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बाबूलाल दलबदल मामलाः हाई कोर्ट ने विधायक दीपिका पांडे सिंह को पक्ष रखने का दिया समय, अगली सुनवाई 30 को

बाबूलाल दलबदल मामले में (Babulal Defection Case) स्पीकर न्यायाधिकरण में पक्षपात को लेकर झारखंड हाई कोर्ट में दायर याचिका पर सुनवाई हुई. इसमें विधायक दीपिका पांडे सिंह को अदालत ने पक्ष रखने का समय दिया है. अब मामले की अगली सुनवाई 30 नवंबर को होगी.

Jharkhand High court
झारखंड हाई कोर्ट
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Published : Nov 9, 2022, 10:18 PM IST

रांची: झारखंड हाई कोर्ट के न्यायाधीश राजेश शंकर की अदालत में भारतीय जनता पार्टी विधायक दल नेता बाबूलाल मरांडी के दलबदल मामले (Babulal Defection Case) में स्पीकर न्यायाधिकरण में सुनवाई में पक्षपात के आरोप मामले में सुनवाई हुई. इस मामले की सुनवाई के दौरान दीपिका पांडे सिंह के अधिवक्ता ने अदालत से समय की मांग की. विधायक के अधिवक्ता ने कहा कि विधायक राज्य से बाहर हैं, इसीलिए वकालतनामा नहीं आ पाया है. अदालत ने उन्हें 1 सप्ताह का समय देते हुए 17 नवंबर तक वकालतनामा सहित अपना पक्ष पेश करने का समय दिया. वहीं बाबूलाल के अधिवक्ता को निर्देश दिया कि अगर वे कुछ जवाब देना चाहते हैं तो 25 नवंबर तक जवाब पेश कर दें. इसके बाद इस मामले की विस्तृत सुनवाई 30 नवंबर की जाएगी.

ये भी पढ़ें- सीएम हेमेत सोरेन को दूसरी बार ईडी ने भेजा समन, 17 नवंबर को बुलाया

पूर्व में मामले की सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता की ओर से अदालत से आग्रह किया गया था कि इस मामले में कांग्रेस विधायक दीपिका पांडे सिंह (जो शिकायतकर्ता हैं), जिन्हें प्रतिवादी बनाया गया है. मेंटेनेबिलिटी पर सुनवाई के दौरान दीपिका पांडे सिंह की बात भी सुनी जाए, इसके बाद कोर्ट अपना आदेश पारित करे. इस पर अदालत ने याचिकाकर्ता के अधिवक्ता का आग्रह स्वीकार करते हुए दीपिका पांडे सिंह को मामले में नोटिस जारी करने का निर्देश दिया. कोर्ट ने उन्हें अपना पक्ष रखने को भी कहा था, लेकिन उनकी ओर से पक्ष नहीं रखा गया.


विधानसभा की ओर से अधिवक्ता ने अदालत से कहा कि बाबूलाल मरांडी की ओर से दाखिल रिट याचिका सुनवाई योग्य नहीं है. यह भी कहा गया कि सुप्रीम कोर्ट के न्यायादेश के आलोक में इस याचिका पर हाइकोर्ट की ओर से कोई आदेश पारित करना उचित नहीं है. झारखंड विधानसभा की ओर से सुप्रीम कोर्ट के वरीय अधिवक्ता संजय हेगड़े ने पैरवी की. अदालत ने पक्ष सुनने के बाद मामले की अगली सुनवाई के लिए 9 नवंबर की तिथि निर्धारित की है.


सुनवाई के दौरान विधानसभा की ओर से कोर्ट को बताया गया कि अभी इस मामले में विधानसभा अध्यक्ष के न्यायाधिकरण की ओर से कोई जजमेंट पास नहीं हुआ है. प्रार्थी के पक्ष में भी फैसला आ सकता है. इसलिए यह याचिका सुनवाई योग्य नहीं है. वहीं प्रार्थी की ओर से कहा गया कि बिना गवाही कराए ही स्पीकर के न्यायाधिकरण ने फैसला सुरक्षित रखा है. स्पीकर के न्यायाधिकरण में बाबूलाल मरांडी और प्रदीप यादव के मामले में अलग-अलग तरीके से सुनवाई हो रही है, जो अनुचित है. यह सुनवाई हाई कोर्ट के न्यायमूर्ति राजेश शंकर के कोर्ट में हुई.

वहीं प्रार्थी की ओर वरीय अधिवक्ता वीपी सिंह और अधिवक्ता विनोद कुमार साहू ने पैरवी की. रिट याचिका में कहा गया है कि स्पीकर ने नियम संगत सुनवाई नहीं की है. स्पीकर के न्यायाधिकरण में संविधान की दसवीं अनुसूची के तहत सुनवाई में भेदभाव हो रहा है. गवाही खत्म होने के बाद उन्हें पक्ष रखने का मौका नहीं दिया गया है. 30 सितंबर को सुनवाई खत्म कर ली गई है. फैसला कभी भी सुनाया जा सकता है. कहा गया है कि जिस मामले में बाबूलाल प्रतिवादी हैं, उसकी सुनवाई कुछ अलग तरीके से हो रही है और जिस मामले में प्रदीप यादव प्रतिवादी हैं, उसमें अलग तरीके से सुनवाई हो रही है.

