रांची: निजीकरण और केंद्र की नीतियों का विरोध पूरे देश में हो रहा है. इसको लेकर रांची में भारत बंद का असर देखा जा रहा है. सोमवार को राजधानी रांची में कई श्रमिक नेताओं ने सड़क पर उतर कर रोड जाम किया. जिसमें नेताओं ने राजधानी का मुख्य चौराहा कहा जाने वाला अल्बर्ट एक्का चौक को जाम कर नारेबाजी की.
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इस विरोध प्रदर्शन का नेतृत्व कर रहे पूर्व सांसद भुवनेश्वर मेहता ने कहा कि जिस प्रकार से मोदी सरकार निजीकरण और प्राइवेटाइजेशन को बढ़ावा दे रही है, इस पर मजदूरों का हक और अधिकार छिन रहा है. इसीलिए केंद्र सरकार के इसी नीति के खिलाफ 28 मार्च और 29 मार्च को पूरे देश के मजदूर सड़क पर उतरे हैं. इस आंदोलन के बाद आने वाले समय में सरकार निश्चित रूप से मजदूरों और पिछड़ों के हाथ में अधिकार देने के बारे में विचार करेगी.
हड़ताल को सफल बनाने को लेकर वरिष्ठ मजदूर नेता शुभेंदु कुमार ने बताया कि इस हड़ताल के माध्यम से केंद्र सरकार को चेतावनी देते हैं कि जल्द से जल्द जितने भी सरकारी संस्थाओं को निजी किया गया है और निजीकरण करने का प्रयास किया जा रहा है, उसे बंद करें अन्यथा आने वाले समय में देश भर के मजदूर सड़कों पर उतर कर आंदोलन करेंगे. जिसके बाद इसकी जिम्मेदारी सिर्फ और सिर्फ केंद्र सरकार पर होगी.
आंदोलन का समर्थन कर रहे सीपीआई पार्टी के राष्ट्रीय सचिव अतुल कुमार अंजान ने बताया कि राष्ट्रीय ट्रेड यूनियन संगठन, जिसमें बैंक, बिजली, बीमा के लोग शामिल हैं उन्होंने पूरे देश में दो दिवसीय आम हड़ताल किया है. उनके समर्थन में उनकी पार्टी और किसान संगठन के लोग साथ हैं. उन्होंने बताया कि किस प्रकार से वर्तमान में देश में युवा बेरोजगार हो रहे हैं. सरकारी संस्थाओं का निजीकरण, नौकरी में छंटनी कर रही है, इसे बर्दाश्त नहीं किया जाएगा. सरकार इस हड़ताल से होश में नहीं आती है तो आने वाले समय में पार्टी और तमाम ट्रेड यूनियन उग्र प्रदर्शन करेगी.