रांची: कोरोना की दूसरी लहर के दौरान लोगों को मौत के मुंह से बचाने में सरकारी-गैर सरकारी अस्पतालों और उनके डॉक्टर, नर्स, पारा मेडिकल स्टॉफ के कार्यों की सराहना करते हुए, बाबूलाल मरांडी ने कुछ निजी अस्पतालों पर दुख व्यक्त किया.
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बाबूलाल मरांडी की मार्मीक अपील
बाबूलाल मरांडी ने दुख व्यक्त करते हुए कहा है कि विपदा के इस अवसर को सिर्फ मुनाफा कमाने का हथियार मानने वाले चंद प्राइवेट अस्पतालों ने निर्लज्जता की सारी हदें पार कर दी है. उनके कारिस्तानी के किस्से सुनकर शर्म भी शर्मा जाय. इस दौरान बाबूलाल मरांडी ने एक मार्मिक अपील संबंधी पर्चा जारी कर कहा कि निजी अस्पताल की मनमानी का शिकार हुए मरीजों की आपबीती और अनुभव की बातें सुनकर बड़ी पीड़ा होती है. लोग बता रहे हैं कि कुछ अस्पतालों में भर्ती के लिए जद्दोजेहद करना पड़ रहा है. इलाज तक में कैसे लापरवाही बरती जा रही है. रोगी के बीमारी की गंभीरता नहीं बल्कि उसकी हैसियत और मुंह देखकर इलाज और देखभाल किया जाता है. सरकार द्वारा दर निर्धारित होने के बावजूद कुछ अस्पतालों ने उसे नजरअंदाज कर लूटने और तड़पते-बिलखते लोगों के खून चूसने का कीर्तिमान बनाया है.
ऑक्सीजन के लिए तड़प रहे हैं लोग: बाबूलाल
बाबूलाल मरांडी ने बताया कि लोग बता रहे हैं कि कैसे मरीजों को ऑक्सीजन लगा कर यूं ही दिन-रात छोड़ दिया जा रहा है. कोई देखने तक नहीं आता. स्लाइन लगाकर उसे देखने तक कोई नहीं आता. स्लाइन खत्म हो जाता है, मरीज घंटी बजाता रहता है, कोई एटेंड करने नहीं आता. नतीजतन स्लाइन बोतल खाली होने के बाद भी लगा ही रह जाता है. डाक्टरों के मुताबिक यह इतना खतरनाक काम है कि मरीज की जान भी जा सकती है. बेड के बगल में मरे परे मरीज को घंटों वहां से हटाने वाला कोई नहीं है. नतीजतन बगल में पड़े मरीज यह सब देख हार्ट अटैक से मर रहे. ये सब खतरनाक खेल कब तक चलेगा? कौन देखेगा ये सब?
बाबूलाल ने अस्पतालों से की अपील
मैं इस तरह का काम कर रहे उन चंद प्राइवेट अस्पतालों से हाथ जोड़कर विनती करता हूं कि वे ऐसी लापरवाही और सिर्फ और सिर्फ लूटने की प्रवृति से बाज आयें. वे ये समझने की कोशिश करें कि सहने की सीमा जब जवाब दे देती है, तब लोगों का आक्रोश फूटता है. ऐसी स्थिति न आये इसके लिये हम वैसे अस्पतालों को आगाह करते हुए सुधार लाने की अपील करते हैं.
कोई कानून से उपर नहीं है: बाबूलाल
ध्यान रहे कि कोई भी अस्पताल, जनसरोकर या लोगों के जानमाल से जुड़े प्राइवेट संस्थान कानून से उपर नहीं हैं. वे तय मापदंड के अनुसार सरकार की लाइसेंसिंग प्रणाली के अंदर ही काम कर रहे हैं, उन्हें वो सारी सरकारी सहायता और सहुलियत दी जाती है, जिसके वे हकदार हैं. अगर ऐसे लोग अपनी हरकतों से बाज नहीं आयेंगे तो उन्हें जनाक्रोश का सामना करना पड़ेगा. इस मसले पर मैं सदैव जनमानस के साथ रहूंगा, उनकी आवाज बनूंगा.
मैं भुक्तभोगियों, प्रत्यक्षदर्शियों, जानकारों से अपील करता हूं कि इस बारे में जो भी तथ्यपरक जानकारी और प्रमाण है, तो वो मुझे व्हाट्सएप नम्बर 8674922223 या yourbabulal@gmail.com पर ई-मेल कर उपलब्ध कराने की कृपा करें.