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बाबूलाल मरांडी ने लोकायुक्त को लिखा पत्र, बरहरवा प्रकरण में स्वतंत्र एजेंसी से जांच कराने की मांग की

बीजेपी विधायक दल के नेता बाबूलाल मरांडी ने शनिवार को लोकायुक्त को पत्र लिखा है. उन्होंने पत्र के जरिए बरहरवा प्रकरण में किसी स्वतंत्र एजेंसी से कराने की मांग की है.

babulal marandi
बाबूलाल मरांडी
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Published : Jun 27, 2020, 6:14 PM IST

रांची: बीजेपी विधायक दल के नेता बाबूलाल मरांडी ने शनिवार को लोकायुक्त को पत्र लिखकर बरहरवा नगर पंचायत के सैरात बंदोबस्ती प्रक्रिया में हुई मारपीट और इस प्रकरण में कैबिनेट मंत्री आलमगीर आलम और मुख्यमंत्री के प्रतिनिधि पंकज मिश्रा की भूमिका की जांच किसी स्वतंत्र एजेंसी से कराने की मांग की है. मरांडी ने कहा है कि इस प्रकरण से संबंधित इन लोगों का धमकी भरा एक ऑडियो भी सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है. ऐसे में यह काफी गंभीर मामला है.

बाबूलाल ने कहा कि किसी मंत्री का काम कानून का शासन स्थापित करना और सरकारी राजस्व के हितों की रक्षा करना है. ना कि सत्ता की ताकत का दुरुपयोग कर ठेका मैनेज कराकर सरकारी राजस्व को नुकसान पहुंचाना है. सरकार के मंत्री और मुख्यमंत्री के प्रतिनिधि ने जिस प्रकार इस मामले में सत्ता की धाक जमा कर क्षेत्र में खौफ पैदा करने का काम किया है. वह सही नहीं ठहराया जा सकता है. पहले तो मंत्री और मुख्यमंत्री के प्रतिनिधि द्वारा ठेकेदार को भाग नहीं लेने की बात कही जाती है और जब ठेकेदार टेंडर स्थल पहुंचता है, तो पुलिस प्रशासन के सहयोग से ठेकेदार की पिटाई करवाई जाती है.

ये भी पढ़ें: पीएम मोदी के सपनों का गांव आरा केरम पूरी तरह से है आत्मनिर्भर, जानिए पूरी कहानी

मरांडी ने कहा है कि इस संदर्भ में मुख्यमंत्री को भी पत्र लिखकर कार्रवाई का आग्रह किया है, लेकिन अब तक उनके स्तर से कार्रवाई के लिए कोई कदम नहीं बढ़ाया गया है और ऐसे लगता है कि इस मामले में लीपापोती की जा रही है. उन्होंने कहा है कि थाने में एफआईआर दर्ज होने के बाद जिले के एसपी को राज्य पुलिस मुख्यालय से एक नोटिस भी भेजा गया है. ऐसे में साफ हो गया है कि राज्य सरकार इस मामले में संविधान के तहत कोई कार्रवाई नहीं करेगी. उन्होंने लोकायुक्त से आग्रह किया है कि वह अपने स्तर से किसी उपयुक्त एजेंसी से पूरे प्रकरण की जांच कराकर कार्रवाई करें, ताकि मंत्री और अन्य लोगों की असली करतूत जनता के सामने आ सके. साथ ही जगह-जगह हो रहे दलाली, बिचौलिया गिरी और ठेका पट्टा मैनेज के खेल के साथ ही ट्रांसफर पोस्टिंग को कमाऊ उद्योग बनाने के काम में लगे लोगों पर अंकुश भी लग सके.

क्या है बरहरवा प्रकरण

बरहरवा नगर पंचायत के सैरात (हाट-बाजार) की बंदोबस्ती के दौरान सोमवार को झड़प हुई थी. इस मामले में मंगलवार (23 जून) को तीन अलग-अलग प्राथमिकी दर्ज की गई थी. एक प्राथमिकी पाकुड़ निवासी शंभु भगत के लिखित आवेदन पर बरहरवा थाने में राज्य सरकार के ग्रामीण विकास मंत्री आलमगीर आलम, बरहेट के विधायक सह मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के विधायक प्रतिनिधि पंकज मिश्रा सहित 11 के खिलाफ दर्ज की गई थी. दूसरी प्राथमिकी बरहरवा निवासी दिलीप साहा के लिखित आवेदन पर पाकुड़ निवासी शंभु भगत पर दर्ज की गई थी. तीसरी प्राथमिकी बरहरवा निवासी उदय कुमार हजारी के आवेदन पर शंभु भगत पर दर्ज की गई थी. वहीं, इस विवाद को लेकर एक ऑडियो भी वायरल हुआ है. इसमें आलमगीर आलम, पंकज मिश्रा और शंभु भगत के बीच संवाद की बात कही जा रही है.

क्या था ऑडियो में

ऑडियो में यह भी सुना जा सकता है कि मंत्री कह रहे हैं कि आप कई जगह काम कर रहे हैं. बरहरवा टोल टैक्स टेंडर छोड़ दीजिए, लेकिन शंभु भगत कहता है कि वे राजमहल छोड़ने के लिए तैयार हैं. इसके बाद मंत्री आलमगीर आलम अपने पास बैठे पंकज मिश्रा को फोन देते हैं और बात करने को कहते हैं. पंकज मिश्रा कहते हैं कि 'डिसिजन सर्वसम्मति से है. छोड़ दीजिए, लोकल करेगा.' वहीं, विवादित ऑडियो वायरल मामले में मंत्री आलमगीर आलम ने साफ कहा कि इस प्रकरण से उनका कोई लेना-देना नहीं है.

