रांची: कर्नाटक चुनाव में कांग्रेस ने बजरंग दल पर बैन लगाने की बात घोषणा पत्र में लिखने के बाद से सियासत चरम पर है. आज देश भर में 'कुमति निवार सुमति के संगी' सामूहिक श्री हनुमान चालीसा के माध्यम से, हनुमत शक्ति का व्यापक जन जागरण कर, कांग्रेस सहित आतंकियों के पैरोकार अन्य संगठनों व देश विरोधी, हिंदू विद्रोही मानसिकता वालों को सद्बुद्धि देने के लिए भगवान बजरंगबली का आह्वान करने की घोषणा बजरंग दल ने की है.
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5000 स्थानों पर हनुमान चालीसा: विधानसभा चुनाव भले ही कर्नाटक में हो रहा हो, मगर इसकी सियासी धमक देशभर में दिखने लगी है. झारखंड में भी 5000 स्थानों पर हनुमान चालीसा का पाठ किया जाएगा. विश्व हिंदू परिषद के प्रांत मंत्री डॉ वीरेंद्र साहू ने इसकी घोषणा की है. डॉ वीरेंद्र ने कहा है कि कर्नाटक चुनाव में कांग्रेस के चुनावी घोषणा पत्र और उसके बाद राजस्थान, छत्तीसगढ, हिमाचल प्रदेश, महाराष्ट्र सहित झारखंड राज्य के कांग्रेसी और कुछ अन्य हिंदू विद्रोही नेताओं द्वारा बजरंग दल को प्रतिबंधित करने और इसकी तुलना पीएफआई जैसे देशद्रोही, आतंकी व हिंसक संगठन से करना बहुत ही अपमान जनक है. हिंदू समाज इस तरह के अपमान का लोकतांत्रिक ढंग से विरोध करेगा.
हनुमान मंदिर में होगा पाठ: रांची सहित झारखंड के विभिन्न जिलों में स्थित हनुमान मंदिर में सामूहिक हनुमान चालीसा का पाठ होगा. रांची में इसको लेकर विशेष तैयारियां की जा रही हैं. विश्व हिंदू परिषद के प्रांत मंत्री डॉ वीरेंद्र साहू ने कहा कि बजरंग दल देश भर में गौ रक्षा, कन्या रक्षा, रक्तदान, मठ, मंदिर, धर्मरक्षा के साथ-साथ धर्मांतरण रोकने जैसे अनेक प्रकार के सेवा कार्यों में लगा है. ऐसे संगठन को प्रतिबंधित करने की मांग करना दुर्भाग्यपूर्ण है. ऐसे में सभी हिंदू जनमानस आज अपने नजदीक के मंदिरों में सामूहिक हनुमान चालीसा का पाठ कर देशद्रोही मानसिकता वाले लोगों का विरोध करेंगे.
बजरंंगबली की राजनीति: कर्नाटक विधानसभा चुनाव में बजरंग दल से शुरू हुई राजनीति, अब बजरंगबली तक पहुंच गई है. चुनाव प्रचार के दौरान कांग्रेस और बीजेपी इस मुद्दे पर आमने-सामने होते दिखे. चुनाव प्रचार करने कर्नाटक गए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मतदाताओं से वोट डालने के वक्त जय बजरंगबली कहकर वोट डालने की अपील की है. साथ ही कांग्रेस को सजा देने का आह्वान किया है. कर्नाटक में 10 मई को मतदान होने हैं, इससे ठीक पहले बजरंग दल हनुमत शक्ति जागरण कर, इस मुद्दे को जीवित रखने में जुटा है.