रांची: बीजेपी विधायक दल के नेता बाबूलाल मरांडी ने केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह को पत्र लिखकर आरोप लगाया है कि राज्य सरकार भाजपा और उसके विचारधारा से जुड़े लोगों को सुरक्षा देने में भेदभाव बरत रही है. मंगलवार को गृह मंत्री को लिखे पत्र में मरांडी ने कहा कि झारखंड में नई सरकार के गठन के बाद से नक्सल और अपराधिक मामले में बेतहाशा वृद्धि हुई है.
उन्होंने कहा कि मौजूदा सरकार के 6 महीने के कार्यकाल में ही 42 से अधिक छोटी बड़ी उग्रवादी घटनाएं घटी हैं. साथ ही अपराध का ग्राफ बढ़ता जा रहा है. उन्होंने कहा कि ऐसे माहौल में राज्य सरकार बीजेपी उसके विचारधारा से जुड़े लोगों को सुरक्षा मुहैया कराने में राजनीतिक चश्मे का उपयोग कर रही है.
झामुमो के चुनिंदा लोगों को दी जा रही है सुरक्षा
मरांडी ने साफ तौर पर कहा कि प्रभारी पुलिस महानिदेशक की तरफ से कोरोना संक्रमण के शुरुआती दिनों में जनप्रतिनिधियों को छोड़कर तमाम लोगों की सुरक्षा में लगे पुलिसकर्मियों को बल की कमी का हवाला देकर मुख्यालय वापस बुला लिया. वहीं दूसरी तरफ अगले दिन से ही अलग-अलग जिलों में तैनात एसपी ने सत्तारूढ़ दलों से जुड़े न सिर्फ छोटे-मोटे नेता बल्कि चुनिंदा झामुमो के लोगों को सुरक्षा मुहैया कराई. उन्होंने कहा कि हैरत की बात यह है कि राज्य सुरक्षा समिति की अनुशंसा पर लोगों को मिली सुरक्षा गैरकानूनी तरीके से छीन ली गई और अब उन्हें वापस भी नहीं जा रही है.
इसे भी पढे़ं-राजस्थान में सियासी हलचल का झारखंड में इंपैक्ट, कमजोर कड़ियों को सेक्योर करने में लगी पार्टियां
केंद्रीय गृह सचिव और चीफ सेक्रेटरी को भी भेजी है चिट्ठी
बाबूलाल मरांडी ने कहा कि ऐसे में अगर कोई दुर्घटना अनहोनी हो गई थी इसकी जिम्मेदारी कौन लेगा. साथ ही उन्होंने कहा कि झारखंड सरकार का यह कदम सरकार की खामियों को उजागर कर रहे लोगों को डराने का साजिशपूर्ण प्रयास है. उन्होंने केंद्रीय मंत्री से मांग करते हुए लिखा है कि झारखंड सरकार की तरफ से सुरक्षा मुहैया कराने में मानकों का किए जा रहे उल्लंघन और उनके मामले की जांच केंद्रीय एजेंसी से कराएं. साथ ही सही मूल्यांकन कर जरूरतमंदों को सुरक्षा प्रदान करें. मरांडी ने अपने पत्र की कॉपी केंद्रीय गृह सचिव और राज्य के मुख्य सचिव को भी भेजी है.