रांची: झारखंड विकास मोर्चा का भाजपा में विलय कर दलबदल के आरोप में फंसे बाबूलाल मरांडी के मामले में बुधवार को स्पीकर कोर्ट में आंशिक सुनवाई हुई. बाबूलाल मरांडी पर दर्ज चार केस की सुनवाई एक साथ नहीं होने पर आपत्ति जताते हुए बाबूलाल मरांडी के वकील आरएन सहाय ने कहा कि ऐसे में इस मामले में फैसला आने में काफी वक्त लगेगा. उन्होंने न्यायाधिकरण से सिर्फ दीपिका सिंह पांडे की याचिका पर सुनवाई नहीं कर सभी केसों की सुनवाई एक साथ करने का आग्रह किया.
ये भी पढ़ें-यूपी का रण : योगी को भी है मोदी की जरूरत
भाजपा विधायक दल के नेता बाबूलाल मरांडी के खिलाफ चल रहे दलबदल के मामले में बुधवार यानी 09 फरवरी को झारखंड विधानसभाध्यक्ष न्यायाधिकरण में सुनवाई हुई. वर्चुअल माध्यम से हुई इस सुनवाई के दौरान न्यायाधिकरण के समक्ष दोनों पक्षों की ओर से बहस की की गई. सुनवाई के दौरान बाबूलाल की ओर से वरीय अधिवक्ता आरएन सहाय ने पक्ष रखा. न्यायाधिकरण के समक्ष बाबूलाल की ओर से पक्ष रखते हुए अधिवक्ता आरएन सहाय ने आपत्ति जताते हुए कहा कि इस मामले में दर्ज चार केस का एक साथ सुनवाई करने की बजाय कोर्ट द्वारा सिर्फ एक केस दीपिका सिंह पांडे द्वारा दर्ज मामले की ही क्यों सुनवाई की जा रही है.
आरएन सहाय ने स्पीकर कोर्ट के समक्ष यह भी कहा कि एक नेचर के सभी केस हैं, जिसमें दीपिका सिंह पांडे का मामला तीसरे नंबर पर लिस्ट है. ऐसे में यदि क्रमवार ही बहस हो तो राजकुमार यादव केस में सबसे पहले होना चाहिए, उसके बाद भूषण तिर्की मामले में, उसके बाद ही दीपिका सिंह पांडे मामले में होनी चाहिए. मगर ऐसा नहीं किया जा रहा है. इस पर स्पीकर रवींद्रनाथ महतो ने इसपर विचार करने की बात कहते हुए जल्द सुनवाई करने का आश्वासन दिया. संभावना जताई जा रही है कि दो दिनों के अंदर इस मामले में फिर सुनवाई स्पीकर कोर्ट द्वारा की जाएगी.
बीजेपी संग मर्जर पर सुनवाईः अब तक हुई सुनवाई में बाबूलाल मरांडी की ओर से तर्क यह दिया जा रहा है कि झारखंड विकास मोर्चा का भारतीय जनता पार्टी में मर्जर न्यायसंगत है, जिस पर भारत निर्वाचन आयोग ने भी मुहर लगाई है. अधिवक्ता आरएन सहाय का कहना है कि विधायक बंधु तिर्की को जेवीएम ने अनुशासनात्मक कार्रवाई करते हुए 21 जनवरी 2020 को निष्कासित कर दिया था, उसके बाद प्रदीप यादव को भी पार्टी ने 06 फरवरी को निष्कासित कर दिया था.
इसके बाद 11 फरवरी 2020 को जेवीएम कार्यसमिति की बैठक हुई, जिसमें 142 में से 132 ने भाग लेकर जेवीएम प्रजातांत्रिक का मर्जर बीजेपी में करने का फैसला ले लिया. जेवीएम के एकमात्र विधायक बचे बाबूलाल मरांडी ने भी इसपर सहमति दी थी जिसके बाद कानूनन सभी विधायकों की सहमति मिल गई. इसकी जानकारी भारत निर्वाचन आयोग को दी गई और चुनाव आयोग ने इसे सही बताते हुए जेवीएम प्रजातांत्रिक के चुनाव चिन्ह को जब्त कर भाजपा में विलय पर मुहर लगा दी.यदि इसे अस्वीकार स्पीकर कोर्ट द्वारा किया जाता है तो दो संवैधानिक संस्था के बीच टकराव जैसी बात होगी.
स्पीकर कोर्ट में बाबूलाल मरांडी पर दल-बदल के कई केस दर्जः बाबूलाल मरांडी पर 10 वीं अनसूची का उल्लंघन मामले में विधानसभाध्यक्ष के न्यायाधिकरण में चार अलग अलग केस दर्ज हैं. राजकुमार यादव ने 10 वीं अनुसूची का उल्लंघन करने की शिकायत करते हुए विधानसभा में 16 दिसंबर 2020 को याचिका दाखिल की थी, जिसका कांड संख्या 02/2020 है. उसी तरह भूषण तिर्की द्वारा दाखिल केस नंबर 03/2020 दीपिका पांडे द्वारा दाखिल केस नंबर 01/2021 और प्रदीप यादव बंधु तिर्की द्वारा दाखिल केस नंबर 02/2021 है.