रांची: बीजेपी विधायक दल के नेता बाबूलाल मरांडी ने शनिवार को लोकायुक्त को पत्र लिखकर बरहरवा नगर पंचायत के सैरात बंदोबस्ती प्रक्रिया में हुई मारपीट और इस प्रकरण में कैबिनेट मंत्री आलमगीर आलम और मुख्यमंत्री के प्रतिनिधि पंकज मिश्रा की भूमिका की जांच किसी स्वतंत्र एजेंसी से कराने की मांग की है. मरांडी ने कहा है कि इस प्रकरण से संबंधित इन लोगों का धमकी भरा एक ऑडियो भी सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है. ऐसे में यह काफी गंभीर मामला है.

बाबूलाल ने कहा कि किसी मंत्री का काम कानून का शासन स्थापित करना और सरकारी राजस्व के हितों की रक्षा करना है. ना कि सत्ता की ताकत का दुरुपयोग कर ठेका मैनेज कराकर सरकारी राजस्व को नुकसान पहुंचाना है. सरकार के मंत्री और मुख्यमंत्री के प्रतिनिधि ने जिस प्रकार इस मामले में सत्ता की धाक जमा कर क्षेत्र में खौफ पैदा करने का काम किया है. वह सही नहीं ठहराया जा सकता है. पहले तो मंत्री और मुख्यमंत्री के प्रतिनिधि द्वारा ठेकेदार को भाग नहीं लेने की बात कही जाती है और जब ठेकेदार टेंडर स्थल पहुंचता है, तो पुलिस प्रशासन के सहयोग से ठेकेदार की पिटाई करवाई जाती है.

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मरांडी ने कहा है कि इस संदर्भ में मुख्यमंत्री को भी पत्र लिखकर कार्रवाई का आग्रह किया है, लेकिन अब तक उनके स्तर से कार्रवाई के लिए कोई कदम नहीं बढ़ाया गया है और ऐसे लगता है कि इस मामले में लीपापोती की जा रही है. उन्होंने कहा है कि थाने में एफआईआर दर्ज होने के बाद जिले के एसपी को राज्य पुलिस मुख्यालय से एक नोटिस भी भेजा गया है. ऐसे में साफ हो गया है कि राज्य सरकार इस मामले में संविधान के तहत कोई कार्रवाई नहीं करेगी. उन्होंने लोकायुक्त से आग्रह किया है कि वह अपने स्तर से किसी उपयुक्त एजेंसी से पूरे प्रकरण की जांच कराकर कार्रवाई करें, ताकि मंत्री और अन्य लोगों की असली करतूत जनता के सामने आ सके. साथ ही जगह-जगह हो रहे दलाली, बिचौलिया गिरी और ठेका पट्टा मैनेज के खेल के साथ ही ट्रांसफर पोस्टिंग को कमाऊ उद्योग बनाने के काम में लगे लोगों पर अंकुश भी लग सके.

क्या है बरहरवा प्रकरण

बरहरवा नगर पंचायत के सैरात (हाट-बाजार) की बंदोबस्ती के दौरान सोमवार को झड़प हुई थी. इस मामले में मंगलवार (23 जून) को तीन अलग-अलग प्राथमिकी दर्ज की गई थी. एक प्राथमिकी पाकुड़ निवासी शंभु भगत के लिखित आवेदन पर बरहरवा थाने में राज्य सरकार के ग्रामीण विकास मंत्री आलमगीर आलम, बरहेट के विधायक सह मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के विधायक प्रतिनिधि पंकज मिश्रा सहित 11 के खिलाफ दर्ज की गई थी. दूसरी प्राथमिकी बरहरवा निवासी दिलीप साहा के लिखित आवेदन पर पाकुड़ निवासी शंभु भगत पर दर्ज की गई थी. तीसरी प्राथमिकी बरहरवा निवासी उदय कुमार हजारी के आवेदन पर शंभु भगत पर दर्ज की गई थी. वहीं, इस विवाद को लेकर एक ऑडियो भी वायरल हुआ है. इसमें आलमगीर आलम, पंकज मिश्रा और शंभु भगत के बीच संवाद की बात कही जा रही है.

क्या था ऑडियो में

ऑडियो में यह भी सुना जा सकता है कि मंत्री कह रहे हैं कि आप कई जगह काम कर रहे हैं. बरहरवा टोल टैक्स टेंडर छोड़ दीजिए, लेकिन शंभु भगत कहता है कि वे राजमहल छोड़ने के लिए तैयार हैं. इसके बाद मंत्री आलमगीर आलम अपने पास बैठे पंकज मिश्रा को फोन देते हैं और बात करने को कहते हैं. पंकज मिश्रा कहते हैं कि 'डिसिजन सर्वसम्मति से है. छोड़ दीजिए, लोकल करेगा.' वहीं, विवादित ऑडियो वायरल मामले में मंत्री आलमगीर आलम ने साफ कहा कि इस प्रकरण से उनका कोई लेना-देना नहीं है.

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