रांची: लोकसभा चुनाव को लेकर सरगर्मी तेज है. विपक्षी गठबंधन इंडियन नेशनल डेवलपमेंटल इंक्लूसिव अलायंस (INDIA) केन्द्र की बीजेपी सरकार को एक बार फिर सत्ता में आने से रोकने के लिए रणनीति बनाने में जुटी है. विपक्षी गठबंधन के अंदर प्रधानमंत्री के चेहरे को लेकर बने सस्पेंस के बीच राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के संस्थापक शरद पवार ने चुनाव के बाद प्रधानमंत्री का चेहरा तय करने की वकालत की है.
मीडिया के सवालों का जवाब देते हुए उन्होंने कहा है कि 1977 के लोकसभा चुनाव में भी किसी को प्रधानमंत्री के चेहरे के रूप में पेश नहीं किया गया था. लोकसभा चुनाव के बाद मोरारजी देसाई को प्रधानमंत्री बनाया गया. इस चुनाव में कोई चेहरा सामने नहीं रखने की कोई असर नहीं दिखे अगर लोग बदलाव के मूड में है तो वह बदलाव लाने के लिए निर्णय लेंगे.
शरद पवार के बयान पर सियासत शुरू: शरद पवार के बयान पर झारखंड में भी सियासी बयान सामने आने लगे हैं. विपक्षी गठबंधन इंडियन नेशनल डेवलपमेंटल इंक्लूसिव अलायंस के प्रमुख घटक दल झारखंड मुक्ति मोर्चा ने इसे सही बताते हुए कहा है कि मकसद केंद्र की सत्ता से बीजेपी को हटाने का होना चाहिए ना कि विपक्ष में प्रधानमंत्री का चेहरा कौन होगा इसपर ध्यान देने की जरूरत है.
झारखंड मुक्ति मोर्चा के नेता और मंत्री हफीजुल हसन ने शरद पवार के बयान का स्वागत करते हुए कहा है कि झारखंड सहित देश भर में विपक्षी गठबंधन इंडियन नेशनल डेवलपमेंटल इंक्लूसिव अलायंस मजबूती के साथ चुनाव लड़ेगा. झारखंड में हेमंत सोरेन के नेतृत्व में गठबंधन चुनाव लड़ेगी. सीटों का बंटवारा पार्टी के शीर्ष नेतृत्व के द्वारा किया जायेगा. सीटों को लेकर किसी तरह का विवाद नहीं है और आने वाले समय में सब कुछ साफ हो जाएगा.
इधर, भारतीय जनता पार्टी ने शरद पवार के बयान पर तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा है कि जिस भारतीय जनता पार्टी को यह हराने का सपना देख रहे हैं वह पूरा नहीं होगा. इस बार 400 सीट जीतकर नरेंद्र मोदी एक बार फिर देश के प्रधानमंत्री बनेंगे. पूर्व स्पीकर और बीजेपी विधायक सीपी सिंह ने शरद पवार के बयान पर टिप्पणी करते हुए कहा है कि यह सब मन बहलाने के लिए शरद पवार बोल रहे हैं. परिवारवाद वाली यह पार्टी बीजेपी को हराने का सपना देख रही है.
बहरहाल लोकसभा चुनाव आने में भले ही अभी देर हो मगर इसको लेकर सियासी बयानों का दौर जारी है. विपक्ष जहां केंद्र की मोदी सरकार को हैट्रिक बनाने से रोकने में जुटी है. वहीं बीजेपी बार-बार विपक्ष से यही सवाल पूछ रहा है कि प्रधानमंत्री का चेहरा कौन है जो जनता के बीच आना चाहते हैं. इन सवालों पर अभी तक विपक्ष क्लियर नहीं कर पाया है.
ये भी पढ़ें-
अलविदा 2023ः हेमंत सरकार के चार साल, चुनौतीपूर्ण रहेगा कार्यकाल का अंतिम वर्ष
हेमंत सरकार के 4 साल: विवादों के बावजूद अटल अडिग रहे हेमंत सोरेन