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Sarswati Puja 2023: बेहद सुखद संयोग लेकर आया है बसंत पंचमी, जानिए कब करें मां सरस्वती की पूजा

इस साल सरस्वती पूजा बेहद सुखद संयोग लेकर आया है. ज्योतिष की मानें तो इस बार बसंत पंचमी पर 4 विशेष योग बन रहे हैं. आइए जानते हैं बसंत पंचमी पर शुभ मुहूर्त क्या होगा, किस समय पूजा करने पर मां की विशेष कृपा बनेगी.

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Published : Jan 24, 2023, 4:26 PM IST

Updated : Jan 24, 2023, 4:39 PM IST

ओमप्रकाश शरण, मुख्य पुजारी, तपोवन मंदिर

रांची: इस साल बसंत पंचमी बेहद ही सुखद संयोग लेकर आया है. 26 जनवरी को गणतंत्र दिवस के साथ इस साल बसंत पंचमी का त्योहार भी मनाया जायेगा. ज्योतिष के अनुसार इस साल बसंत पंचमी पर एक नहीं बल्कि 4 विशेष योग बन रहे हैं, जिस वजह से बसंत पंचमी इस बार खास होने वाला है.

ये भी पढ़ें: Basant Panchami 2023: ये है बसंत पंचमी का धार्मिक-सामाजिक महत्व, शुभ कार्यों के लिए क्यों है उत्तम दिन

मान्यताओं के अनुसार बसंत पंचमी पर ही मां सरस्वती की उत्पत्ति हुई थी, इस वजह से कला की देवी मां सरस्वती की पूजा अर्चना करने की परंपरा रही है. विशेषकर विद्यार्थियों के लिए सरस्वती पूजा खास महत्व रखता है. विद्या आरंभ या फिर किसी विशेष शुभ कार्य के लिए इस दिन को बेहद ही उत्तम माना जाता है. तपोवन मंदिर के मुख्य पुजारी ओमप्रकाश शरण कहते हैं कि इस साल बसंत पंचमी के अवसर पर शिवयोग, सिद्ध योग, सर्वार्थ सिद्धि योग और रवि योग का संयोग बनने जा रहा है, जिस वजह से इसका महत्व और बढ़ गया है. उनका मानना है कि ऋतुराज बसंत के आगमन के इस अवसर पर बाबा भोलेनाथ का तिलकोत्सव के साथ उत्सव का पर्व होली की शुरुआत होती है.

बसंत पंचमी का शुभ मुहूर्त: 26 जनवरी यानी गुरुवार को इस साल बसंत पंचमी का त्योहार मनाया जाएगा, जिस दिन श्रद्धालु भक्ति भाव के साथ मां सरस्वती की पूजा आराधना करते हुए नजर आयेंगे. पंचांग के अनुसार प्रत्येक वर्ष बसंत पंचमी या सरस्वती पूजा का पर्व माघ शुक्ल पंचमी को मनाया जाता है. दरअसल, माघ शुक्ल पंचमी तिथि 25 जनवरी की शाम से ही शुरू हो जाएगी, लेकिन उदया तिथि की प्रधानता को ध्यान में रखते हुए बसंत पंचमी 26 जनवरी को मनाई जाएगी. उदया तिथि के अनुसार बसंत पंचमी 26 जनवरी 2023 को सुबह 10:28 पर समाप्त हो रही है. इस वजह से सरस्वती पूजा के लिए शुभ मुहूर्त 26 जनवरी को सुबह 7 बजकर 12 मिनट से प्रारंभ होगा. बसंत पंचमी के दिन पीले रंग का विशेष महत्व होता है, शायद यही वजह है कि लोग इस दिन पीला वस्त्र धारण करना पसंद करते हैं. इस साल गुरुवार को मां सरस्वती की पूजा होने की वजह से इसे खास माना जा रहा है. सर्वार्थ सिद्धि योग बसंत पंचमी के दिन होगा जो 25 जनवरी की शाम 6:57 से लेकर अगले दिन 7:12 तक रहेगा. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार इस योग में किए गए सभी कार्य सफल, संपन्न और सिद्ध होते हैं.

बसंत पंचमी सनातन धर्म के लिए है खास: बसंत पंचमी को सनातन धर्म के लिए खास माना गया है. इस दिन भगवान विष्णु और कामदेव की पूजा की जाती है, जिसका महत्व आदिकाल से रहा है. ऋतुराज बसंत के आगमन पर प्रकृति का सौंदर्य बढ़ जाता है. तपोवन मंदिर के मुख्य पुजारी ओमप्रकाश शरण कहते हैं कि बसंत पंचमी का पौराणिक महत्व रामायण काल से रहा है. जब रावण मां सीता का हरण कर, उन्हें लंका लेकर गया तो भगवान श्रीराम उन्हें खोजते हुए जिन स्थानों पर गए थे, उनमें दंडकारण्य भी था. बसंत पंचमी के दिन ही प्रभु रामचंद्र वहां पधारे थे, इसलिए बसंत पंचमी का महत्व बढ़ गया.

