रांची: झारखंड में बीएड की पढ़ाई करने वाले छात्र-छात्राओं ने छात्रवृत्ति के लिए सड़क पर उतर कर प्रदर्शन किया. सत्र 2021-23 में पढ़ाई कर रहे बीएड के छात्र-छात्राओं ने कहा कि राज्य के विभिन्न बीएड कॉलेजों से बीएड की पढ़ाई कर रहे छात्र-छात्राओं को एक वर्ष की सरकारी छात्रवृत्ति नहीं मिली है. विद्यार्थियों ने कहा कि दो वर्ष की पढ़ाई के दौरान सरकार के द्वारा एससी, एसटी, ओबीसी के छात्रों को बीएड की पढ़ाई के लिए छात्रवृत्ति दी जाती है, लेकिन इस वर्ष यानी 2021 से 2023 सत्र के छात्रों को सिर्फ एक वर्ष की ही छात्रवृत्ति मिल पाई है, जबकि एक वर्ष की छात्रवृत्ति को लेकर विभाग की तरफ से कोई जवाब नहीं दिया जा रहा है.
छात्रों ने राजभवन के समक्ष किया प्रदर्शनः अपने एक वर्ष की छात्रवृत्ति पाने के लिए राज्य भर से रांची पहुंचे बीएड के छात्रों ने मंगलवार को राजभवन के समक्ष प्रदर्शन भी किया. प्रदर्शन कर रहे छात्रों ने कहा कि सरकारी योजना के तहत मिलने वाली छात्रवृत्ति अब तक नहीं मिल पाई है. जिस वजह से कॉलेजों में होने वाली परीक्षा के पूर्व रजिस्ट्रेशन कराना भी मुश्किल हो गया है. कई छात्रों ने कहा कि यदि सरकार की तरफ से छात्रवृत्ति की राशि नहीं दी गई तो कई छात्र बीएड की परीक्षा नहीं दे सकेंगे.
गरीब छात्र छात्रवृत्ति के भरोसे करते हैं पढ़ाईः छात्रों ने कहा कि बीएड करने में लाखों रुपए खर्च हो जाते हैं, जो छात्रों के लिए जमा करना संभव नहीं हो पाता. क्योंकि ज्यादातर छात्र गरीबी रेखा से नीचे हैं और वह छात्रवृत्ति के भरोसे ही अपनी पढ़ाई पूरी कर पाते हैं. बिना छात्रवृत्ति पढ़ाई करने वाले छात्रों की संख्या पूरे राज्य में करीब तीन हजार है. छात्रवृत्ति नहीं मिलने की वजह से आक्रोशित छात्रों ने कहा कि समाज कल्याण विभाग की तरफ से ई-कल्याण पोर्टल पर निबंधित किए गए छात्रों को ही छात्रवृत्ति की राशि दी जाती थी, लेकिन इस बार बंद कर दिया गया है.
छात्रवृत्ति मिलने से पहले ही ई-कल्याण पोर्टल बंदः नाराज छात्रों ने कहा कि इस वर्ष ई-कल्याण पोर्टल की वेबसाइट को छात्रवृत्ति मिलने से पहले ही बंद कर दिया गया. जिस वजह से राज्य के हजारों छात्रों को छात्रवृत्ति के तहत मिलने वाली राशि से वंचित रहना पड़ा. ऐसे में अब देखने वाली बात होगी कि बीएड के विद्यार्थियों के इस आंदोलन का असर कल्याण विभाग पर पड़ता है कि नहीं और विभाग की ओर से छात्रवृत्ति की राशि मुहैया कराई जाती है या नहीं. या फिर राज्यभर के एससी-एसटी और ओबीसी वर्ग के छात्रों को अपने हक की छात्रवृत्ति लेने के लिए और भी मशक्कत करनी पड़ेगी.