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रांची: बदहाली की मार झेल रहे सरकारी स्कूल, ई़टीवी भारत की रिपोर्ट में हुआ खुलासा

एक रिपोर्ट के मुताबिक देशभर के 22 प्रतिशत स्कूली बच्चों के लिए सुरक्षित स्थिति में नहीं है. इन सरकारी स्कूलों की देखरेख सही तरीके से नहीं की जा रही है या नहीं इसकी पड़ताल करने ईटीवी भारत की टीम ने झारखंड की राजधानी रांची के कुछ स्कूलों का जायजा लिया है.

bad condition of goverment school in ranchi
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Published : Aug 16, 2020, 8:40 PM IST

रांची: द नेशनल कमिशन फॉर प्रोटक्शन आफ चाइल्ड राइट्स की ओर से एक रिपोर्ट जारी की गई थी. इस रिपोर्ट में कहा गया है कि देश की 22 फीसदी स्कूल बच्चों के लिए असुरक्षित स्थिति में है. 12 राज्यों में 2018-19 में किए गए सर्वेक्षण से स्कूलों की स्थिति का पता चला है. झारखंड के स्कूलों की क्या स्थिति है. बच्चों के लिए क्या सरकारी स्कूल सुरक्षित है.

ऐसे ही कई सवालों को लेकर ईटीवी भारत की टीम ने राजधानी रांची के राजकीय बुनियादी स्कूल मेसरा और कांके प्रखंड स्थित मॉडल स्कूल की पड़ताल की है और हमारे इस पड़ताल में ऐसे कई तथ्य निकलकर सामने आए हैं. जिससे मालूम चलता है कि सूबे के राज्य सरकार और शिक्षा विभाग सरकारी स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चों का कितना ख्याल रखती है. उनके स्वास्थ्य और भविष्य के साथ साथ जीवन के बारे में कितना सोचती है.

देखें स्पेशल स्टोरी

पढ़ें : वैष्णो देवी यात्रा रविवार से, अब सिर्फ दो हजार यात्री प्रतिदिन होंगे शामिल

दरअसल, कोविड-19 के मद्देनजर पूरे देश के साथ-साथ राज्य भर के स्कूल कॉलेज भी बंद है. सरकारी स्कूलों में भी ताले जड़े हैं निजी स्कूलों की देखरेख और मेंटेनेंस तो बेहतरीन तरीके से हो रही है, लेकिन सरकारी स्कूलों की ओर न तो शासन का ध्यान है और न ही प्रशासन का. राजधानी रांची के मेसरा स्थित इस स्कूल की हालत ही आप देख लीजिए .

ईटीवी भारत की टीम ने की पड़ताल

ईटीवी भारत की टीम ने इस स्कूल की पड़ताल की है और बच्चों को दी जाने वाली हर वह सुविधा का मुआयना किया है. हालांकि, कोरोना वायरस के कारण स्कूल बंद होने की वजह से प्रधानअध्यापक या विद्यार्थियों के साथ बातचीत नहीं हो पाई है, लेकिन यहां की हर तस्वीर सब कुछ बयां कर रही है और व्यवस्था की पोल भी खोल रही है कि किस तरह बेतरतीब तरीके से इन तीन से चार महीनों के अंदर स्कूलों को बर्बाद कर दिया गया है. इन स्कूलों की हालत इतनी खराब हो गई है कि जब स्कूल खुलेंगे तब बच्चों को कोई सुविधा यहां नहीं मिलेगी. मेंटेनेंस के नाम पर सरकार के संबंधित विभाग ने इन स्कूलों की ओर झांकना तक मुनासिब नहीं समझा है.

पीने का पानी शौचालय की व्यवस्था भी बदहाल

ना पानी की व्यवस्था, ना बाथरूम की व्यवस्था और ना ही साफ सफाई की ही कोई व्यवस्था स्कूल परिसरों में देखने को मिली. बच्चे इस स्कूलों में बिल्कुल ही असुरक्षित है. इस स्कूल में तो भवन की स्थिति भी काफी जर्जर हो चुकी है. अग्नि सुरक्षा के उपायों को तो छोड़िए पीने के लिए शुद्ध पानी शौचालय जर्जर है. बच्चों के लिए लगाए गए झूले जंग कहकर गिर रहे हैं और भगवान भरोसे भवन है. ऐसे में आप अंदाजा लगा सकते हैं की कोविड-19 के बाद जब स्कूल खुलेंगे तब इन स्कूलों में बच्चों की क्या हालत होगी. भले ही अभी कोरोना की वजह से स्कूल नहीं चल रहे हैं.

समय का सदुपयोग करने की जरूरत

सरकार के लिए यह वक्त सही वक्त है कि वह भवनों का नवीनीकरण और सुधार करें. इस मामले को लेकर ईटीवी की टीम दक्षिणी छोटानागपुर प्रमंडल के क्षेत्रीय शिक्षा उप निदेशक अरविंद विजय बिलुंग से बातचीत की. उन्होंने भी मामले को टाल दिया और सवाल का सीधा सीधा जवाब नहीं दिया. जबकि स्कूलों की ऐसी हालत देखकर स्थानीय लोग भी भयभीत हैं और बच्चों के लिए इस स्कूल को सुरक्षित नहीं बता रहे हैं.

