रांची: सत्ता पक्ष के झामुमो विधायक लोबिन हेम्ब्रम ने गैर सरकारी संकल्प के तहत सदन में बेहद गंभीर मसले को उठाया. उन्होंने आरोप लगाया कि पाकुड़ में करीब 80 लाख टन कोयले की तस्करी हुई है. अमरापाड़ा में बिना भू-अर्जन के 846 एकड़ रैयती जमीन WPDCL के नाम लीज डीड जारी किया गया है. इससे करीब 3,200 करोड़ रुपए के राजस्व का नुकसान हुआ है.
उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि पाकुड़ में 744.44 एकड़, साहिबंगज में 147.57 एकड़ रैयती जमीन और बोकारो में 155.78 एकड़ गैर मजरुआ खास लैंड का अवैध तरीके से भू-अर्जन और रजिस्टर्ड डीड बनाकर हड़प लिया गया है. लिहाजा, इस गंभीर मामले की जांच विधानसभा की विशेष कमेटी के जरिए कराई जानी चाहिए.
जवाब में प्रभारी मंत्री बादल पत्रलेख ने कहा कि नियम का पालन कर लीज की प्रक्रिया पूरी की जाती है. यह मामला 2018 का है. कोयला निकासी का काम सरकारी कंपनियां करती हैं. फिर भी अगर माननीय के पास साक्ष्य है कि इससे राजस्व का नुकसान हुआ है तो सरकार इसकी जांच कराएगी. इसपर झामुमो विधायक दिनेश विलियम मरांडी ने कहा कि कंपनियां विस्थापितों पर ध्यान नहीं देतीं. कमेटी गठित कर स्थानीय लोगों को कोयला कंपनियां को काम दिलाना चाहिए.
दूसरी ओर लोबिन हेम्ब्रम इस बात अड़े रहे कि उन्हें सरकार के आश्वासन पर भरोसा नहीं है. इसकी जांच विस की कमेटी से करानी चाहिए. उन्होंने स्पीकर से आग्रह किया कि वह नियमन दें और कमेटी गठित करें. लेकिन सरकार इसके लिए तैयार नहीं हुई. नेता प्रतिपक्ष अमर बाउरी ने भी कहा कि साक्ष्य के साथ दो-दो विधायक जांच की मांग कर रहे हैं. इसलिए विस के स्तर पर कमेटी बनानी चाहिए ताकि दूध का दूध और पानी का पानी हो जाए. लेकिन प्रभारी मंत्री बादल पत्रलेख इस बात पर अड़े रहे कि कोयले का उपयोग सरकारी काम के लिए हो रहा है. फिर भी जांच करा ली जाएगी.
खास बात है कि लोबिन हेम्ब्रम द्वारा अभिस्ताव वापस नहीं लेने पर स्पीकर को वोटिंग करानी पड़ी. संसदीय कार्यमंत्री आलमगीर आलम ने भी कहा कि पहले सरकार के स्तर पर जांच होने दिया जाए. अगर उस जांच से संतुष्ट नहीं होते हैं तो दूसरा विकल्प देखा जा सकता है.
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