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संथाल में बांग्लादेशी कर रहे लव और लैंड जिहाद! हाईकोर्ट ने केंद्र और राज्य सरकार से मांगा जवाब, पूछा, संयुक्त जांच संभव है या नहीं - लव और लैंड जिहाद

Love and Land Jihad in Jharkhand. संथाल में बांग्लादेशी घुसपैठिए लव और लैंड जिहाद कर रहे हैं. इस बाबत झारखंड हाईकोर्ट में याचिका दायर की गई है, जिसपर सुनवाई करते हुए अदालत ने केंद्र और राज्य सरकार से जवाब मांगा है. कोर्ट ने पूछा है कि क्या संयुक्त जांच संभव है या नहीं?

Love and Land Jihad in Jharkhand
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By ETV Bharat Jharkhand Team

Published : Nov 22, 2023, 5:20 PM IST

रांची: संथाल परगना में बांग्लादेशी घुसपैठ से डेमोग्राफी पर पड़ रहे प्रभाव का मामला अक्सर उठता रहता है. खासकर भाजपा के नेता इसको लेकर सड़क से सदन तक सरकार को घेरने की कोशिश करते रहते हैं. इसी तरह का मामला झारखंड हाईकोर्ट में भी पहुंचा है. डेनियल दानिश की जनहित याचिका में कहा गया है कि संथाल के जामताड़ा, साहिबगंज, पाकुड़ जैसे जिलों में घुसपैठ हो रहा है.

बांग्लादेशी घुसपैठिए इन जिलों में लव और लैंड जिहाद चला रहे हैं. इसकी जांच होनी चाहिए. याचिका पर सुनवाई करते हुए मुख्य न्यायाधीश संजय कुमार मिश्रा और न्यायाधीश आनंद सेन की अदालत ने पूछा है कि केंद्र और राज्य सरकार के अधिकारी संयुक्त रुप से इसकी जांच कर सकते हैं या नहीं. इस मसले पर केंद्र और राज्य सरकार को जवाब पेश करने का निर्देश जारी हुआ है. हाईकोर्ट ने 13 दिसंबर को सुनवाई की अगली तारीख निर्धारित की है.

अदालत ने मौखिक तौर पर मामले को गंभीर बताया. कहा कि इसकी जांच होनी चाहिए. प्रार्थी के अधिवक्ता राजीव कुमार ने कोर्ट को बताया कि वैसे सभी जिलों में इस बात की जांच होनी चाहिए कि पिछले कुछ वर्षों में कितने आधार कार्ड, वोटर कार्ड और पासपोर्ट बनाए गये हैं. उन्होंने कोर्ट को बताया कि बांग्लादेश से सटे जिलों में वहां के संगठन सुनियोजित तरीके से आदिवासी लड़कियों से शादी कर लेते हैं. कुछ वर्षों में संबंधित जिलों में मदरसों की संख्या में काफी इजाफा हुआ है. प्रार्थी के अधिवक्ता ने वैसे 46 मदरसों की सूची भी अदालत को दी है जिनका निर्माण हाल के समय में हुआ है. अधिवक्ता ने इस बात का भी अंदेशा जताया है कि इन मदरसों का इस्तेमाल देश विरोधी गतिविधि के लिए हो रहा है. इसलिए पूरे मामले की जांच जरूरी है.

सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार के अधिवक्ता प्रशांत पल्लव ने शपथ पत्र के जरिए कोर्ट को बताया कि केंद्र सरकार ने राज्य सरकार को इसके लिए अधिकृत कर दिया है. राज्य सरकार को अब वैसे लोगों को चिन्हित कर कार्रवाई करना है. लिहाजा, राज्य सरकार को कानूनी कार्रवाई करनी चाहिए. इससे पहले हुई सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट ने केंद्र से जानना चाहा था कि बांग्लादेश से सटे जिलों में आखिर घुसपैठ कैसे हो रही है. इसपर केंद्र को विस्तृत जवाब पेश करना था.

रांची: संथाल परगना में बांग्लादेशी घुसपैठ से डेमोग्राफी पर पड़ रहे प्रभाव का मामला अक्सर उठता रहता है. खासकर भाजपा के नेता इसको लेकर सड़क से सदन तक सरकार को घेरने की कोशिश करते रहते हैं. इसी तरह का मामला झारखंड हाईकोर्ट में भी पहुंचा है. डेनियल दानिश की जनहित याचिका में कहा गया है कि संथाल के जामताड़ा, साहिबगंज, पाकुड़ जैसे जिलों में घुसपैठ हो रहा है.

बांग्लादेशी घुसपैठिए इन जिलों में लव और लैंड जिहाद चला रहे हैं. इसकी जांच होनी चाहिए. याचिका पर सुनवाई करते हुए मुख्य न्यायाधीश संजय कुमार मिश्रा और न्यायाधीश आनंद सेन की अदालत ने पूछा है कि केंद्र और राज्य सरकार के अधिकारी संयुक्त रुप से इसकी जांच कर सकते हैं या नहीं. इस मसले पर केंद्र और राज्य सरकार को जवाब पेश करने का निर्देश जारी हुआ है. हाईकोर्ट ने 13 दिसंबर को सुनवाई की अगली तारीख निर्धारित की है.

अदालत ने मौखिक तौर पर मामले को गंभीर बताया. कहा कि इसकी जांच होनी चाहिए. प्रार्थी के अधिवक्ता राजीव कुमार ने कोर्ट को बताया कि वैसे सभी जिलों में इस बात की जांच होनी चाहिए कि पिछले कुछ वर्षों में कितने आधार कार्ड, वोटर कार्ड और पासपोर्ट बनाए गये हैं. उन्होंने कोर्ट को बताया कि बांग्लादेश से सटे जिलों में वहां के संगठन सुनियोजित तरीके से आदिवासी लड़कियों से शादी कर लेते हैं. कुछ वर्षों में संबंधित जिलों में मदरसों की संख्या में काफी इजाफा हुआ है. प्रार्थी के अधिवक्ता ने वैसे 46 मदरसों की सूची भी अदालत को दी है जिनका निर्माण हाल के समय में हुआ है. अधिवक्ता ने इस बात का भी अंदेशा जताया है कि इन मदरसों का इस्तेमाल देश विरोधी गतिविधि के लिए हो रहा है. इसलिए पूरे मामले की जांच जरूरी है.

सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार के अधिवक्ता प्रशांत पल्लव ने शपथ पत्र के जरिए कोर्ट को बताया कि केंद्र सरकार ने राज्य सरकार को इसके लिए अधिकृत कर दिया है. राज्य सरकार को अब वैसे लोगों को चिन्हित कर कार्रवाई करना है. लिहाजा, राज्य सरकार को कानूनी कार्रवाई करनी चाहिए. इससे पहले हुई सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट ने केंद्र से जानना चाहा था कि बांग्लादेश से सटे जिलों में आखिर घुसपैठ कैसे हो रही है. इसपर केंद्र को विस्तृत जवाब पेश करना था.

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