हमारे इस पर पड़ताली रिपोर्ट में यह बात सामने आया है कि यह स्कूल न तो वर्तमान में बच्चों के लिए सुरक्षित है और न ही भविष्य में ही बिना सुधार किए इस स्कूल में बच्चों के लिए क्लास चलाए जा सकते हैं. इस ओर राज्य सरकार को ध्यान देकर समय का सदुपयोग करने की जरूरत है.

रांची: द नेशनल कमिशन फॉर प्रोटक्शन आफ चाइल्ड राइट्स की ओर से एक रिपोर्ट जारी की गई थी. इस रिपोर्ट में कहा गया है कि देश की 22 फीसदी स्कूल बच्चों के लिए असुरक्षित स्थिति में है. 12 राज्यों में 2018-19 में किए गए सर्वेक्षण से स्कूलों की स्थिति का पता चला है. झारखंड के स्कूलों की क्या स्थिति है. बच्चों के लिए क्या सरकारी स्कूल सुरक्षित है.

ऐसे ही कई सवालों को लेकर ईटीवी भारत की टीम ने राजधानी रांची के राजकीय बुनियादी स्कूल मेसरा और कांके प्रखंड स्थित मॉडल स्कूल की पड़ताल की है और हमारे इस पड़ताल में ऐसे कई तथ्य निकलकर सामने आए हैं. जिससे मालूम चलता है कि सूबे के राज्य सरकार और शिक्षा विभाग सरकारी स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चों का कितना ख्याल रखती है. उनके स्वास्थ्य और भविष्य के साथ साथ जीवन के बारे में कितना सोचती है.

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दरअसल, कोविड-19 के मद्देनजर पूरे देश के साथ-साथ राज्य भर के स्कूल कॉलेज भी बंद है. सरकारी स्कूलों में भी ताले जड़े हैं निजी स्कूलों की देखरेख और मेंटेनेंस तो बेहतरीन तरीके से हो रही है, लेकिन सरकारी स्कूलों की ओर न तो शासन का ध्यान है और न ही प्रशासन का. राजधानी रांची के मेसरा स्थित इस स्कूल की हालत ही आप देख लीजिए .

ईटीवी भारत की टीम ने की पड़ताल

ईटीवी भारत की टीम ने इस स्कूल की पड़ताल की है और बच्चों को दी जाने वाली हर वह सुविधा का मुआयना किया है. हालांकि, कोरोना वायरस के कारण स्कूल बंद होने की वजह से प्रधानअध्यापक या विद्यार्थियों के साथ बातचीत नहीं हो पाई है, लेकिन यहां की हर तस्वीर सब कुछ बयां कर रही है और व्यवस्था की पोल भी खोल रही है कि किस तरह बेतरतीब तरीके से इन तीन से चार महीनों के अंदर स्कूलों को बर्बाद कर दिया गया है. इन स्कूलों की हालत इतनी खराब हो गई है कि जब स्कूल खुलेंगे तब बच्चों को कोई सुविधा यहां नहीं मिलेगी. मेंटेनेंस के नाम पर सरकार के संबंधित विभाग ने इन स्कूलों की ओर झांकना तक मुनासिब नहीं समझा है.

पीने का पानी शौचालय की व्यवस्था भी बदहाल

ना पानी की व्यवस्था, ना बाथरूम की व्यवस्था और ना ही साफ सफाई की ही कोई व्यवस्था स्कूल परिसरों में देखने को मिली. बच्चे इस स्कूलों में बिल्कुल ही असुरक्षित है. इस स्कूल में तो भवन की स्थिति भी काफी जर्जर हो चुकी है. अग्नि सुरक्षा के उपायों को तो छोड़िए पीने के लिए शुद्ध पानी शौचालय जर्जर है. बच्चों के लिए लगाए गए झूले जंग कहकर गिर रहे हैं और भगवान भरोसे भवन है. ऐसे में आप अंदाजा लगा सकते हैं की कोविड-19 के बाद जब स्कूल खुलेंगे तब इन स्कूलों में बच्चों की क्या हालत होगी. भले ही अभी कोरोना की वजह से स्कूल नहीं चल रहे हैं.

समय का सदुपयोग करने की जरूरत

सरकार के लिए यह वक्त सही वक्त है कि वह भवनों का नवीनीकरण और सुधार करें. इस मामले को लेकर ईटीवी की टीम दक्षिणी छोटानागपुर प्रमंडल के क्षेत्रीय शिक्षा उप निदेशक अरविंद विजय बिलुंग से बातचीत की. उन्होंने भी मामले को टाल दिया और सवाल का सीधा सीधा जवाब नहीं दिया. जबकि स्कूलों की ऐसी हालत देखकर स्थानीय लोग भी भयभीत हैं और बच्चों के लिए इस स्कूल को सुरक्षित नहीं बता रहे हैं.

हमारे इस पर पड़ताली रिपोर्ट में यह बात सामने आया है कि यह स्कूल न तो वर्तमान में बच्चों के लिए सुरक्षित है और न ही भविष्य में ही बिना सुधार किए इस स्कूल में बच्चों के लिए क्लास चलाए जा सकते हैं. इस ओर राज्य सरकार को ध्यान देकर समय का सदुपयोग करने की जरूरत है.

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