यह था मामलाः यहां उल्लेखनीय है कि बाबूलाल मरांडी वर्ष 2019 के विधानसभा चुनाव में झाविमो उम्मीदवार के रूप में जीते थे, लेकिन उसके बाद उन्होंने जेवीएम का विलय भाजपा में कर दिया था. जिसे लेकर उनके खिलाफ विधानसभा अध्यक्ष के समक्ष दल बदल का मामला दर्ज किया गया है.

रांची: झारखंड हाई कोर्ट के न्यायाधीश राजेश शंकर की अदालत में भारतीय जनता पार्टी विधायक दल नेता बाबूलाल मरांडी के दलबदल मामले (Babulal Defection Case) में स्पीकर न्यायाधिकरण में सुनवाई में पक्षपात के आरोप मामले में सुनवाई हुई. इस मामले की सुनवाई के दौरान दीपिका पांडे सिंह के अधिवक्ता ने अदालत से समय की मांग की. विधायक के अधिवक्ता ने कहा कि विधायक राज्य से बाहर हैं, इसीलिए वकालतनामा नहीं आ पाया है. अदालत ने उन्हें 1 सप्ताह का समय देते हुए 17 नवंबर तक वकालतनामा सहित अपना पक्ष पेश करने का समय दिया. वहीं बाबूलाल के अधिवक्ता को निर्देश दिया कि अगर वे कुछ जवाब देना चाहते हैं तो 25 नवंबर तक जवाब पेश कर दें. इसके बाद इस मामले की विस्तृत सुनवाई 30 नवंबर की जाएगी.

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पूर्व में मामले की सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता की ओर से अदालत से आग्रह किया गया था कि इस मामले में कांग्रेस विधायक दीपिका पांडे सिंह (जो शिकायतकर्ता हैं), जिन्हें प्रतिवादी बनाया गया है. मेंटेनेबिलिटी पर सुनवाई के दौरान दीपिका पांडे सिंह की बात भी सुनी जाए, इसके बाद कोर्ट अपना आदेश पारित करे. इस पर अदालत ने याचिकाकर्ता के अधिवक्ता का आग्रह स्वीकार करते हुए दीपिका पांडे सिंह को मामले में नोटिस जारी करने का निर्देश दिया. कोर्ट ने उन्हें अपना पक्ष रखने को भी कहा था, लेकिन उनकी ओर से पक्ष नहीं रखा गया.


विधानसभा की ओर से अधिवक्ता ने अदालत से कहा कि बाबूलाल मरांडी की ओर से दाखिल रिट याचिका सुनवाई योग्य नहीं है. यह भी कहा गया कि सुप्रीम कोर्ट के न्यायादेश के आलोक में इस याचिका पर हाइकोर्ट की ओर से कोई आदेश पारित करना उचित नहीं है. झारखंड विधानसभा की ओर से सुप्रीम कोर्ट के वरीय अधिवक्ता संजय हेगड़े ने पैरवी की. अदालत ने पक्ष सुनने के बाद मामले की अगली सुनवाई के लिए 9 नवंबर की तिथि निर्धारित की है.


सुनवाई के दौरान विधानसभा की ओर से कोर्ट को बताया गया कि अभी इस मामले में विधानसभा अध्यक्ष के न्यायाधिकरण की ओर से कोई जजमेंट पास नहीं हुआ है. प्रार्थी के पक्ष में भी फैसला आ सकता है. इसलिए यह याचिका सुनवाई योग्य नहीं है. वहीं प्रार्थी की ओर से कहा गया कि बिना गवाही कराए ही स्पीकर के न्यायाधिकरण ने फैसला सुरक्षित रखा है. स्पीकर के न्यायाधिकरण में बाबूलाल मरांडी और प्रदीप यादव के मामले में अलग-अलग तरीके से सुनवाई हो रही है, जो अनुचित है. यह सुनवाई हाई कोर्ट के न्यायमूर्ति राजेश शंकर के कोर्ट में हुई.

वहीं प्रार्थी की ओर वरीय अधिवक्ता वीपी सिंह और अधिवक्ता विनोद कुमार साहू ने पैरवी की. रिट याचिका में कहा गया है कि स्पीकर ने नियम संगत सुनवाई नहीं की है. स्पीकर के न्यायाधिकरण में संविधान की दसवीं अनुसूची के तहत सुनवाई में भेदभाव हो रहा है. गवाही खत्म होने के बाद उन्हें पक्ष रखने का मौका नहीं दिया गया है. 30 सितंबर को सुनवाई खत्म कर ली गई है. फैसला कभी भी सुनाया जा सकता है. कहा गया है कि जिस मामले में बाबूलाल प्रतिवादी हैं, उसकी सुनवाई कुछ अलग तरीके से हो रही है और जिस मामले में प्रदीप यादव प्रतिवादी हैं, उसमें अलग तरीके से सुनवाई हो रही है.

यह था मामलाः यहां उल्लेखनीय है कि बाबूलाल मरांडी वर्ष 2019 के विधानसभा चुनाव में झाविमो उम्मीदवार के रूप में जीते थे, लेकिन उसके बाद उन्होंने जेवीएम का विलय भाजपा में कर दिया था. जिसे लेकर उनके खिलाफ विधानसभा अध्यक्ष के समक्ष दल बदल का मामला दर्ज किया गया है.

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