रांची: राजधानीवासी दीपोत्सव की तैयारियों में जुटे हैं. बाजार में लक्ष्मी गणेश की मूर्तियों से लेकर पूजा सामग्रियों, लावा फरही, पटाखे, मिठाइयां समेत अन्य कई चीजों की अच्छी बिक्री हो रही है. वहीं घरौंदों के प्रति लोगों में खास आकर्षण दिख रहा है (Attraction of Gharaunda in Diwali markets). राजधानी रांची के दिवाली बाजार (Diwali Markets Ranchi) में इस बार थर्मोकॉल और कलरफुल वस्तुओं की सजावट की हुई घरौंदों की खूब बिक्री हो रही है. बच्चियां अपने अपने पसंद के आकर्षक घरौंदों खरीद रही हैं.
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थर्मोकॉल के बनें घरौंदें बेच रही बिरसा चौक की रहने वाली सुमन देवी कहती हैं कि इस साल 200 रुपये से 1000 रुपये तक के घरौंदें उपलब्ध हैं और बाजार भी ठीक ठाक ही है. वह कहती हैं कि उनकी छोटी बहन ने पिछले 3 महीनों में काफी मेहनत कर ये घरौंदें बनाये हैं और वह उसे बाजार में बेच रही हैं इसलिये खुशी ज्यादा हो रही है कि बहन के बनाये आकर्षक घरौंदें को लोग पसंद कर रहे हैं. रांची के कडरू घरौंदा बाजार में 300 रुपये की घरौंदा खरीदने वाली रानी कहती हैं कि 'जो घरौंदा वह ली हैं वह सस्ती के साथ साथ आकर्षक भी है, इसे घर ले जाकर और डेकोरेट कर इसमें कल पूजा करूंगी'
लकड़ी के बनें घरौंदा को लेकर आकर्षण कम: इस साल थर्मोकॉल और हार्ड पेपर के आकर्षक घरौंदा की अच्छी मांग इसलिए है क्योंकि यह कम कीमत में उपलब्ध है और कई तल्लों वाले घरौंदें आकर्षक भी हैं जबकि लकड़ी के घरौंदें की शुरुआत ही 1200 रुपये से होती है जो 3000 रुपये तक जाती है ऐसे में उसका आकर्षण कम दिख रहा है.
पहले घर में ही मिट्टी से महिलाएं बनाती थी घरौंदें, अब रेडीमेड का चलन: पहले दीपावली में हर घर में मिट्टी के घरौंदें, घर की महिलाएं ही बनाती थी और उसे चूना, कलर से पेंट पोचारा कर आकर्षक रूप दिया जाता था. समय के साथ साथ और शहरी घरों-अपार्टमेंट में जगह की कमी की वजह से घर में घरौंदा बनाने की परंपरा पीछे छूट गयी और उसकी जगह इन रेडीमेड आकर्षक घरौंदों ने ले लिया है.