूरी के लिए भेजा जाएगा, मंत्रीमंडल से स्वीकृति के बाद इसे आपदा एक्ट के तहत महामारी घोषित कर दिया जाएगा.

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