रांची: बीजेपी ने झारखंड में जातीय समीकरण को देखते हुए दलित नेता अमर कुमार बाउरी को विधायक दल का नेता चुना है. वहीं पिछड़ा वर्ग से आने वाले जयप्रकाश भाई पटेल को विधानसभा में सचेतक बनाया गया है. जबकि कुछ दिन पहले ही आदिवासी नेता बाबूलाल मरांडी को पार्टी का प्रदेश अध्यक्ष बनाया गया है. लगता है कि मिशन 2024 के लिए झारखंड में बीजेपी की टीम पूरी हो चुकी है.
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झारखंड में अगर जातीय समीकरण की बात करें तो पिछड़ों (ओबीसी) की आबादी 55 प्रतिशत के आसपास है. वहीं 26.3 प्रतिशत आबादी आदिवासियों (एसटी) की है. वहीं करीब 11 प्रतिशत दलित (एससी) आबादी है. इसलिए बीजेपी की ओर से आबादी के हिसाब से पार्टी और सरकार में नेताओं को जगह दी जा रही है. जिस तरह से पिछड़ों की आबादी है, उसी हिसाब से चार बड़े नेताओं रघुवर दास, अन्नपूर्णा देवी, बिरंची नारायण और जयप्रकाश भाई पटेल को संगठन और सरकार में जिम्मेवारी दी गई है. वहीं दो बड़े आदिवासी चेहरे बाबूलाल मरांडी और अर्जुन मुंडा को प्रदेश अध्यक्ष और केंद्रीय मंत्री की जिम्मेवारी दी गई है. वहीं दलित नेता अमर कुमार बाउरी पर बीजेपी ने बड़ा दाव खेला है. उन्हें विधायक दल का नेता बनाया गया है. इधर, लक्ष्मीकांत वाजपेयी पहले से ही सवर्ण का प्रतिनिधित्व कर रहे हैं.
अमर कुमार बाउरी: अमर कुमार बाउरी वर्तमान में झारखंड के चंदनकियारी से विधायक और भाजपा एससी मोर्चा के प्रदेश अध्यक्ष हैं. वह एक युवा और ऊर्जावान नेता हैं. पिछली रघुवर दास सरकार में वे खेल एवं युवा मामलों के मंत्री थे. अमर बाउरी 2014 में जेवीएम के टिकट पर चुनाव जीतकर झारखंड विधानसभा पहुंचे थे, लेकिन कुछ ही दिन बाद वह बीजेपी में शामिल हो गए और उन्हें मंत्री बनाया गया.
जयप्रकाश भाई पटेल: पिता टेकलाल महतो के निधन के बाद अक्टूबर 2011 में राजनीति में सक्रिय हुए. उसी साल हुए उपचुनाव में उन्होंने जेएमएम के टिकट पर उपचुनाव लड़ा और जीत दर्ज की. फिर 2014 में उन्होंने जेएमएम से ही जीत दर्ज की, लेकिन 2019 चुनाव से ठीक पहले बीजेपी में शामिल हो गए और अपने ही सगे भाई को चुनाव के मैदान में पटखनी दी और जीत दर्ज किया. जयप्रकाश भाई पटेल सदन से लेकर सड़क तक काफी मुखर रहे हैं. टेकलाल महतो की महतो वोट बैंक पर अच्छी पकड़ थी. इसलिए माना जाता है कि उन्हें इस समाज का समर्थन हासिल है.
बाबूलाल मरांडी: कुछ दिन पहले ही बाबूलाल मरांडी को बीजेपी ने झारखंड में पार्टी की कमान दी थी. बाबूलाल 2024 के लक्ष्य को देखते हुए राज्य में संकल्प यात्रा कर कार्यकर्ताओं को एक्टिव कर रहे है और पार्टी के पक्ष में माहौल बना रहे हैं. बाबूलाल झारखंड में बेदाग छवि वाले एक बड़े आदिवासी नेता हैं. वह झारखंड के पहले मुख्यमंत्री भी रहे हैं. हालांकि 14 सालों तक वह बीजेपी से अलग अपनी पार्टी चलाते रहे लेकिन 2020 में फिर से बीजेपी में शामिल हो गए. फिलहाल बीजेपी उन्हें आगे बढ़ाकर राज्य में आदिवासी कार्ड खेल रही है.
इन पर भी लगा है दाव: इनके अलावा झारखंड में तीन और दिग्गज नेता हैं, जिन्हें पार्टी और सरकार में जिम्मेवारी मिली हुई है. तीन बार झारखंड में मुख्यमंत्री रहे अर्जुन मुंडा राज्य के बड़े आदिवासी नेता हैं, उन्हें पीएम मोदी की सरकार में आदिवासी मंत्रालय की जिम्मेवारी मिली हुई है. पिछड़े समाज से आने वाली अन्नपूर्णा देवी भी मोदी की टीम में हैं. उन्हें केंद्रीय शिक्षा राज्य मंत्री की जिम्मेवारी मिली हुई है. वहीं पिछड़े वर्ग के नेता और झारखंड में पहली बार मुख्यमंत्री का कार्यकाल पूरा करने वाले नेता रघुवर दास को पार्टी में राष्ट्रीय उपाध्यक्ष की जिम्मेवारी मिली हुई है. बिरंची नाराया ओबीसी वर्ग से आते हैं, वह विधानसभा में पार्टी के मुख्य सचेतक हैं.
क्या कहते हैं वरिष्ठ पत्रकार: झारखंड की राजनीति को लंबे समय से कवर करने वाले वरिष्ठ पत्रकार नीरज सिन्हा कहते हैं," बेशक झारखंड में एसटी, एससी और ओबीसी वोट को नये सिरे से साधने की चुनौती बीजेपी के सामने है. इसलिए परिस्थितियों को देखते देर-सवेर सही बीजेपी ने वोट समीकरणों के लिहाज से इन नामों को अहम जिम्मेदारी दी है. इस निर्णय से यह भी पता चलता है कि विधायक दल के नेता चुनने के लिए दो महीने पहले केंद्रीय पर्यवेक्षक की मौजूदगी में विधायकों की हुई बैठक में उभरे विचारों और समर्थन के आधार पर अमर बाउरी को नेता विधायक दल बनाया गया है. बाउरी पार्टी में भरोसेमंद चेहरा भी हैं. हालांकि इससे पहले जेपी पटेल का नाम इस पद के लिए बहुत तेजी से उछला था. जाहिर है उन्हें सचेतक बनाकर सामंजस्य बैठाने का अच्छा प्रयास है. लेकिन महत्वपूर्ण पदों पर आए इन नेताओं की असली परीक्षा बाकी है. आने वाले चुनावों में वे पार्टी के लिए कितने असरदार प्रभाव जमायेंगे, यह देखा जा सकता है.
बीजेपी ने पार्टी और सरकार के अंदर भागीदारी के मुताबिक हिस्सेदारी तय कर दी है. क्या 2024 में जनता भी बीजेपी के इस थ्योरी का समर्थन करगी यह तो वक्त ही बताएगा.
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