रांचीः संक्रमण के इस दौर में बैंकिंग सेवाएं ग्रामीणों के दरवाजे तक पहुंचाने में बैंकिंग कॉरेस्पोंडेंट सखी यानी बीसी सखी सहायक हो इस संकट में देवदूत साबित हो रही हैं. उनकी जितनी तारीफ की जाए उतनी कम है. गांव में बैंक वाली दीदी के नाम से प्रचलित ये दीदियां संक्रमण काल में ग्रामीण अर्थव्यवस्था की रीढ़ साबित हो रही हैं. इनके माध्यम से घर बैठे जरूरतमंदों को विधवा पेंशन, वृद्धा पेंशन और मनरेगा मजदूरी प्राप्त हो रही है. इस कारगर व्यवस्था को देखते हुए मुख्यमंत्री ने भी अब हर पंचायत में एक बीसी सखी नियुक्त करने का लक्ष्य तय किया है.
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कोरोनाकाल में चलंत बैंक हैं बैंकिंग कॉरेस्पोंडेट सखी
रामगढ़ जिले के गोला प्रखंड अंतर्गत मगनपुर पंचायत की अंजुम आरा ने लॉकडाउन के समय अब तक तकरीबन 46 लाख रुपये से ज्यादा का ट्रांजेक्शन किया है. अंजुम बताती है कि वह अपने पंचायत के साथ आस-पास की अन्य पंचायतों के लोगों को भी बैंकिंग सेवाएं उपलब्ध कराती हैं. पिछले लॉकडाउन में भी उन्होंने लगातार लोगों को बैंकिंग की सेवाएं दीं.
अंजुम के अनुसार कोरोना के बढ़ते संक्रमण के दौरान भी वह सावधानी से लोगों के घर तक बैंकिंग सुविधाएं पहुंचा रहीं हैं. ऐसे ही खूंटी जिले के कर्रा प्रखंड की सोनिया कंसारी भी अपने पंचायत के लोगों तक निरंतर पैसा जमा-निकासी से लेकर बीमा तक की सभी सेवाएं घर-घर जाकर प्रदान कर रही हैं. वह हर महीने 25-30 लाख रुपये तक का ट्रांजेक्शन कर लेती हैं.
अब तक 327 करोड़ से भी ज्यादा का ट्रांजेक्शन
अंजुम और सोनिया जैसी राज्य की अन्य बैंकिंग कॉरेस्पोंडेंट सखियां लॉकडाउन में भी ग्रामीणों तक निरंतर बैंकिंग सेवाएं पहुंचा रहीं हैं, ताकि लोग अपने घर में सुरक्षित रहें. पिछले साल भी लॉकडाउन के दौरान अप्रैल से जुलाई के बीच 1679 बीसी सखियों ने करीब 327 करोड़ रुपये से भी ज्यादा का ट्रांजेक्शन कर ग्रामीण इलाकों में जरूरी बैंकिगं सेवाओं की उपलब्धता सुनिश्चित की थी.
राज्य में सक्रिय हर बीसी सखी अपने गांव, पंचायत के लोगों को बैंकिंग सेवाएं उपलब्ध कराने के साथ ही कोरोना वायरस के संक्रमण से बचाव के तरीकों के बारे में भी जागरूक कर रहीं हैं. कोविड समुचित व्यवहार का पालन करते हुए बैंकिंग कॉरेस्पोन्डेंट सखी लॉकडाउन के इस कठिन समय में भी फ्रंट लाइन वॉरियर की तरह अपनी भूमिका निभा रही हैं.
सेवा के साथ रोजगार भी
ग्रामीण विकास विभाग के तहत झारखंड स्टेट लाइवलीहुड प्रमोशन सोसाइटी के माध्यम से राज्य-भर में 3,383 बैंकिंग कॉरेस्पोंडेंट सखी कार्यरत हैं, जो ग्रामीणों तक बैंकिंग सेवाएं पहुंचा रहीं हैं. सखी मंडल की दीदियों को एनआरएलएम और एनआरईटीपी के तहत विभिन्न बैंकों से जोड़कर बैंकिंग कॉरेस्पोन्डेंट सखी के रूप में प्रशिक्षित कर पदस्थापित किया जा रहा है.
इस पहल से एक ओर दीदियों को जहां रोजगार मिल रहा है, वहीं सुदूर गांवों तक बैंकिंग सुविधाएं भी पहुंच रहीं हैं. बीसी सखी दीदियां अपने लैपटॉप और ईपॉस मशीन के जरिए खाता खोलना, नकद निकासी, जमा, विधवा पेंशन, वृद्धा पेंशन, छात्रवृति, मनरेगा मजदूरी, बीमा समेत तमाम बैंकिंग सेवाएं ग्रामीणों को उनके घर बैठे उपलब्ध करा रहीं हैं. यही नहीं बीसी सखी दीदियां ड्यूअल ऑथेंटिकेशन के जरिए सखी मंडल और ग्राम संगठन का बैंकिंग ट्रांजेक्शन भी सुनिश्चित कर रहीं हैं. अप्रैल 2021 से लेकर अब तक राज्य में इन बीसी सखियों की ओर से 91 करोड़ से भी ज्यादा राशि का ट्रांजेक्शन किया जा चुका है.
घर बैठे मिलेगी बैंकिंग सुविधा
बीसी सखी पहल की प्रभावी सफलता को देखते हुए मुख्यमंत्री ने अब एक पंचायत, एक बीसी सखी के रूप में इसे आगे ले जाने का निर्णय लिया है, जिसके जरिए राज्य की हर पंचायत में सखी मंडल की एक दीदी को बीसी सखी के रूप में उपलब्धता सुनिश्चित की जाएगी, जिससे ग्रामीणों को अपनी पंचायत में ही बैंकिंग सुविधाओं का लाभ प्राप्त हो सकेगा. इस पहल के जरिए बीसी सखी पंचायत के सभी गांवों में बैंकिंग सेवाएं देंगी.