ओमप्रकाश शरण, मुख्य पुजारी, तपोवन मंदिर

रांची: इस साल बसंत पंचमी बेहद ही सुखद संयोग लेकर आया है. 26 जनवरी को गणतंत्र दिवस के साथ इस साल बसंत पंचमी का त्योहार भी मनाया जायेगा. ज्योतिष के अनुसार इस साल बसंत पंचमी पर एक नहीं बल्कि 4 विशेष योग बन रहे हैं, जिस वजह से बसंत पंचमी इस बार खास होने वाला है.

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मान्यताओं के अनुसार बसंत पंचमी पर ही मां सरस्वती की उत्पत्ति हुई थी, इस वजह से कला की देवी मां सरस्वती की पूजा अर्चना करने की परंपरा रही है. विशेषकर विद्यार्थियों के लिए सरस्वती पूजा खास महत्व रखता है. विद्या आरंभ या फिर किसी विशेष शुभ कार्य के लिए इस दिन को बेहद ही उत्तम माना जाता है. तपोवन मंदिर के मुख्य पुजारी ओमप्रकाश शरण कहते हैं कि इस साल बसंत पंचमी के अवसर पर शिवयोग, सिद्ध योग, सर्वार्थ सिद्धि योग और रवि योग का संयोग बनने जा रहा है, जिस वजह से इसका महत्व और बढ़ गया है. उनका मानना है कि ऋतुराज बसंत के आगमन के इस अवसर पर बाबा भोलेनाथ का तिलकोत्सव के साथ उत्सव का पर्व होली की शुरुआत होती है.

बसंत पंचमी का शुभ मुहूर्त: 26 जनवरी यानी गुरुवार को इस साल बसंत पंचमी का त्योहार मनाया जाएगा, जिस दिन श्रद्धालु भक्ति भाव के साथ मां सरस्वती की पूजा आराधना करते हुए नजर आयेंगे. पंचांग के अनुसार प्रत्येक वर्ष बसंत पंचमी या सरस्वती पूजा का पर्व माघ शुक्ल पंचमी को मनाया जाता है. दरअसल, माघ शुक्ल पंचमी तिथि 25 जनवरी की शाम से ही शुरू हो जाएगी, लेकिन उदया तिथि की प्रधानता को ध्यान में रखते हुए बसंत पंचमी 26 जनवरी को मनाई जाएगी. उदया तिथि के अनुसार बसंत पंचमी 26 जनवरी 2023 को सुबह 10:28 पर समाप्त हो रही है. इस वजह से सरस्वती पूजा के लिए शुभ मुहूर्त 26 जनवरी को सुबह 7 बजकर 12 मिनट से प्रारंभ होगा. बसंत पंचमी के दिन पीले रंग का विशेष महत्व होता है, शायद यही वजह है कि लोग इस दिन पीला वस्त्र धारण करना पसंद करते हैं. इस साल गुरुवार को मां सरस्वती की पूजा होने की वजह से इसे खास माना जा रहा है. सर्वार्थ सिद्धि योग बसंत पंचमी के दिन होगा जो 25 जनवरी की शाम 6:57 से लेकर अगले दिन 7:12 तक रहेगा. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार इस योग में किए गए सभी कार्य सफल, संपन्न और सिद्ध होते हैं.

बसंत पंचमी सनातन धर्म के लिए है खास: बसंत पंचमी को सनातन धर्म के लिए खास माना गया है. इस दिन भगवान विष्णु और कामदेव की पूजा की जाती है, जिसका महत्व आदिकाल से रहा है. ऋतुराज बसंत के आगमन पर प्रकृति का सौंदर्य बढ़ जाता है. तपोवन मंदिर के मुख्य पुजारी ओमप्रकाश शरण कहते हैं कि बसंत पंचमी का पौराणिक महत्व रामायण काल से रहा है. जब रावण मां सीता का हरण कर, उन्हें लंका लेकर गया तो भगवान श्रीराम उन्हें खोजते हुए जिन स्थानों पर गए थे, उनमें दंडकारण्य भी था. बसंत पंचमी के दिन ही प्रभु रामचंद्र वहां पधारे थे, इसलिए बसंत पंचमी का महत्व बढ़ गया.

Last Updated : Jan 24, 2023, 4:39 PM IST
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